मुन्ना भाई मैं आपकू नमस्ते कर रयेला हूं…क्रिसमस की शुभकामनाएं दे रयेला हुं..
नमस्ते..नमस्ते सर्किट…तुम किदर चले गयेला था? वो बिट्टू बावल्यो अप्पुन को चर्चा सुना के गयेला था..उसके बाद ब्लाग रस मिलाईच नईं बाप…बहुत प्यास लग रयेली है…
अरे मुन्ना भाई..अपुन अब क्या करेगा? चिट्ठाजगत काम नईं कर रयेला है…अबी सुना है और टाईम लगेगा..तो मैं ये कुछ लिंक ऊठा के लायेला है…अबी सुनने का..
पण सर्किट..पूरी चर्चा सुनाने का…
हां सुनाता है ना भाई…आप फ़ोकट टेंशन काए कू लेने का…? पी.सी.गोदियाल जी अंधड़ ! पर आ जाओ क्रिस, अब आ भी जाओ ! पढने का भाई…
यार "क्रिस" यूं कब तलक तुम,
ज़रा भी टस से "मस" नहीं होगे !
गिरजे की वीरान दीवारों पर,
इसी तरह 'जस के तस' रहोगे !!
ज़माना गया,जब परोपकार की खातिर,
महापुरुष खुद लटक जाया करते थे !
अमृत लोगो में बाँट कर ,
जहर खुद घटक जाया करते थे !!
डॉ टी एस दराल अंतर्मंथन पर पूछ रयेले हैं क्या आप अपनी या अपने बच्चों की शादी, बिना दान- दहेज़ के कर सकते हैं ? और सुनीता शानू कुछ विशेष... पूछ रयेली हैं..सर्दी में कैसे नहाएं (अमर उजाला के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित...)
अरे सर्किट…सर्दी मे काये कू नहाने का?
अरे भाई पण जिनको शर्माशर्मी मे नहाना पडता है ना..उन लोगों के लिये फ़ार्मुला बता रये हैं..
तो अपुन को बी बता ना…सर्किट…
लो पढो ना भाई…
सर्दी के मौसम में रजाई से निकलकर नहाने के लिए जाना भी एक विकट समस्या है। इस मौसम में शर्मा जी खुद को सबसे बदनसीब प्राणी समझते हैं। हर सुबह उस व1त उनका मूड उखड़ जाता है, जब पत्नी न नहाने पर बार-बार उलाहना देती है। आखिरकार बीवी कमांडर बनकर उन्हें बाथरूम की तरफ धकेल ही देती है। वह शहीद बनकर अंदर घुस जाते हैं। ठीक ऐसे ही समय पड़ोस से मिश्रा जी के गाने का स्वर आता है, ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
बस बीवी का दिमाग तमतमा जाता है, कब तक आलसी की तरह पड़े रहोगे? मिश्रा जी से कुछ सीखो, जो रोज ठंडे पानी से नहाते हैं। एक तुम हो, जो गरम पानी से नहाते हुए भी रो रहे हो। अब श्रीमती जी को कौन समझाए कि मिश्रा जी सचमुच ठंडे पानी से नहा रहे हैं या गरम पानी से। या नहा भी रहे हैं कि सिर्फ राग अलाप रहे हैं। बहरहाल बेचारे शर्मा जी को उठना ही पड़ा।अब यह कोई एक दिन की बात तो है नहीं। रोज-रोज का नहाना, सचमुच कंपकंपी-सी चढ़ जाती है
नल तेजी से चलाएं और ठिठुरते हुए गाएं, ताकि बीवी को लगे कि आप सचमुच नहा रहे हैं। हां, गीले तौलिये से शरीर पोंछना न भूलें
आकांक्षा जी शब्द-शिखर पर अमर उजाला में 'शब्द-शिखर' की चर्चा के बारे में बता रयेली हैं…
'शब्द शिखर' पर 23 दिसंबर 2009 को प्रस्तुत पोस्ट हफ्ते भर बंद रहेंगीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'अमर उजाला' ने 24 दिसंबर 2009 को अपने सम्पादकीय पृष्ठ पर 'ब्लॉग कोना' में स्थान दिया! 'अमर उजाला' के ब्लॉग कोना में आठवीं बार 'शब्द-शिखर' की चर्चा हुई है...आभार!
और रामप्यारी ताऊजी डाट काम पर खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (153) : आयोजक उडनतश्तरी पहेली पूछ रयेली है…बताने का भाई..
नीचे के चित्र में ताऊ ऊंटगाडी पर ताई को बैठा कर ले जारहा है. और अब ये बताईये कि उसकी ऊंट गाडी के नीचे वाले चित्र मे कौन हैं?
ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ TSALIIM
पर पूछ रयेले हैं..नारीवादः पुरूषों के शरीर में मौजूद श्रेष्ठता के जींस से कैसे निपटेगा?…. और घुघूतीबासूती जी पूछ रयेली हैं और आप सोचते थे कि मनुष्य और पक्षी ही गृह निर्माण करते हैं!.......घुघूती बासूती
हमारे सोचने से क्या होता है? इन्डोनेशिया की एक औक्टॉपस की प्रजाति तो ऐसा बिल्कुल नहीं सोचती। वे नारियल के कटोरीनुमा खोल इकट्ठा करते हैं। अब अष्टभुज हैं तो अपनी भुजाओं का प्रयोग भी खूब करते हैं। वे समुद्र के तल से मनुष्यों द्वारा फेंके गए नारियल के खोल उठाते हैं। उनमें से रेत आदि खाली करते हैं और फिर उन्हे अपने निवास स्थान पर ले जाते हैं। वहाँ जाकर दो खोलों को तरीके से एक के ऊपर एक रखकर अपना मकान बना लेते हैं।
डॉ. रूपचन्द्र जी शास्त्री मयंक उच्चारण पर नारी की व्यथा बता रयेले हैं…"जी हाँ मैं नारी हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") संगीता पुरी जी गत्यात्मक ज्योतिष पर कुछ मदद मांग रयेली हैं. क्या कंप्यूटर और इंटरनेट के जानकार मेरी कुछ मदद कर सकते हैं ?? हिमांशु भाई सच्चा शरणम् पर जब हो जाये दिवसान्त शान्त (गीतांजलि का भावानुवाद ) पढवा रयेले हैं.. आनंद देव राह चलते पर एक कहानी सुना रयेले हैं.. तब उनके पास रोने के सिवा कुछ नही बचा था
दो दोस्त थे , दोनो ही मुसीबत के मारे थे ।€ एक बार दोनो एक साथ घर से निकले और आपस मे बाते करते सुख और सम्रिद्धि की तलास मे निकल पडे । दोनो ने यह ठान लिया था कि अब तो ढेर सारी दौलत कमा कर ही घर लौटे गे । दोनो चल्ते जा रहे थे और तमाम आदर्श तथा अध्यात्म की बाते भी बतियाते चल रहे थे । एक ने कहा देख भाई मुझे तो बाबा जी की बाते ही सही लगती है ।दूसरे ने पूछा ओ क्या? पहले ने कहा वह कहते है कि समय से पहले और भग्य से अधिक नही मिलने वाला है । चाहे कित्ती भी नाक रगड ले ।
महाशक्ति समयचक्र पर ब्लागरो की बीमारी "नारी" चर्चा कर रयेले हैं.. बी एस पाबला प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा पर बता रयेले हैं..अमर उजाला में 'विस्फ़ोट' तथा 'राम राम भाई'
की चर्चा हुयेली है…गिरिजेश राव एक आलसी का चिठ्ठा पर प्रिंटर की धूल और मोटी रोटियाँ का स्वाद लेने का भाई…
मायके से श्रीमती जी का आना उस धूल को साफ कर गया है जिसे देख मैं उनको याद करता था। अजीब धूल ! होना एक याद, न होना दूसरी याद। यादें धूलधुसरित होती हैं, मुई फिर झाड़ पोंछ कर खड़ी हो जाती हैं।
कैसा है यह आलस जो धूल को खुद साफ नहीं करने देता? यादों से प्रेम है इसे ..धूल की एलर्जी जो न गुल खिला दे। रोग भी कमबख्त मुझे कैसा लगा !
मैं शुद्ध हिन्दुस्तानी बेटा - माँ और पत्नी के बीच अपनी चाह को बाँटता! चाह बँट भी सकती है क्या? धुत्त !
लेकिन आज जो प्रिंटर पर धूल नहीं, अम्माँ याद आ रही हैं।
.. पिताजी डाइनिंग टेबल पर बैठे हैं और अम्माँ रसोई से आवाज लगा रही हैं। पिताजी के उपर रची जाती कविता को अधूरा छोड़ टेबल पर आता हूँ तो खाना लगा ही नहीं है !
अम्माँ ई का?
अनवरत पर वकील साहब ले जा रयेले हैं शाजापुर टू आगर वाया 'धूपाड़ा' सिटी की सैर करवा रयेले हैं….
अरे सर्किट ये धूपाडा सिटी किदर कू है रे?
अरे भाई ये भौत बडा सीटी है भाई…पढके समझने का…एईसेईच समझ नईं आयेगा….
एक किलोमीटर गाँव तक बस का सवारियों को उतारने चढ़ाने के लिए जाना कुछ अजीब सा लगा। मैं ने पूछा - 'धूपाड़ा' बड़ा गाँव है?
-बड़ा गाँव ? सिटी है साहब, सिटी।
बताने वाला संभवतः विनोद कर रहा था। मैं ने भी विनोद में सम्मिलित होते हुए पूछा -तो वहाँ नगर पालिका जरूर होगी?
-पंद्रह हजार की जनसंख्या है। लेकिन नगर पालिका हम बनने नहीं देते। हाउस टैक्स और न जाने क्या क्या टैक्स लग जाएंगे, इस लिए। और ये जो आप ने मोड़ पर घर देखे थे ये 'धूपाड़ा' की कॉलोनी है। अब वह नौजवान वाकई विनोद ही कर रहा था।
मैं ने भी उस विनोद का आनंद लेने के लिए उस से पूछा -तो भाई! इस सिटी की खासियत क्या है?
-यहाँ लोहे और इस्पात के औजार बनते हैं। गैंती, फावड़ा, कैंची, संडासी आदि। उस ने और भी अनेक औजारों के नाम बताए।
Albelakhatri.com सबको बधाई और रुपये भिजवा रयेले हैं..बधाई सभी स्वीकृत आलेखों के लेखकों को ! आप सभी को दो- दो हज़ार रूपये भेजे जा रहे हैं और 'अदा' जी काव्य मंजूषा पर बात से बतंगड़ तक.. बना रये ली हैं और उनके पूरे परिवार की तरफ से आप सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामना !!!!! दे रयेली हैं….
बात से बात निकली थी
और बात कहाँ तक आ पहुंची !
बातों बातों में ही,
बात का बतंगड़ बन गया
बेबात ही बात बनती गयी
और बस बात बढ़ती गयी
बात इतनी बढ़ गयी
कि बातें बाकी न रहीं
और फ़िर बस
बात ही बंद हो गयी...!!
गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल' जबलपुर-ब्रिगेड पर बता रयेले हैं… फोटो :श्री गोकुल शर्मा जी ,श्री जैन,के साथ ब्लॉगर श्री महेंद्र जी सम्मानित हुए ….और खुशदीप सहगल देशनामा पर पूछ रयेले हैं कि पुरुष नर्स को नर्सा क्यों नहीं कहते...खुशदीप…..
अब हमारे डॉ अरविंद मिश्र जी हैं सीधे इंसान...इसलिए मोहतरमा के चक्कर में पड़ गए...और अदाकारा, शायरा का हवाला देकर ब्लॉगरा, चिट्ठाकारा का सवाल पूछ बैठे...शायरा कहते हैं या नहीं ये तो शायर ही बता सकते हैं...जहां तक अदाकारा का सवाल है तो अंग्रेज़ी में भी आजकल महिला और पुरुष के लिए एक ही शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा है और वो है एक्टर...हमने भी पुरुष अदाकार के लिए एक्टर और महिला अदाकार के लिए एक्ट्रैस शब्द पढ़े थे ....लेकिन नए ज़माने में ये भेद मिट गया है...सब बराबर यानि एक्टर सिर्फ एक्टर...एक्टर ही क्यों...फिल्म निर्देशक भी पुरुष हो या महिला, निर्देशक ही रहता है निर्देशिका नहीं बन जाता...अंग्रेज़ी में भी निर्देशक के लिए एक ही शब्द है- डायरेक्टर....महिला निर्देशकों के लिए डायरेक्ट्रेस नहीं बन जाता...
अरे सर्किट खुशदीप भाई बात तो सही बोल रयेले हैं..पण जरा उनसे पूछने का कि तुम्हारी भाबी का नाम मुन्नी उन्होने रखेला है या वो पैदायशी मुन्नी मेंटेन है?
अरे भाई आप काहे कू खाली पीली टेंशन ले रयेला है? अपुन है ना…आप तो चर्चा सुनने का चकाचक….मैं और खुशदीप भाई सब संभाल लेंगे..ना…भाई…राज भाटिय़ा जी पराया देश पर अन्तर सोहिल जी ने पूछा है कि.. तो भाई राज भाई बता रयेले हैं…
सोहिल जी, हमारे यहां वेसे तो सारा साल ही सर्दी का मोसम रहता है, गर्मी एक दो सप्ताह ही होती है, लेकिन सर्दी कडाके की सितमबर के अंत मै शुरु होती है, जो अप्रेल के अन्त तक चलती है, बर्फ़ वारी अकतुबर मै एक बार हो जाती है , फ़िर नबम्बर के अन्त मै होती है, यानि लगातार नही होती, ओर बहुत ज्यादा सर्दी नबमबर के अन्त से शुरु होती है ओर मार्च तक रहती है, बीच बीच मै कभी कभी टेम्प्रेचर -३०, -३५ तक भी चला जाता है, ओसतन . १० ओर -२२ के बीच रहता है.
बी एस पाबला जी हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन वाले ब्लाग पर बता रयेले हैं कि आज हर्षवर्धन त्रिपाठी तथा पुनीत ओमर का जनमदिन है…
अरे सर्किट..दोनों को बधाई देने का ना..अपुन की तरफ़ से..
अरे भाई..आप टेंशन काहे कू लेता है? अपुन ये काम बिना बतायेई कर डालता है ना…हां तो आगे सुनने का…वाणी गीत जी ज्ञानवाणी Merry X-mas............. बोल रयेली हैं.. और भाई वो अपुन के दोस्त राजकुमार ग्वालानी जी राजतन्त्र बता रयेले हैं कि उन्होने दो दशक बाद किया बस का सफर कियेला है..सूर्यपुत्र महारथी दानवीर कर्ण की अद्भुत जीवन गाथा “मृत्युंजय” शिवाजी सावन्त का कालजयी उपन्यास से कुछ अंश – ३७ [अश्वत्थामा द्वारा कर्ण को कर्ण का सौंदर्य वर्णन.. ] कर रयेले हैं विवेक रस्तोगी जी… महावीर जी यू. के. से डॉ. गौतम सचदेव की दो ग़ज़लें पढवा रयेले हैं…
ग़ज़ल डॉ. गौतम सचदेव
आ ज़रा मंज़िल बदल लें दो क़दम ही साथ चल लें छोड़ दें अंदर अँधेरे आ ज़रा बाहर निकल लें फिर कहेंगे या सुनेंगे बस अभी चुपचाप चल लें | ग़ज़ल डॉ. गौतम सचदेव
चाँदनी मुस्कान-सी फैली हुई है रोज़ रातों में बिछी मैली हुई है दे रही उत्तर बिना पूछे सभी को मुँह दिखाने की नई शैली हुई है आदमी के पास यह कमसिन गई थी लुट गई या और मटमैली हुई है रूप को गंदा करेंगी ये निगाहें वे समझती हैं खुली थैली हुई है चाहिये दिल साफ़ हो 'गौतम' हमारा देह का क्या वह अगर मैली हुई है । *************************** |
शब्दों का सफर पर वडनेरकर जी बता रयेले हैं मामा शकुनी, सुगनचंद और शकुन्तला के बारे में… और Shastri JC Philip जी सारथी पर ईसा जयंती: शुभ कामनायें!! दे रयेले हैं…राजीव तनेजा जी चर्चा पान की दुकान पर बोल रयेले हैं..सैंटा ज़रूर आएगा!! और अन्तर सोहिल = Inner Beautiful पर बता रयेले कि आजकल बहुए सास को इस माफ़िक ताना मारती हैं..मैनें तुम्हारा ठेका नही ले रखा है….प्राईमरी के मास्साब ने एक पोस्ट लिखेली है एक मौन सन्देश - माइक्रो फोटो पोस्ट !! ……अरविंद मिश्रा जी क्वचिदन्यतोअपि..........! पर एक अजूबा मेरे आगे -यह कैसा पीपल का पेड़! के बारे मे बता रयेले हैं…
सचमुच यह पीपल का वृक्ष तो देखने के मामले में न भूतो न भविष्यति टाईप का ही लग रहा था -विस्मय और भयोत्पादक ! आखिर चैन बाबा के ठीक समाधि पर अवस्थित था वह! अब ऐसे दृश्य को देखकर कोई नतमस्तक हुए बिना कैसे रह सकता है!लिहाजा मैं तुरत नतमस्तक हो गया -आप भी देर न कीजिये ! फिर इतिहास पुराण की ओर ध्यान दिया -पता लगा कि बस्ती के ही एक ब्राह्मण पुरखे ने तत्कालीन समाज (समय का निर्धारण नहीं हो पाया -मगर बात २५०-300 वर्ष पीछे से कम की नहीं है ) के सामंतों /जमीदारों के शोषण और अत्याचार से जीवित समाधि ले ली थी ! और कालांतर में यह पीपल का पेड़ वहां उग आया मगर इसमें कोई केन्द्रीय तना नहीं नहीं है -बस ऊपर से नीचे यह घनी पत्तियों से ढका है !
संगीता पुरी गत्यात्मक ज्योतिष पर सलाह दे रयेली हैं.. विद्यार्थी अधिक से अधिक फॉर्म भरे और अपने लिए कोई न कोई सीट सुरक्षित रखने की कोशिश करें!! डॉ. रूपचन्द्र जी शास्त्री मयंक चर्चा मंच पर "क्रिसमस पर्व की शुभकामनाएँ!" (चर्चा-मंच) देते हुये चर्चा कर रयेले हैं.. और Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून जी बोल रयेले हैं..कि कार्टून:- भगवान किसी ब्लागर को ये दिन न दिखाए …….भारतीय नागरिक - Indian Citizen बता रयेले हैं रुचिका के मामले में चौटाला की बेशर्म सफाई के बारे में……और बी एस पाबला जी हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन पर बता रयेले हैं.. आज कविता वाचक्नवी की वैवाहिक वर्षगाँठ है …
अरे सर्किट…कविता जी को भौत भौत बधाई और शुभकामनाएं देने का…
अरे भाई दी ना अपुन ने उनको शुभकामना और बधाई…आप टेंशन नईं लेने का..एक और दे डालता हुं ना मैं बधाई उनको… हां तो अब आगे सुनने का भाई…और मुरारी पारीक जी गुन गुनाते रहो!! पर हंसी के हथोड़े मुर्र्र्रारी लाल के साथ !!! रेडियो शो का आनंद लीजिये !!! लो सुनने का भाई….और Alag sa पर शर्मा जी बोल रयेले हैं…ऊपर से प्रत्यक्ष खबर भेजने का नियम नहीं है. और अल्बेला खत्री बोल रयेले हैं इज़्ज़त की माँ की आँख ! इज़्ज़त को क्या घर में बैठके चाटने का है ? अपुन तो अपना इज़्ज़त हाथ में लिए घूमती हैं ...जितना चाहे ले लो....पर ब्रेक दे दो……और राह चलते पर आनंद भाई पूछ रयेले हैं कितना सही है जन्सन्ख्या के आधार पर योजनाओ का संचालन ? अनवरत पर वकील साहब वैलकम मिलेनियम! बोल रयेले हैं…
और भाई महफूज़ अली मेरी रचनाएँ !!!!!!!!!!!!!!!!! पर नाम तेरा अभी मैं अपनी ज़ुबां से मिटाता हूँ....: एक ग़ज़ल जो मैंने पहली बार लिखी....देख कर बताइयेगा...: महफूज़….
मैं टूट जाऊँगा तुमने ये सोचा तो था,
पर देखो मैं पूरा नज़र आता हूँ.
मुझे छोड़ा था तुमने उस अँधेरे घर में,
अपने अन्दर ही मैं एक दीया पाता हूँ.
Oops!! What am I thinking!!! पर Thinker जी बोल रयेले हैं…..
अनुराग शर्मा जी An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय पर लेन देन - एक कविता पढवा रयेले हैं….
दीवारें मजदूरों की दर-खिड़की सारी सेठ ले गए।
सर बाजू सरदारों के निर्धन को खाली पेट दे गए।।
साम-दाम और दंड चलाके सौदागर जी भेद ले गए।
माल भर दिया गोदामों में रखवालों को गेट दे गए।।
मेरी मिल में काम मिलेगा कहके मेरा वोट ले गए।
गन्ना लेकर सस्ते में अब चीनी महंगे रेट दे गए।।
SELECTION & COLLECTION पर संपत जी पहेली का रिजल्ट बता रयेले हैं…पहेली - ११ सही उत्तर सीमा गुप्ताजी-विजेता बनी संगीता पुरीजी बधाई!….देशनामा पर एक थी रुचिका, एक है राठौर...खुशदीप बता रयेले हैं ….
मैं रुचिका हूं...आज मैं आपके बीच होती तो 33 साल की होती...अपना घर बसा चुकी होती...शायद स्कूल जाने वाले दो बच्चे भी होते...लेकिन मुझे इस दुनिया को छोड़े सोलह साल हो चुके हैं...मेरे पापा, मेरा भाई ज़िंदा तो हैं लेकिन गम़ का जो पहाड़ उनके सीने में दफ़न है वो किसी भी इंसान को जीती-जागती लाश बना देने के लिए काफ़ी है...मुझे याद है टेनिस खेलने का बड़ा शौक था...लेकिन मुझे क्या पता था कि यही शौक मेरा बचपन, मेरी खुशियां, मेरा चहचहाना एक झटके में मुझसे छीन लेगा...
चोरी और हमले के शुभ-मुहूर्त निकलवाईये…शब्दों का सफर पर…. और कवि योगेन्द्र मौदगिल जी सलाह दे रयेले हैं कि कुछ सोचना होगा.. और भाई अब 'अदा' जी काव्य मंजूषा पर अरेंज्ड मैरेज vs लव मैरेज के नफ़े नुक्सान बता रयेली हैं….
अरे सर्किट..जल्दी बताना…अपुन को भौत सख्त जरुरत है बाप…सलाह की…
लो सुनो ना भाई…
अरेंज्ड मैरेज में समय बहुत आसानी से बीत जाता है.....शुरू के कुछ साल तो एक-दूसरे को समझने में बीत जायेगे ....प्रेम धीरे-धीरे पनपता है ....और परिपक्व होता है...बच्चों के होने के बाद या फिर बिना बच्चो के भी ...बाद में एक-दूसरे की आदत हो जाती है....
जबकि लव मैरेज में शादी ही तब होती है जब प्यार ख़तम होने लगता है....शुरू के साल बस एक-दूसरे कि कमियाँ निकालने में बीत जाते हैं ....और बाद में यह याद दिलाया जाता है कि तुमने ये वादा किया था वो पूरा नहीं किया.....तुम मेरे पीछे पड़े थे...मैं तो शादी ही नहीं करना चाहती/चाहता था इत्यादि .... शादी सिर्फ लड़ने के लिए ही रह जाती है....
अरे सर्किट..फ़िर तो अपुन बी अरेंजड मेरिज ई बनायेगा बाप…इसमे भौत फ़ायदे दिख रयेले मेरे कूं…
अरे भाई…आप काहे कू टेंशन ले रयेला है? खुशदीप भाई लग रयेला है ना मुन्नी मेंटेन को अरेंज मेरीज के लिये तैयार करने कू…आप टेंशन नईं लेने का…
अरे सर्किट…तू और खुशदीप भाई अपुन को मामू समझ लियेला है क्या? अक्खा महीना होगया और अबी तक छोकरी बी दिखाया नईं…क्या तिहाड से खुशदीप भाई इत्ती सी बी परमिशन नई ले सकता क्या? अरे अपुन ज्यास्ती बोलेगा तो फ़िर तुम लोग कुछ का कुछ समझ लेंगा? अरे जब जब राठौर को इत्ते बडे पाप की सजा यहां क्या मिली? सिर्फ़ छ महीन एकी लगी ना? और वो बच्ची की जान की कीमत बस ..सिर्फ़ ६ महिने की सजा?
अरे भाई आप आज खाली पीली..टेंशन ले रयेला है..भाई अपुन का धंधे मे टेंशन देने का…लेने का नई>..क्या? क्या समझा?
अरे सर्किट…तू अपुन के दिमाग का हलवा पूरी तो बना मत…और अबी का अबी अदाजी को फ़ोन करने का और बोलने का कि मुन्ना भाई के वास्ते एक अरेंज मेरिज वाली छोकरी ढूंढने का जल्दी फ़टाफ़ट…क्या? क्या समझा?
अरे भाईअपुन सब समझ गयेला ना..आप टेंशन नईं लेने का..मैं अबी अदा जी को फ़ोन कर डालता है ना…आप तो आगे चर्चा सुनने का भाई…उधर आज पंकज मिश्रा जी स्टिंग आपरेशन की सारी तैयारियां पूरी, जल्द ही होगे बेनकाब गुनह्गार (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की कर रयेले हैं..
अरे सर्किट…किसका आपरेशन कर रयेले हैं? क्या होगयेला रे….जल्दी बताने का..
अरे भाई अब क्या बतायेगा? इदर तो रोज नई नौटंकी गाली गलौज का फ़ैशन हो गयेला है…वो ताऊ और बाबा लोगों को कोई गाली दियेला है…
अब बात यह आती है कि ये है कौन तो मै आप सबकी जानकारी के लिये बता दु कि इन महाशय के बारे मे सारी जानकारी इकट्ठी कर ली गयी है और जल्द ही स्ट्रिन्ग आपरेशन के तहत पेश किया जायेगा!
आपको याद होगा कि एक स्टिंग आपरेशन पहले भी हो चुका है तो अब ये भी आपरेशन आप सब देख ही लो और हा अगर इन महाशय को यह लग लग रहा है कि मै बस हवा मे बात कर रहा हु तो गलत समझ रहे है ! बता दु कि यही दोस्त इससे पहले एक महिला के नाम से कई लोगो की तेल बाती जला चुके है ….यानी ये एक महिला के नाम से ब्लाग लिखा करते थे …और हा सारा प्रमाण हमारे पास पडा है ..और जल्द ही पब्लिश करुगा
ताऊ डॉट इन पर ताऊ पहेली –54 आ गयेली है
यह कौन सी जगह है? और वहां पर रामप्यारी सांता बनकर गिफ़्ट बांट रयेली है…….
क्रिसमस की शुभकामनाएँ' | प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. 'आप सभी को | क्रिसमस की शुभकामनाएँ' |
गिरीश पंकज चर्चा पान की दुकान पर बोल रयेले हैं… गइया को कचरा, तू दूध डकार!!! वीर बहुटी पर निर्मला कपिला जी गजल पढवा रयेली हैं…ललित शर्मा शिल्पकार के मुख से पूछ रयेले हैं…काहे नेह लगाय!!!
कोई नाचे रोये गाये कोई सारंगी तान सुनाय
कहीं मरघट कहीं जगमग कोई धुनी रमाय
खुब लगा मेला जग का देखे आँख न समाय
हंसा जग है एक सराय
एक पल का ठहराव यहाँ पर काहे नेह लगाय
डॉ टी एस दराल अंतर्मंथन पर दुनिया क्या कहेगी --क्या सोचेगी ----?? कुछ नहीं कहेगी, कुछ नहीं सोचेगी --- पर पिछली पोस्ट मे आई राय का निष्कर्ष बता रयेले हैं…इसे पढने का भाई..और आप बी दहेज नईं..लेने का…
अधिकाँश मित्रों का विचार था की ---
१) बेटे की शादी में दहेज़ न लेना तो अपने हाथ में है, लेकिन बेटीकी शादी में न देना दूसरों पर निर्भर करता है।
२) कभी कभी पारिवारिक दबाव में आकर लेना देना करना पड़ताहै।
३) अभी समाज में ऐसे साहसी व्यक्ति बहुत कम हैं, जो बिना दहेज़के बच्चों की शादी कर सकें।
और Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून पर देखिये…कार्टून:- ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है..
और आज अर्से बाद बवाल भाई जबलपुर-ब्रिगेड पर दर्शन दियेले हैं..सिलसिला-ए-उल्फ़त लेकर…
उनसे मेरी उल्फ़तों का सिलसिला,
चल निकला -- चल निकला
इश्क़ का सैलाब, शक्ले-अश्क लेकर,
ढल निकला -- ढल निकला
--बवाल
अब भाई अपुन जा रयेला है..आज वो लक्की सिंह का फ़ोन आयेला था…..वो तकादा कर रयेला था कि क्रिसमस तक काम कर डालने का बोला था पण कल क्रिसमस बी चली गयेली है…मैं अबी जाके उसको समझा डालता है भाई.…..आप खाना खाके..पानी पीके…सोने का भाई…गुडनाईट….