गैस पेपर--शब्दचित्र--धीमा जहर--ये कैसा डर--(ब्लाग चर्चा)------ललित शर्मा

सर्किट बहुत दिन से बिना बताए गायब  है--मुन्ना भाई उसको ढुंढते हुए हमारे तक पहुंच गए--कहने लगे सर्किट कहीं दिखे तो बताना और आज की चर्चा आप कर दिजिए, तो हमने भी उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। जो समय पर काम आवे वही सच्चा मित्र होता है। तुलसी दास जी ने भी कहा है धीरज धरम मीत अरु नारि-आपत काल बिचारिए चारि-- इसी भाव को लेकर मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की चर्चा पर..............आज की चर्चा का आगाज करते हैं मिसफ़िट से गिरीश बिल्लौरे जी जबलपुरिया...
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बकवास मत कर सार्थक लिख ताजगी और बदलाव के लिये : चर्चाकार (ललित शर्मा)

आज मुन्ना भाई ने सर्किट को भेज दिया और कहा कि ललित शर्मा को कह दो एक चर्चा हमारे ब्लाग पर भी होनी चाहिए, बताईये अब मरता क्या ना करता चलो रे भाई मुन्ना भाई का आदेश है मनाना ही पड़ेगा, पानी में रहके .......ठीक नहीं है, एक समाचार बता रहा हुई कि रायपुर कलेक्ट्रेट के कुत्तों से निगम कर्मचारी...
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गधे ब्लागिंग क्युं करते हैं? संतू गधा पूछ रयेला है आपसे!

सर्किट भाई आप सबकू सलाम नमस्ते कर रयेला है….और आगे की चर्चा सुना रयेला है. मुन्ना भाई अबी तो सो रयेले हैं..अपुन का नींद उखड गयेला तो मैं ये चर्चा बांचने कू लग गयेला है…आप बी सुनने का अगरबत्ती लगाके…आप लोग  अगरबत्ती लगाके चर्चा सुनेगा तो आप की पोस्ट हिट होयेंगी..तो अबी अगरबत्ती...
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खाली पिली फिर से आ गया

मुन्ना भाई...मुन्नाभाई आज आप इधर कू ? अरे सर्किट आज क्या है ना अपुन के बिल्डिग में झंडा दिवस मानाएला है. सुबह-सुबह मैंने अपना खिड़की से झाक कर देखा . मेरा हाउसिग सोसायटी का मैदान में कुछ लोग डंडा के ऊपर झंडा बांधने को तैयारी कर रहा था . मै मन में बोला, "अरे फिर आ गया." फिर सोचा खिड़की...
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इश्क़ का सैलाब, शक्ले-अश्क लेकर, ढलकर निकल लियेला है : सर्किटचर्चा

मुन्ना भाई मैं आपकू नमस्ते कर रयेला हूं…क्रिसमस की शुभकामनाएं दे रयेला हुं.. नमस्ते..नमस्ते सर्किट…तुम किदर चले गयेला था? वो बिट्टू बावल्यो अप्पुन को  चर्चा सुना के गयेला था..उसके बाद ब्लाग रस मिलाईच नईं बाप…बहुत प्यास लग रयेली है… अरे मुन्ना भाई..अपुन अब क्या करेगा? चिट्ठाजगत...
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घणी सोवणी लाग री है आज तो..: बिट्टू बावल्यो री ब्लाग चर्चा

बिट्टू बावल्यो आप सब लोगां और लुगाईयां न बिट्टू बावल्यो री परणाम . मैं बाजार जावै हो पर म्हारी बिंदणी बोली कि अईयां कईयां बाजार जावोला? पहली मन्नै बिलाग चर्चा बांचकै फ़ेर बाजार जावो. मैं बोल्यो अर बावली बातां क्युं करै है तू? मैं वापस आकर सुनाऊंलो..पण वा ओ बीरबानी की जात…एक...
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कछु हमाओ फ़ायदो..कछू तुमाओ फ़ायदो..करके कल आ रयेले हैं आपसे मिलने कू..

सर्किट रेल्वे स्टेशन पर ठनठनगोपाल  बुंदेलखंडी को लेने के लिये प्लेटफ़ार्म पर खडा है. ट्रेन आकर रुकती है…ठनठनगोपाल बुंदेलखंडी  जी ट्रेन से उतरते हैं…और सर्किट उनको रिसीव करता है…अब आगे…. अरे आवो आवो..ठनठन गोपाल जी मैं सर्किट आपका मुंबई मे स्वागत कर रियेला है.. ठणठन गोपाल...
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