इश्क़ का सैलाब, शक्ले-अश्क लेकर, ढलकर निकल लियेला है : सर्किटचर्चा

मुन्ना भाई मैं आपकू नमस्ते कर रयेला हूं…क्रिसमस की शुभकामनाएं दे रयेला हुं.. नमस्ते..नमस्ते सर्किट…तुम किदर चले गयेला था? वो बिट्टू बावल्यो अप्पुन को  चर्चा सुना के गयेला था..उसके बाद ब्लाग रस मिलाईच नईं बाप…बहुत प्यास लग रयेली है… अरे मुन्ना भाई..अपुन अब क्या करेगा? चिट्ठाजगत...
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घणी सोवणी लाग री है आज तो..: बिट्टू बावल्यो री ब्लाग चर्चा

बिट्टू बावल्यो आप सब लोगां और लुगाईयां न बिट्टू बावल्यो री परणाम . मैं बाजार जावै हो पर म्हारी बिंदणी बोली कि अईयां कईयां बाजार जावोला? पहली मन्नै बिलाग चर्चा बांचकै फ़ेर बाजार जावो. मैं बोल्यो अर बावली बातां क्युं करै है तू? मैं वापस आकर सुनाऊंलो..पण वा ओ बीरबानी की जात…एक...
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कछु हमाओ फ़ायदो..कछू तुमाओ फ़ायदो..करके कल आ रयेले हैं आपसे मिलने कू..

सर्किट रेल्वे स्टेशन पर ठनठनगोपाल  बुंदेलखंडी को लेने के लिये प्लेटफ़ार्म पर खडा है. ट्रेन आकर रुकती है…ठनठनगोपाल बुंदेलखंडी  जी ट्रेन से उतरते हैं…और सर्किट उनको रिसीव करता है…अब आगे…. अरे आवो आवो..ठनठन गोपाल जी मैं सर्किट आपका मुंबई मे स्वागत कर रियेला है.. ठणठन गोपाल...
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