गुरुवार, 18 मार्च 2010

गैस पेपर--शब्दचित्र--धीमा जहर--ये कैसा डर--(ब्लाग चर्चा)------ललित शर्मा

सर्किट बहुत दिन से बिना बताए गायब  है--मुन्ना भाई उसको ढुंढते हुए हमारे तक पहुंच गए--कहने लगे सर्किट कहीं दिखे तो बताना और आज की चर्चा आप कर दिजिए, तो हमने भी उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। जो समय पर काम आवे वही सच्चा मित्र होता है। तुलसी दास जी ने भी कहा है धीरज धरम मीत अरु नारि-आपत काल बिचारिए चारि-- इसी भाव को लेकर मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की चर्चा पर..............
आज की चर्चा का आगाज करते हैं मिसफ़िट से गिरीश बिल्लौरे जी जबलपुरिया की पोस्ट से--- उनका कहना है कि कुपोषण कोई बिमारी नही, बिमारी का भेजा गया नि्मंत्रण है--- जी हाँ एक अखबार में प्रकाशित  समाचार में  शिशु उत्तर जीविता के मसले पर सरकार द्वारा उत्तरदायित्व पालकों का नियत करना अखबार की नज़र में गलत है. इस सत्य को   अखबार चाहे जिस अंदाज़ में पेश करे  यह उनके संवाद-प्रेषक की निजी समझ है तथा यह उनका अधिकार है......! .  किन्तु यह सही है  कि अधिकाँश भारतीय ग्रामीणजन/मलिन-बस्तियों के निवासी  लोग महिलाओं के प्रजनन पूर्व  स्वास्थ्य की देखभाल और बाल पोषण के मामलों में अधिकतर उपेक्षा का भाव रखते हैं . शायद लोग इस मुगालते में हैं कि सरकार उनके बच्चे की देखभाल के लिए  एक एक हाउस कीपर भी दे ...?
चलते हैं अगली पोस्ट पर--आज ताऊ डॉट इन पर पढिए-- एक कविता रिश्ते----पता नही आजकल रिश्ते इतने नाजुक क्यों होगये हैं? और आभासी रिश्ते तो वाकई पल पल इधर उधर बिखरते नजर आते हैं. कभी कभी तो इस पत्थर की फ़र्श पर लिखे शब्दों की तरह नजर आने लगते हैं. अक्सर सोचता हूं कि क्या यही रिश्ते हैं?
काव्य मंजुषा पर अदा जी कह रही हैं--इतना तन्हा कितना तन्हा होगा अब और इस दिल का क्या होगा,इतना तन्हाँ है, कितना तन्हाँ होगा,सारे के सारे अक्स मुझे फ़रेब लगे,कोई चेहरा तो कहीं सच्चा होगा,मुझे सच का आईना दिखाने वाले,शायद तेरी आँखों का धोखा होगा, ---गुनगुनाती धुप पर अल्पना वर्मा जी से सुनिए-- वो इश्क जो हमसे रुठ गया
श्री तन सिंह जी के ब्लाग पे पढिए-- चेतक की समाधि से 3---" एक दिन संवत १६३३ के जेष्ट सुदी २ , तारीख ३० मई १५७६ बुधवार के प्रभात काल में उनके शिविर में मंद स्वर में कुछ मंत्रणा सी हो रही थी | एक स्त्री -कंठ याचना भरे शब्दों में अनुनय कर रही थी - " मैं नाचना चाहती हूँ , जी भर कर नाचना चाहती हूँ | बहुत समय बीत गया है , एक बार तो कम से कम तुम भी मुझे नचाओ |" उत्तर में उन्होंने कहा - " मैं ताल दूंगा और तुम नाचना | " मुझे उन पर कभी संशय नहीं हुआ , किन्तु उपरोक्त मंत्रणा के सम्बन्ध में जिज्ञासा बनी रही | प्रभात काल में वे बाहर आये और मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए उन्होंने कहा - " मैंने रणचंडी को नाचने का वायदा किया है - कैसा 'क साथ दोगे ?" और मुझे समझ आ गया , कि उगने वाला सूर्य क्या देखेगा |
अवधिया जी बता रहे हैं धान के देश से टॉप ब्लागर का रहस्य-वो क्या है टिप्पण्यानन्द जी, हमारी सफलता के पीछे कई बातें हैं। पहली बात तो यह है कि आपको पोस्ट निकालना आना चाहिये। पोस्ट किसी भी चीज से निकाला जा सकता है। जैसे नदी में तरबूज-खरबूज आदि की खेती हो रही है तो उस पर पोस्ट निकाल लो। आपके घर के पास कुतिया ने पिल्ले दिये हैं तो झटपट उन पिल्लों के फोटो ले लीजिये और एक पोस्ट निकाल कर चेप दीजिये उन फोटुओं को। यात्रा के दौरान आपका सूटकेस चोरी हो गया तो उससे भी पोस्ट निकाला जा सकता है। आपको रास्ते में कोई विक्षिप्त दिख गया तो उससे एक पोस्ट निकाल लीजिये। जब लोगों को किसी भी ग्राफिक्स में अल्लाह नजर आ जाता है, सिगरेट के धुएँ में चाँद-सितारे आदि दिख जाते हैं तो किसी भी चीज से पोस्ट क्यों नहीं निकाला जा सकता? हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि पोस्ट कहीं से भी निकल सकता है।
शब्दचित्र कलाकृति है--उड़न तश्तरी पर बता रहे हैं समीर लाल जी--कहते हैं शब्दचित्र कलाकृति हैं, हृदय में उठते भावों के रंग से कलम की कूचि से कागज पर चित्रित.कवि, शब्दों को चुनता है, सजाता है, संवारता है और उन्हें एक अनुशासन देता है कि शब्द अपने वही मायने संप्रषित करें जिनकी उनसे अपेक्षा है.हर शब्द नपा तुला, रचना को संतुलित रखता और अन्य शब्दों के साथ मिल कर, अपनी गरिमा को बरकरार रखते हुए, पूरी रचना को एक आकृति प्रदान करता. काव्य सृजन एक कला है और कवि एक कलाकार.
शब्दों का सफ़र चल रहा है बता रहे हैं अजीत वडनेरकर--तुफ़ाने-हमदम और बंवड़ा बंवड़ी--- तुफान हिन्दी का आम शब्द है। तेज हवा या चक्रवात के लिए इसका इस्तेमाल होता है। पारिभाषिक रूप में समुद्री सतह पर तेज बारिश के साथ चलनेवाले तेज अंधड़ को तूफान कहते हैं मगर हिन्दी में इस शब्द का साधारणीकरण और सरलीकरण दोनो हुआ है। तूफान शब्द का इस्तेमाल अब जमीन की सतह से उठने वाली धूल भरी आंधी के लिए भी होता है। तेज हवा और वर्षा का वेगवान स्वरूप सब कुछ तहस नहस कर देता है इसलिए मुहावरे के रूप में तूफान शब्द का अर्थ विपत्ति, आफ़त, गुलगपाड़ा, बखेड़ा, झगड़ा, विप्लव आदि भी है। शोर-गुल, हल्ला-गुल्ला के लिए भी तूफान शब्द का इस्तेमाल होता है और झूठे दोषारोपण से मचे बवाल को भी तूफान कहा जाता है।
अमीर धरती गरीब लोग पर अनिल पुसदकर जी बचपन के स्कुल की दिनों की याद कर रहे हैं, सीजन परीक्षा का, गैस पेपर और खुबसूरत यादें----एक दिन अचानक़ एक स्कूटर आकर रुका और उसपर सवार दो युवतियों मे से एक ने पूछा कि दिलीप जी से मिलना है?जो स्कूटर चला रही थी वो तो बेहद साधारण थी लेकिन पीछे जो बैठी थी वो बला कि खूबसुरत थी।उस सूखे-तपते रेगिस्तान मे दोनो का आ जाना अमृत की बूंदो के समान सुखदायी था।दोनो अचानक़ सामने आ गई थी इसलिये प्लानिंग करके कुछ किये जाने की स्थिति मे ह लोग नही थे और इससे पहले कोई कुछ कहता मैने उन्हे रूखा सा जवाब दे दिया दिलीप नही आया है?कब आयेगा के सवाल का जवाब और भी रूखा था,पता नही!
मा पलायनम! पर डॉ मनोज मिश्र जी बता रहे है---राजा रामचंद्र जी और उनके पाँच हजार सैनिक--- पिछले दिनों मैं अयोध्या में था और अपने प्रवास की बात कर रहा था .श्री राम जन्मभूमि परिसर में सुरक्षा के लिए लगभग पांच हजार जवान लगे हैं.श्री राम लला के दर्शन के दौरान मैंने अपनें साथ गये एक पत्रकार मित्र से कहा कि वाह ,क्या चाक-चौबंद व्यवस्था है,वाकई यहाँ तो परिंदा भी पर नहीं मार सकता.मेरे पत्रकार मित्र नें कहा कि कि अब राजा केलिए इतने सेवक-सैनिक तो रहेंगे ही.उनके कहने का अंदाज़ ऐसा था कि मुझे हंसी आ गयी .मैंने उनसे कहा कि यह आप क्या कह रहे हैं .उन्होंने कहा मैं सही कह रहा हूँ यहाँ सब के सब श्री राम लला की सेवा में ही तो है,अब राजा हैं तो सेवक होने चाहिए न.बिना सेवक के कैसा राजा।
ममता टीवी पर ममता जी पुछ रही हैं--ये कैसा डर मु्लायम सिंह को?-- शायद आप लोगों ने भी पढ़ा होगा की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह को ये डर है की महिला आरक्षण देश को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है । यही नहीं मुलायम सिंह का तो ये तक सोचना है की महिला आरक्षण के कुछ साल बाद संसद सिर्फ महिला सांसदों की होगी ।अभी मुलायम सिंह को काफी चिंता हो रही है की ३३ प्रतिशत आरक्षण के बाद संसद मे महिलाओं की संख्या हर चुनाव के बाद बढती जायेगी। और तो और उनका ये तक सोचना है कि देश का भविष्य क्या होगा जब देश inexperienced महिलाओं के हाथ मे होगा ।और अनुभव तो तभी होगा ना जब वो संसद तक पहुंचेंगी
खुशदीप सहगल कह रहे है-- दम ले ले घड़ी भर ये आराम कहां पाएगा---हम देर से उठते हैं...अपने बच्चों के साथ खेलते हैं...पत्नियों के साथ बढ़िया खाना बना कर खाते हैं, शाम को हम दोस्त-यार मिलते हैं...साथ जाम टकराते हैं...गिटार बजाते हैं...गाने गाते हैं...मौज उड़ाते हैं..फिर थक कर सो जाते हैं...या यूं कहें ज़िंदगी का पूरा आनंद लेते हैं... मैं हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए हूं...मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं...मेरी सलाह है कि तुम मछलियां पकड़ने में ज़्यादा वक्त लगाया करो...और जितनी ज़्यादा मछलियां पकड़ोगे, उन्हे बेचकर ज़्यादा पैसे कमा सकते हो...फिर उसी पैसे को बचाकर  बड़ी नौका खरीद सकते हो...
मिलिए प्रख्यात चित्रकार श्री डीडी सोनी से एक साक्षात्कार मे ललित डॉट कॉम पर ---- मित्रों आज मै आपका परिचय भारत के प्रसिद्ध चित्रकार एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व डॉ.डी.डी. सोनी जी करवा रहा हुँ। इन्होने चित्रकला के क्षेत्र मे नए सोपान गढे हैं तथा अपनी जीवन यात्रा मे काफ़ी संघंर्ष किया है। परम्परागत रुप से की जाने वाली चित्रकारी से लेकर आधुनिक चित्रकला के क्षेत्र मे इन्होने हाथ आजमाया तथा सफ़लता भी मि्ली। आज इनकी पेंटिग लाखों में बिकती है। इनसे बहुत सारे नए चित्रकार चित्रकला की बारीकियाँ सीखने आते हैं, उन्हे सहज भाव से समझाते हैं। इन्होंने बहुत सारी विधाओं पर काम किया है जैसे लैंड स्केप, पोट्रेट, लाईव, मार्डन पेंटिग,मिनिएचर, ड्राईंग प्रोसेस, पैचवर्क, नाईफ़ पैंटिग इत्यादि।
किशोर अजवानी बता रहे हैं श्री श्री रविंशंकर से मिलना है --एक्चुअली तो लेट हो गया अब लेकिन फिर भी अगर आपके ज़ेहन में श्री श्री रविशंकर के लिए कोई सवाल हो तो सुबह तक मुझे बता दें, कल दोपहर बारह बजे इंटरव्यू है उनका लाइव। हो सका तो आपका सवाल ज़रूर लूंगा। मतलब वो विविध भारती की तरह तो न ले पाऊंगा कि फ़लां फ़लां का फ़लां जगह से ये सवाल है। अजय झा जी- ले आए हैं आज का मुद्दा--गुटका पान मसाला एक धीमा जहर--आज से एक दशक पहले तक आम लोगों ने यदि किसी पान मसाले के बारे में देखा सुना था या कि उपयोग किया करते थे तो वो शायद पान पराग और रजनीगंधा हुआ करता था । उसकी कीमत उन दिनों भी आम पान मसाले या सुपाडी से कुछ ज्यादा हुआ करती थी ।
आज अनिता कुमार जी का जन्म दिन है--उन्हे बधाई देने के लिए यहां जाएं

अब चर्चा को देते हैं विराम-आपको ललित शर्मा का राम-राम----मिलते हैं ब्रेक के बाद

6 टिप्पणियाँ:

Anil Pusadkar ने कहा…

एक बात तो तय है ललित इस काम मे मेहनत तुम बहुत करते हो और वो भी पूरी ईमानदारी से,बेमन से नही।तुम्हारे काम को सलाम।

18 मार्च 2010 को 10:25 am बजे
Unknown ने कहा…

जै हो!

18 मार्च 2010 को 10:36 am बजे
Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

uttam post charcha

18 मार्च 2010 को 10:49 am बजे
बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Shukriya

18 मार्च 2010 को 11:16 am बजे
girish pankaj ने कहा…

bahut dino k baad dekh raha hoo tumhara blog. kabhi mai baahar rah, kabhi computer kharaab raha. khair, badhaai, gazab ki mehanat karte ho..

18 मार्च 2010 को 11:04 pm बजे
दिगम्बर नासवा ने कहा…

Achee charcha ..

9 जून 2010 को 12:15 pm बजे

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