बकवास मत कर सार्थक लिख ताजगी और बदलाव के लिये : चर्चाकार (ललित शर्मा)


आज मुन्ना भाई ने सर्किट को भेज दिया और कहा कि ललित शर्मा को कह दो एक चर्चा हमारे ब्लाग पर भी होनी चाहिए, बताईये अब मरता क्या ना करता चलो रे भाई मुन्ना भाई का आदेश है मनाना ही पड़ेगा, पानी में रहके .......ठीक नहीं है, एक समाचार बता रहा हुई कि रायपुर कलेक्ट्रेट के कुत्तों से निगम कर्मचारी भयभीत हैं और उन्होंने कुत्तों से सेटिंग कर ली है. इसका पता तब चला मेयर मेडम ने उन्हें पकड़ने के लिए कहा. सख्त निर्देश पर भी कुत्ते नहीं पकडे गए. मेडम के असिस्टेंट को कुत्ते ने काट डाला तब मेडम ने कहा कि आस पास में कुत्ते नहीं अब नहीं दिखेंगे. अब जब भी मेडम के असिस्टेंट कलेक्ट्रेट जाते हैं तो उनको मुंह चिढाते हुए कुत्ते अठखेलियाँ करते है और लोग  पूछते हैं "क्या हुआ कुत्तों का? ये तो था एक समाचार अब मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की चर्चा पर............
आज गिरिजेश राव जी फिर स्कुल जा रहे हैं और सब सहपाठियों से निवेदन कर रहे हैं कि स्कूल चले हम.भैया कालेज में कोई पढाई थोड़ी ना होती है पढ़ना है तो स्कुल जाना ही पड़ेगा और जो मजा स्कुल की पढाई में है वो कालेज की पढाई में कहाँ? हम सोच रहे हैं कि दो बार पांचवी पढ़ लेंगे तो १० क्लास की पढाई तो हो ही जाएगी अब किसी के पूछने पर नान मैट्रिक की डिग्री नहीं बतानी पढेगी सीधा ही मेट्रिक बताएँगे. इस लिए हम भी चलते हैं अब स्कुल. गिरिजेश भाई स्कुल पहुँच कर क्या कह रहे है देखिये."मैडम को सफेद अच्छा लगता है।"
अब आगे चलते हैं तो कुलवंत हैप्पी गुमशुदा की तलाश में निकल पड़े हैं लेकिन जिस चीज की तलाश में निकले हैं वह चीज बिना वैराग के नहीं मिलती चलो किसी दिन इस मायावी दुनिया से थक जायेंगे तो वैराग आ ही जाएगा और  अभीष्ट की प्राप्ति हो जाएगी, अब एक तरफ वैराग है तो दूसरी तरफ फागुनी विरह प्रकट हो रहा है.रानी विशाल जी फरमा रही है कि ना आये विरह की रैन.. तुम बिन सब सुख दुःख भये, ना पाए मन कहीं चैनप्राण जाए तो जाए पर, ना आए विरह की रैन, ये विरह ही ऐसी चीज है जो बहुत दुःख देती है
चलते हैं ३६ गढ़ की ओर जहाँ से महुए की भीनी भीनी,सोंधी-सोंधी खुशबु आ रही है और  शिल्पकार कह रहे हैं गजब कहर बरपा है महुए के मद का भाई.....यही समय जब महुआ के रस भरे फ़ूल जब धरती पर गिरते हैं तो इनकी खुशबु से पूरा वातावरण महक जाता है एक मादकता छा जाती है. फागुन आने का सन्देश सब तक पहुँच जाता है, हम भी महुआ के रस में तर हो गए हैं. आप भी कुछ तर होइए और फागुन का मजा लीजिये होरियारों के संग. इधर भी कुछ फागुन का ही माहौल बना हुया है,अब क्या कहिये काजल भाई पूछ रहे हैं कि सच बताना यह बस आपने कहीं देखी है. काजल भाई दिन भर हम मिथ्या व्यापर करते हैं और झूठ से फुर्सत मिलेगी तो कसम से सच भी कह देंगे आपकी बात जरुर रखेंगे काटेंगे नहीं.इतना वादा रहा हमारा.
ताऊ ने फिर पूछी है एक पहेली और उसका हिंट भी दे दिया है अब राम ही जाने कौन बनेगा विजता? इधर सतीश सक्सेना जी ताऊ की पोल खोलने में लगे हैं उनके सारे प्रोडक्ट को नकली बता रहे हैं लेकिन  मुझे समझ में नहीं आया कि जब सारे प्रोडक्ट नकली हैं तो क्रीम से समीर लाल कैसे गोरे हो गये? वैसे क्रीम तो चमत्कारी लगती है.बाकी सतीश जी बता रहे हैं.आप भी लीजिए आनंद.समीर लाल गोरे होए हैं और अवधिया जी लाल हो गए हैं. अब ये कैसे हो गया कौन सी क्रीम लगायी, क्रीम नहीं लगाई ये तो देखने से ही लाल हो गये, लाली मेरे लाल की जीत देखो उत लाल, लाली देखन मैं गई और मै भी हो गयी लाल, आज इन पर लालित्य छा गया है होली का,बहुत लाल-बाल हो गये हैं.
दिल्ली में चलना अब दिल्लगी नहीं रह गया है, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता, अविनाश जी पहले पप्पू के साथ गाड़ियों की बहुत सवारी करते थे.लेकिन अब गर्दी देख के उनका भी मन सायकिल खरीदने की बजाय रिक्शा खरीदने का हो गया है. क्योंकि सायकिल पे तो दो लोग ही मुस्किल से बैठ सकते हैं और रिक्शे पर कई ओवरलोड होने से चालान का भी खतरा नहीं है, इधर एक खतरा टला नहीं की अनिल पांडे जी एक खतरा उठा रहे हैं और एक व्यथा बतला रहे हैं,अंतर सोहिल जी ने तो नामरूप अंतर जगा दिया, मुझे तो इनका नाम सामने आते ही अपूर्व आनंदाभुति होती है  जैसे भीषण गर्मी में किसी नीम के ठन्डे पेड की छाया, आज इन्होने चेताया  है कि बकवास मत कर, सार्थक लिख, अब आप सोच लीजिये क्या करना है?
परिकल्पना पर फगुनाहट की गुनगुनाहट है. आज अनुराग शर्मा जी की कविता प्रकाशित की गयी है. बहुत ही सुन्दर कविता है, बोल सियापति राजा रामचंद्र की जय, पवन सूत हनुमान की जय. अब हनुमान जी लंका में अशोक वाटिका में पहुँच गए हैं. लंका का दहन होगा. अवधिया जी की रामायण का प्रसंग है. संगीता पूरी जी ने अंधविश्वास के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और डटी हुयी हैं एक सैनिक की तरह मोर्चा लेने के लिए, रेखा श्रीवास्तव जी नारी का संबल बढा रही हैं और उन्हें कह रही है कि निर्बल मत बनो कर्म करो कुछ ऐसे कि सबल हो जाओ,
अरे भैया ये फकीरा भी कभी कभी गजब के रोल करते है. होली आई नहीं है और हाथ में दारू की बोतल लेकर शराबी का रोल कर रहे है. इधर परीक्षा सर पर आई है और  गोदियाल जी  वाह जी खुशवंत सिंग जी कह कर उन्हें शाबासी दे रहे हैं. मनोज जी बहुत ही मेहनत करते हैं. जब से इन्होने होली के कुछ चिट्ठों की चर्चा की है तब से ये भी होलिया गए है और कह रहे है होली आई रे
आज उडन तश्तरी रेस्ट पर है तो अदा जी उड़ान  पर हैं काव्य मञ्जूषा पर बहुत ही सुन्दर भाव भरी कविता है तथा ऊ छाता वाला फोटू भी बहुत सुन्दर लगा है कविता के साथ. इधर अजय झा कह रहे हैं तेरे बिना जी नहीं लगता, झा जी अगर हमारे लिए कह रहे हैं तो जल्दी ही मिलन होगा जब हिया मिलेगा तो जीया भी लगेगा.  सुबीर संवाद सेवा पे पढ़िए नजीर अकबराबादी का पूरा गीत "जब फागुनी रंग झमकते हों" फागुन का आनंद लीजिये डॉ.मनोज  मिश्र जी भी आज हमारे साथ महुआ के फेरा में पड़ गए हम तो महुआ-महुआ हुए, उनका भी मन होने लगा महुआ-महुआ, महुवे की खुशबु ही कुछ ऐसी है कि दीवाना बना देती है.
भैया अब इतना पढ़ने के बाद खुशदीप भाई मुस्कुराने कह रहे हैं जबकि हम चाहते हैं कि कविता का इनाम मिल जाये तो मुस्कुराएँ, क्योंकि जब से अनारकली कहीं चली गयी है हम मुस्कुराना ही भूल गए हैं. ताजगी और बदलाव के लिए  अब मै खुद को ही प्यार करने लगा, और चाहता हूँ कि इस थकान भरे दिन के बाद कोई थपकियाँ देकर सुला दे, प्रकृति का क्रूर प्रहार सही बहुत याद आओगे निर्मल तुम. आज फिर मेहनत से चिट्ठों के मोती पिरोकर एक माला बनायीं है. पसंद आये तो मुक्त कंठ से आशीर्वाद दीजिएगा. अब दे रहा हूँ इस चर्चा को विराम-सभी भाई-बहनों को ललित शर्मा का राम-राम........................!
Read More

गधे ब्लागिंग क्युं करते हैं? संतू गधा पूछ रयेला है आपसे!

सर्किट भाई आप सबकू सलाम नमस्ते कर रयेला है….और आगे की चर्चा सुना रयेला है. मुन्ना भाई अबी तो सो रयेले हैं..अपुन का नींद उखड गयेला तो मैं ये चर्चा बांचने कू लग गयेला है…आप बी सुनने का अगरबत्ती लगाके…आप लोग  अगरबत्ती लगाके चर्चा सुनेगा तो आप की पोस्ट हिट होयेंगी..तो अबी अगरबत्ती लगाने का और चर्चा सुनने का…

 

मेरी दुनिया मेरे सपने पर ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ भाई बोल रयेले हैं.. वर्ष 2009 के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर्स हेतु संवाद सम्मान:- 20 श्रेणियाँ, 250 नामांकन। नाम फाइनल करने में 'नाकों चने चबाना', 'पहाड़ चीर कर नहर बनाना', 'लोहे के चने चबाना' जैसे सारे मुहावरे सार्थक हो गये। -

 

और झकाझक टाइम्स पर दिल्‍ली ब्‍लॉगर मिलन या मोबाइल मिलन हो रहा है : मजा न आये तो पैसे वापिस (अविनाश वाचस्‍पति) कर रयेले हैं… और पहेली बी पूछ रयेले हैं…

 

हंसते खिलखिलाते ब्लागर…

ये जज्बा कायम रहे….

विचार विमर्श मे मग्न…


मुंह में गुलाब जामुन भरकर
फ़ोन के पीछे मुंह छिपाये…ये कौन? येईच है पहेली….

 

संचिका पर मिथकों का मानव के अवचेतन पर प्रभाव - ५ (अंतिम भाग) पढने का….  मेरी कृति पर राजस्थान का लोक नृत्य की तस्वीरे देख सकते हैं…

 

टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन . कर रहे हईम अजय झा जी…आप टीप के निकल जाते हैं, हम उसे यहां टिकाते हैं….

 

भाई खुशदीप के देशनामा पर

Udan Tashtari said...

मेहमान-ए-खुसुसी :)
राज जी और कविता जी की उपस्थिति ने आयोजन को अन्तर्राष्ट्रीय बना दिया जी.
एक ही साल में यह असर खुशदीप ब्लॉगिंग का की यंगनेस जाती रही..अब समझ में आ रहा है मुझे अपने लिए कि चार साल में मेरी क्या दुर्गति हुई है वरना मियाँ, हम भी जवानों के जवान थे कभी. :)
महफूज़ की शादी तो खैर कई वजहों से जरुरी हो गई है, उसमें यह वजह और आ जुड़ी. अब तो मार्जिन बहुत बारीक बचा है. :)
दराल साहब का हरियाणवी किस्सा जोरदार रहा!
सरवत जमाल साहेब की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. हमारे गोरखपुरिया भाई जी हैं.
खाने से ध्यान हटाने की कोशिश में अपना नाम और उल्लेख ठीक खाने के मेनु के बाद देखना कितना सुखद रहा कि क्या बताऊँ..सब आप लोगों का स्नेह है.
सब देख सुन कर आप सही कह रहे हैं हिन्दी ब्लॉगिंग के बढ़ते कदमों को कोई नहीं रोक सकता.
जय हो हिन्दी!! जय हो हिन्दी ब्लॉगिंग!! जय हो हिन्दी ब्लॉगर्स!!

February 8, 2010 11:51 PM

हमारा टिप्पा:-…बिल्कुले ठीक कहे हैं आप कि दुनो जन राज भाटिया जी और कविता जी के आने से हम लोग का मीट इंटरनेशनल लुक मिल गया , बस एक आप जाते तो हम लोग एस्ट्रोनौटिकल मीट कर लेते …..और गजब का शोर मच जाता कि …….इंसानो और एलियन जी ने भी आपस में की ब्लोग्गिंग मीट ।……..ई महफ़ूज़ भाई की शादी और भी बहुत कारण से जरूरी है ……अरे तो हमको समझ में नहीं आता कि ई महफ़ूज़ भाई अपनी लाईफ़ में से ई मोडरेशन काहे नहीं हटाते हैं ?? खाने के मीनू के बाद आपका नाम आया ……….एक दम ठीक आया ….उससे पहले आता तो ……बचता का ………न मीनू….न खाना ? केतना ध्यान रहता है ….भोजन पर । आईये आपके वाले ब्लोग्गर मीट में तो खास तौर से ब्लोग्गर व्रत मीट ( बताईये …व्रत और मीट ..एक साथ राम राम ) रखा जाएगा ॥

 

ताऊजी डॉट कॉम पर खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (191) : आयोजक उडनतश्तरी पूछ रयेले हैं ये पहेली…

 

जवाब देने का….

 

अंधड़ ! पर गोदियाल जी पूछ रयेले हैं…क्या वोट-बैंक सचमुच इतना अक्लमंद है ?

 

My Photo

खैर, अपने इन राजनेतावो की तो कहाँ तक तारीफ़ करे, मगर मुझे आश्चर्य उस वोट बैंक पर होता है जिसे ये इस्तेमाल कर रहे है, अपने फायदे के लिए ! क्या वोट-बैंक वाले इतना भी नहीं समझते कि इनका उद्देश्य क्या है ? कल चुनाव हो जायेंगे तो वहाँ भी आन्ध्रा की तर्ज पर कोई कोर्ट आरक्षण को अवैध करार देगा! और ये फिर से कहलायेंगे, बहुसंख्यको द्वारा शोषित लोग ! मगर लाख टके का सवाल यह है कि इन राजनेताओ को इस वोट बैंक को इतना बुद्धिमान समझने का नुख्सा दिया किसने ?

उच्चारण पर "समझो तभी बसन्त!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) पढवा रयेले हैं…

 

मेरा परिचय यहाँ भी है!

जैसे-जैसे आ रहा, प्रेम-दिवस नज़दीक।
गोवा और मुम्बई के, लगे चहकने बीच।।
तोता-तोती पर चढ़ा, प्रेम-दिवस का रंग।
दोनों ही सहला रहे, इक-दूजे के अंग।।

कुछ भी...कभी भी. पर दिल्ली ब्लोग बैठक ( सिलसिलेवार रपट नं ३) झा जी अगली रिपोर्ट जारी कर रयेले हैं….

jhaji

 

इसी बीच फ़ोन पर एकऔर आवाज आई ,,,भाई आपके बताई स्थान के पास पहुंच चुका हूं मगर अबकैसे आऊं । मैंने कहा आप बताईये कहां हैं और कौन हैं मैं फ़ौरन वहां पहुंचता हूं। उन्होंने कहा जाईये जब आप पहचान ही नहीं रहे हैं तो फ़िर आने का क्याफ़ायदा । मैं सकपका गया , मैं आपसे बात तो कर चुका हूं पहले, और आपअपने नंबर से फ़ोन नहीं कर रहे हैं इसलिए पहचान नहीं पा रहा हूं । जाईये फ़िरमैं नहीं आऊंगा । इससे पहले कि मैं और परेशान होता ....एक ठहाका लगाऔर पता चला कि उधर से भाई पंकज मिश्रा जी ब्लोग्गर्स मीट का हालचालऔर बधाई देने के लिए फ़ोनिया रहे थे|

और अब आखिर में ताऊ डाट इन पर ताऊ का गधा संतू आपकी राय मांग रयेला है…संतू गधे को नटखट बच्चे से बचाओ!

 

हां आदरणिय ब्लागर और ब्लागरगणियों, मैं संतू गधा आपको प्रणाम करता हूं और मेरी पीडा आपको सुनाता हूं. और साथ ही ये भी उम्मीद करता हूं कि आप मुझे इस समस्या का सही निदान बतायेंगे.

 

आप यहां उपर जो चित्र देख रहे हैं इसमे एक नटखट बच्चे को मुझे सुई चुभाते हुये आप देख रहे होंगे? यह नटखट बच्चा बहुत समय से मुझे परेशान कर रहा है. यह शरीफ़ बनने का ढोंग करता है. लोगों को कहता है ये अंधा है. जबकि इसने जबरन आंखों पर पट्टी बांध रखी है, लोगो की सहानुभुति पाने के लिये.

 

सूई चुभोने के अलावा यह मेरे गधा सम्मेलन करवाने पर भी उल्टी सीधी बकबास करता रहता है. पता नही इसको गधा सम्मेलनों से चिढ क्यों है? यह जगह जगह रोता फ़िरता है कि गधे ब्लागिंग क्युं करते हैं? मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या गधे प्राणी नही होते? अरे जब मैं अंग्रेजी पढा लिखा हूं तो ब्लागिंग क्युं नही कर सकता? या बच्चे का कापी राईट है ब्लागिंग पर?

अब सर्किट भाई का आप सबकू सलाम नमस्ते….दिन भर खूब काम करने का शाम को मैं ईदरीच मिलेगा….

 

Read More