कछु हमाओ फ़ायदो..कछू तुमाओ फ़ायदो..करके कल आ रयेले हैं आपसे मिलने कू..
सर्किट रेल्वे स्टेशन पर ठनठनगोपाल बुंदेलखंडी को लेने के लिये प्लेटफ़ार्म पर खडा है. ट्रेन आकर रुकती है…ठनठनगोपाल बुंदेलखंडी जी ट्रेन से उतरते हैं…और सर्किट उनको रिसीव करता है…अब आगे….
अरे आवो आवो..ठनठन गोपाल जी मैं सर्किट आपका मुंबई मे स्वागत कर रियेला है..
ठणठन गोपाल : पर बड्डे हम तो आपको पहचानत ई नई हैं…आप कौन?
सर्किट – क्या बात कर रयेले हैं ठनठन भाई? आप सर्किट भाई को नईं पहचान रयेले हैं? हम मुन्ना भाई के खासमखास हैं बीडू…
ठनठन गोपाल – अरे बड़े भाई…तो पहले काये नही कहे हते कि आप मुन्ना भाई के आदमी हैं? खामखा हमको डरा दिये …? हमाओ तो मुंडा वैसे ई घूम गओ है इत्ती लम्बी यात्रा से. अब बड्डे तुम मुन्ना भाई के आदमी हो तो हमाये भी खास हि कहलाए…अब हमें एक दुसरे काम के लाने जाना है इतेई मुम्बई में…कल आकर मिलिहै मुन्ना भाई से…
सर्किट – अरे ठनठन भाई…हम आपकू लेके चल रयेला है ना बाप..आपकू किदर जाने का?
ठनठन गोपाल – बड्डे..हमे अकेलेई जानो है ऊते…काय नई समझ रहे यार सर्किट भाई..ऊ कछु काम ऐसो है कि कछु हमाओ फ़ायदा हुई है..कछू तुमाओ बी करा देहैं…पर हम कल आकर मिलिहैं तुमसे अऊर मुन्ना भाई से…अब देखो वो हमाए लाने चले आ रहे हैं लिवाए..उनहि के कने जानो है. समजा करे याल…
सर्किट – बिल्कुल ठीक कह रयेले हो ठनठन गोपाल भाई…हम बी जा रयेला है और मुन्ना भाई का टेम हो गयेला है चर्चा सुनने का…तो हम मुन्ना भाई को चर्चा सुना डालता है…आप कल जब बी आने का होयेंगा ना..अपुन को फ़ोन लगा डालने का ठनठन भाई..अपुन तुमको उदर सेईच आकर ऊठा लेगा…अब मैं बी जा रयेला है..
और अब सर्किट मुन्ना भाई के पास आकर…
भाई ..भाई..ठनठन गोपाल बुंदेलखंडी मुंबई आ गयेले है…और बोल रयेले थे कि कछु हमाओ फ़ायदो..कछू तुमाओ फ़ायदो..करके कल आ रयेले हैं आपसे मिलने कू..
अरे सर्किट ठीक है..वो तो कल ही इदर आयेंगे ठनठन भाई..अबी तुम चर्चा सुना डालने का..
हां भाई..मैं कबी मना किया?….सुनने का है तो सुनो…भाई..टेंशन नईं लेने का…saMVAdGhar संवादघर पर संजय ग्रोवर पूछ रयेले हैं उदारता क्या है ? और शाश्त्रीजी चर्चा मंच – पर उडनतश्तरी की पोस्ट "हाय री ये दुनिया?" (चर्चा मंच) का हैडिंग लगा कर चर्चा कर रयेले हैं..और रचना त्रिपाठी जी टूटी-फूटी पर बोल रयेली हैं जिस दिन एक गृहिणी के कार्यों को महत्व मिलने लगेगा उसी दिन नारीवादी आन्दोलन समाप्त हो जायेगा…।
क्या आप जानते है कि हर एक व्यक्ति को चाहे नर हो या नारी ईश्वर ने कितनी बड़ी जिम्मेद्दारी सौपी है? प्रत्येक नर-नारी का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस देश और समाज को एक सच्चा इंसान दे। अगर हम यह प्रण कर ले कि हमें स्वयं के रूप में और अपने बच्चों के रूप में इस समाज को एक अच्छा और सच्चा नागरिक प्रदान करना है तो इससे बड़ी जिम्मेद्दारी और क्या होगी?
और पी.सी.गोदियाल जी अंधड़ ! हालत बता रयेले हैं बेचारा ! की
अरे सर्किट इसकी खबर तो आज मैने स्बी अखबारों मे देखेली है..ये वोईच है क्या..
हां भाई ये बिल्कुल वोईच है…अब आगे…रंजना जी संवेदना संसार पर स्मृति कोष से.. से बोल रयेली हैं…
यह था मंच का मेरा पहला अनुभव, जिसे मैं इसलिए नहीं विस्मृत कर पाई हूँ कि एक पूरी गीत न जान और गा पाने के अपने अक्षमता के कारण मुझे कितनी ग्लानि हुई थी और मेरे माता पिता इसलिए नहीं विस्मृत कर पाए हैं कि उनकी बेटी ने चार वर्ष के अल्पवय में मंच पर निर्भीकता से कला प्रदर्शित कर उनका नाम और मान बढ़ाते हुए प्रथम पुरस्कार जीता था.यूँ मैं आज तक निर्णित न कर पाई हूँ कि मुझे वह प्रथम पुरस्कार क्यों मिला था...
और भाई अब पढने का बी एस पाबला जी प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा मे बता रयेले हैं..जनसत्ता में 'जोग लिखी के बारे में…और भाई उदर रामप्यारी ने ताऊजी डॉट कॉम पर एक सांप और नेवला पकड कर फ़िर मजमा लगा लियेला है..और विजेता बन गयेले हैं फ़र्रुखाबादी विजेता (150) : मुरारी पारीक…
और भाई इसके बाद वकील साहब आगयेले हैं तीसरा खंबा पर मेयर न्यायालय और सपरिषद गवर्नर के बीच आपसी विवाद और टकराव : भारत में विधि का इतिहास-24 लेकर…फ़िर अनिल कान्त : मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति पर ज़िक्र (एक प्रेम कहानी) पढवा रयेले हैं…फ़िर गगन शर्माजी Alag sa पर एक सुझाव दे रयेले हैं..मेरा एक सुझाव है, सोच कर देखीए.
मेरा एक सुझाव है कि किसी भी दिग्गज ब्लाग पर "गपशप" जैसा कुछ शुरू किया जाय। अब यहां एक से बढ कर एक "पोपुलर" जगहें हैं जहां हर कोई खिंचा चला आता है। इनमें किसी पर भी ऐसा कुछ शुरु किया जाय जिसमें हर ब्लागर अपने क्षेत्र की कोई भी जानकारी, कोई घटना, कोई नयी खबर, कुछ अनोखा यदि हो तो सबके साथ बांटे। और उसकी प्रतिक्रिया भी तुरंत उपलब्ध हो सके। जैसा कि अभी ताऊजी के फर्रुखाबादी खेल में सब बढ-चढ कर भाग लेते हैं, पहेलियों के अलावा भी नोक-झोंक में। उसी तरह दुनिया-जहान की बातें एक ही जगह हो जायें। कहने को तो हर ब्लाग ऐसी ही जानकारी रखता है, पर वहां संजीदगी पीछा नहीं छोड़े रहती। अब इसकी तुलना किसी "ट्वीटर या फेसबुक" से ना कर एक अलग रूप का खिलंदड़ा ब्लाग बन जाये तो कैसा रहे? जिसमे तरह-तरह की जानकारियाँ उपलब्ध हों।
इसके लिये भी मेरी ताऊजी से ही गुजारिश है कि वह एक नया ब्लाग शुरू करें। उनकी चौपाल से ज्यादा मुफीद जगह और कौन सी हो सकती है। यदि ऐसा हो तो चौपाल पर हुक्का गुड़गुड़ाने का समय थोड़ा देर से रखा जाय।
और भाई ये सुझाव ताऊ ने मान बी लियेला है और लगता है फ़िर जल्दीई ही कुछ होयेंगा भाई. मीनू खरे जी उल्लास: मीनू खरे का ब्लॉग पर इन्सिग्नीफिकेंट पढवा रयेली हैं…
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दोस्ती
इन्सिग्नीफिकेंट
दोस्त
इन्सिग्नीफिकेंट
मौक़े
सिग्नीफिकेंट
परिणाम
सिग्नीफिकेंट.
रविंद्र प्रभात जी परिकल्पना पर वर्ष-2009 : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-21) पढिये इन नौरत्नों के बारे में…
परिकल्पना से भावनाओं के साथ जुड़े कुछ चिट्ठाकारों की जिज्ञासा थी कि क्या वर्ष के नवरत्न और नौ देवियों की तरह नौ नए, किन्तु यशश्वी चिट्ठाकार का उल्लेख इस विश्लेषण के अंतर्गत नहीं किया जा सकता है ?काफी सोच- विचार के बाद मैंने इस प्रारूप को लाने का फैसला किया है जो आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है ।
महेन्द्र मिश्र समयचक्र पर हास्य परिहास्य - छुट्टे बड्डे की फुलझड़ी छुडा रयेले हैं…श्यामल सुमन जी मनोरमा पर बोल रयेले हैं उनको अबी बी किसी का इन्तजार है…..अजय कुमार झा जी कुछ भी...कभी भी. बोल रयेले हैं कि लौटूंगा तो ले के यादों के मेले, और अगली ब्लोग बैठक की घोषणा के साथ….
दरअसल ,कल से अपना एक सप्ताह का ग्राम प्रवास प्रस्तावित है । यानि कल की रवानगी है , माता जी की पहली बरसी ही मुख्य काम है जिसके लिए मैं जा रहा हूं । वापसी एक सप्ताह बाद होगी । लेकिन जब भी गांव जाता हूं तो जिस एक काम के लिए मुख्य रूप से यात्रा का संयोग बनता है उसके अलावा बहुत से ऐसे काम भी हो जाते हैं जो दिल को सुकून पहुंचाते हैं ।पहला तो होता है महानगरीय जीवन की भागमभाग से दूर गांव की शांति में जाना ऐसा होता है जैसे सुबह सुबह किसी पहाडी के ऊपर बने किसी सुंदर मंदिर में शांति से आप आंख मूंद के बैठे हों और मन तक शांति ही शांति । अपने लगाए पौधों /पेडों से बातचीत होगी । गांव के पुस्तकालय में रखी किताबों से पूछूंगा कि उन्हें कौन कौन निहारने /पढने आता है ।
हरकीरत ' हीर’ जी कुछ क्षणिकाएं ......... पढवा रयेली हैं…
शबाब बखेरती तितलियाँ .....
भूमिगत कब्रिस्तान से
अंकुरित तितलियाँ
पौधों की जड़ों से चूस लेती हैं खून
इंसानी सोच का .....
बहुरंगी भाषाओँ से खुशबू बिखेरती हैं
शबाब की इस दाखिली पर
झुक जाता है चेहरा ...
शर्म से .....!!
डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी रायटोक्रेट कुमारेन्द्र पर आत्मविश्वास और साहस की पहचान है ये खिलाड़ी..शाबास के बारे में….
अभी पिछले दिन ताऊजी के खुल्ला खेल फर्रुखावादी को देख रहे थे। समीर भाई के आयोजन में खेले जाने वाले खेल में एक चित्र देखा जिसको एक दूसरे चित्र ने ढाँक रखा था। सवाल जिस चित्र के बारे में पूछा गया था उस चित्र का जितना हिस्सा दिख रहा था उससे साफ जाहिर था कि ये किसी खिलाड़ी का चित्र है और ऐसा खिलाड़ी जो पैर से विकलांग होने के बाद भी लम्बी कूद में भाग ले रहा है। इसके बाद भी कृत्रिम पैर का हिस्सा जिस तरह से दिख रहा था उससे एक प्रकार की शंका भी उत्पन्न हो रही थी। कभी भ्रम होता कि कहीं ऐसा तो नहीं कि लम्बी कूद में भाग लेने वाले खिलाड़ी की आड़ में कुछ और दिख रहा हो?
डॉ महेश सिन्हा जी संस्कृति पर सुना रयेले हैं.. ताज़ा खबर : उड़न तश्तरी का नियंत्रण केंद्र से संबंध टूटा….राजकुमार ग्वालानी राजतन्त्र… बोल रयेले हैं लखपति ही लड़ सकते हैं पार्षद चुनाव वकील साहब अनवरत पर यौनिक गाली का अदालती मामला के बारे मे बता रयेले हैं…गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल' जबलपुर-ब्रिगेड पर ब्रिगेड के एक नियमित पाठक कवि बसंत मिश्र जी से मिलवा रयेले हैं……..खुशदीप सहगल देशनामा पर क्या आप टीना फैक्टर जानते हैं...खुशदीप
आज ब्लॉग के ज़रिए मैं एक संवाद शुरू करना चाहता हूं...पूरी ब्ल़ॉगर बिरादरी से मेरा आग्रह है इस संवाद में खुल कर अपने विचार रखें...मंथन होगा तो शायद हम विष को अलग कर अमृतपान की दिशा में आगे बढ़ सकें...मैं कोशिश करूंगा कि एक-एक करके ऐसे मुद्दे उठाऊं जो मेरे, आपके, हम सबके जीवन पर प्रभाव डालते हैं, समाज का चाल और चरित्र तय करते हैं...इस कड़ी में सबसे पहले बातराजनीति की...
रस्तोगी जी सूर्यपुत्र महारथी दानवीर कर्ण की अद्भुत जीवन गाथा “मृत्युंजय” शिवाजी सावन्त का कालजयी उपन्यास से कुछ अंश – ३४ [कर्ण की अपने गुरु के प्रति श्रद्धा…..] पढवा रयेले हैं…कवि योगेन्द्र मौदगिल कविता पढवा रयेले हैं उर्वशी के नाम पर.....
'अदा' जी काव्य मंजूषा पर जन जन के धूमिल प्राणों में...मंगल दीप जले..!! मे कह रही हैं…
मैं अपने सभी मित्रों से, पाठकों से और मेरे अपनों से एक बात स्पष्ट करना चाहती हूँ...
मैं किसी भी 'वाद' के पक्ष में नहीं हूँ...'जियो और जीने दो' जैसी बात का ही समर्थन करती हूँ...
इसी भावना को सामने रखते हुए मेरी यह कविता समर्पित है....आपको..आपको...और आपको भी...
स्वीकार कीजिये ...!!!!
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जन जन के धूमिल प्राणों में
मंगल दीप जले
तन का मंगल,मन का मंगल
विकल प्राण जीवन का मंगल
आकुल जन-तन के अंतर में
जीवन ज्योत जले
मंगल दीप जले
विष का पंक ह्रदय से धो ले
मानव पहले मानव हो ले
दर्प की छाया मानवता को
और व्यर्थ छले
मंगल दीप जले
आदित्य (Aaditya) बता रयेला है..जू जू मेरी नई पसंद... इन दिनों कार्टून से लगाव हो गया है.. और कार्टून नेटवर्क पर टॉम और जैरी भी पसंद आने लगे है.. कभी टीवी चलवाकर भी कार्टून देखे जाते है.. ये कार्टून देखते देखते बीच बीच में आने वाले जू जू से कुछ ज्यादा ही प्यार हो गया.. और ये बेकरारी ऐसी बढ़ी की मुख्य कार्यक्रम भी बेकार लगाने लगा और नॉन स्टॉप जू जू की डिमांड होने लगी.. हमेशा आने वाले ये विज्ञापन पता नहीं क्यों नहीं आ रहे थे.. और मेरी बेकरारी बढाती ही जा रही थी.. इन्तजार और बेकरारी देखीये इस वीडियो में.
अरविंद मिश्राजी साईब्लाग [sciblog] पर अवतार के बहाने विज्ञान गल्प पर एक छोटी सी चर्चा ! कर रयेले हैं….
विज्ञानं गल्प फिल्म अवतार इन दिनों पूरी दुनिया में धूम मचा रही है ! फ़िल्म भविष्य में अमेरिकी सेना द्वारा सूदूर पैन्डोरा ग्रह से एक बेशकीमती खनिज लाने के प्रयासों के बारे में है ! पूरी समीक्षा यहाँ पर है ! अमेरिका में अब यह बहस छिड़ गयी है कि यह फ़िल्म विज्ञान गल्प (साईंस फिक्शन या फैंटेसी )है भी या नहीं.मेरी राय में यह एक खूबसूरत विज्ञान फंतासी ही है और अद्भुत तरीके से हिन्दू मिथकों के कुछ विचारों और कल्पित दृश्यों से साम्य बनाती है!
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून चूटीला कार्टून दिखा रयेले हैं कार्टून:- 'नज़र रक्षा जंतर' वालों की जमात……पंकज सुबीर सुबीर संवाद सेवा….तरही मुशायरे को लेकर कुछ लोगों की ग़ज़लें मिल चुकी हैं क्रिसमस से प्रारंभ करने की इच्छा है । आज जानिये ये कि कैसे बनती हैं ग़ज़लें, उसके मूल तत्व क्या होते हैं ।….स्वामी ललितानंद महाराज श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी पर प्रवचन दे रयेले हैं…अन्तर सोहिल = Inner Beautiful बोल रयेले हैं…बात अब तक बनी हुई है…हिमांशु भाई सच्चा शरणम् पर अधूरी कविता ..
दौड़ो !
आओ !
बटोर लो !
मेरे अन्तर में
गहुआ कर फूल उठा है पारिजात-वन,
और विनीता यशस्वी जी यशस्वी पर मेरी दिल्ली यात्रा – 3 का यात्रा वृतांत सुना रयेली हैं..
इसके बाद अगली मंज़िल थी इंडिया गेट। इंडिया गेट में द्वितीय विश्व युद्ध और द्वितीय अफगान युद्ध में शहीद हुए शहीदों के नाम लिखे गये हैं और इसे उनकी याद में ही बनाया गया था। इंडिया गेट में सन् 1971 से एक ज्योति हर समय जलती रहती है जिसे `अमर जवान ज्योति´ कहते हैं। इंडिया गेट में हमने ज्यादा समय नहीं बिताया बस इसे देखा कुछ देर अमर जवान ज्योति के सामने खड़े रहे। कुछ तस्वीरें ली और आ गये। आजकल इस स्थान में भी काफी भीड़ थी।
रंजना [रंजू भाटिया] कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** पर लफ्ज़ ,कुछ कहे -कुछ अनकहे ("क्षणिकाएँ..")
साथ
जब मैं उसके साथ नही होती
तो वह मुझे
हर श्ये में तलाश करता है
पहरों सोचता है मेरे बारे में
और मिलने की आस करता है
पर जब मैं मिलती हूँ उस से
तो वह तब भी कुछ
खोया सा उदास सा
न जाने क्यों रहता है !!
और अब आखिर मे ललित शर्मा जी शिल्पकार के मुख से पर व्याकुल हो रयेले हैं मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ!!! और व्याकुल जी की रचना पढवा रयेले हैं..
कवि प्रकाशवीर "व्याकुल" जी अपनी व्याकुलताओं का कारण बताते हुए क्या कहते हैं, ये मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.
दुर्भाग्य देश का उस दिन था बैठी जहाँ सभा सारी.
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बैठे थे अंधे धृतराष्ट्र बैठे थे भीष्म ब्रम्हचारी
बैठे द्रोणाचार्य गुरु बैठे कौरव नर-नारी
और सिंहासन पर बैठा था वो दुर्योधन अत्याचारी
बैठे थे कृष्ण भगवान वहीं प्रस्ताव संधि का सुना दिया
मांगे थे केवल पॉँच गांव पांडव को इतना दबा दिया
हर तरह नीच को समझाया परिणाम युद्ध का जता दिया
उसने सुई की नोक बराबर भी भूमि को मना किया
इन इतिहास के पन्नों की मैं जब-जब खोज लगाता हूँ
मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ.
भाई अब मैं जा रियेला हूं…क्या? अबी मेरे कू ठनठन गोपाल भाई से शाम कू मिलने जाने का है…आप अबी खा के..पी के..आराम करने का भाई…सर्किट भाई अबी निकल गयेला है….सलाम नाम्स्ते..सब बहन भाई लोग कूं…
13 टिप्पणियाँ:
रोज की तरह रोचक और सुन्दर चर्चा !
22 दिसंबर 2009 को 5:50 pm बजेबहुत बढिया !!
22 दिसंबर 2009 को 6:06 pm बजेसुन्दर चर्चा शुक्रिया कुछ मेरी कलम से लेने के लिए
22 दिसंबर 2009 को 6:14 pm बजेएकदम बढिया, फर्स्टक्लास चर्चा......
22 दिसंबर 2009 को 6:16 pm बजेझकास चर्चा भाई, मजा आ गयेला अपुन को, बधाई
22 दिसंबर 2009 को 7:25 pm बजेसुन्दर चर्चा ........
22 दिसंबर 2009 को 7:53 pm बजेबेहतरीन चर्चा...आज एग्रीगेटर समस्या कर रहे हैं तो यह हमेशा से भी ज्यादा, बहुत काम आया..धन्यवाद!!
22 दिसंबर 2009 को 10:21 pm बजेबेहद दिलचस्प शैली
22 दिसंबर 2009 को 10:47 pm बजेमज़ेदार
बी एस पाबला
ek hi sath kafi achhe chithe parne ko mil jate hai yaha pe aake...
23 दिसंबर 2009 को 1:55 pm बजेहमेशा की तरह झकास चर्चा.
23 दिसंबर 2009 को 1:58 pm बजेरामराम.
बढिया चर्चा जी. आज हम आपके ब्लाग पर पहली बार आये दिल खुश हो गया.
23 दिसंबर 2009 को 2:57 pm बजेObligations Meaning in Hindi
29 अगस्त 2019 को 10:06 pm बजेSpirit Meaning in Hindi
Swag Means in Hindi
nitiative Meaning in Hindi
Concerned Meaning in Hindi
Savage Meaning in Hindi
Flirt Meaning Hindi
Spiritual Meaning in Hindi
29 अगस्त 2019 को 10:07 pm बजेExcept Meaning in Hindi
Legend Meaning in Hindi
Spouse Meaning in Hindi
Buzz Meaning in Hindi
Exhausted Meaning in Hindi
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