अरे सर्किट ओ सर्किट….किदर कू गयेला रे बाप तू?
अरे सर्किट ओ सर्किट….किदर कू गयेला रे बाप तू? मेरा पेट दुखरेला है…
भाई इदरिच है ना मैं..फ़िकर काये कूं करते भाई..अभी मैं ब्लागरस तैयार करके ला रयेला ना आपका वास्ते…
लो भाई….लो…पहला चम्मच खींचों….
किस ने दिया कीचड़ उछालने का अवसर? ये वकील साहब पूछ रयेले हैं.
सचिन जैसे व्यक्तित्वों पर कीचड़ उलीचने की जो हिम्मत ये तुच्छ राजनीतिज्ञ कर पाते हैं उस के लिए काँग्रेस और भाजपा जैसे हमारे कथित राष्ट्रीय दल अधिक जिम्मेदार हैं।
झूम झूम ढलती रात ये कोहरा फ़िल्म का गीत सुना रयेली हैं अल्पना वर्मा…
झूम झूम ढलती रात ,लेके चली मुझे अपने साथ,
झूम झूम ढलती रात ...
जाने कहाँ ले जाए दर्द भरा ये दिल,
जैसे सदा देती है खोयी हुई मंजिल,
जाने कहाँ ले जाए..
छोडो पिया मेरा छोडो हाथ,झूम झूम ढलती रात...
और भाई कहां रे हिमालय ऐसा...खुशदीप पूछ रयेले हैं भाई….
अरे सर्किट..पण वहां स्लाग ओवर मे गुल्ली है कि नही?
है ना भाई…ये देखने का..मेरा मतलब पढने का भाई…
स्लॉग ओवर
गुल्ली मैथ्स का पेपर देकर घर आया....मक्खन घर पर ही था...
मक्खन ने गुल्ली को बुला कर पूछा... गुल्ली पुतर, पेपर कैसा हुआ...
गुल्ली...डैडी जी एक सवाल गलत हो गया...
मक्खन...एक सवाल गलत हो गया...ओ...चलो पुतर जी...कोई बात नहीं...एक ही तो गलत हुआ है...बाक़ी..
गुल्ली...बाक़ी मैंने किए ही नहीं..
एक बात पूछना वह कभी नहीं भूलती...‘ कल आओगे न..!!! ए सर्किट..ये क्या पूछ रयेली है?
अरे भाई देखो ना कित्ता मस्त नवगीत है…लो पढो ना भाई..
मुश्किल था कि वह मुझे
याद रखती है पांचो वक्त नमाज की तरह,
और कठिन था उसे यह कहना भी कि ,
आएगी वह मुझसे
मिलने मंदिर में आरती के वक्त।
और भाई अब मांझे की सुताई कर रयेले हैं बडनेरकर जी….
अरे सर्किट अच्छा हुआ पहले ही बता दिया अबी तो सक्रांति के लिये भी सूतना है ना…बस आने कोईच है अब तो?
अरे भाई पहले पढने का…ये आपका वाला मांजा नही है ना भाई…ये शब्द के बारे मे बता रयेले हैं..
टूथपेस्ट और टूथपाऊडर कोमंजन कहा जाता है अर्थात दांत साफ करने की ओषधि। किसी कला, क्रिया अथवा व्यवहार में परिष्करण के अर्थ
में परिमार्जन शब्द का हिन्दी में खूब प्रयोग होता है जो इसी मूल से आ रहा है।
बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दिलाने की डगर पर चलना उत्तर-प्रदेश के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण ..इसके बारे मे मास्साब बता रयेले हैं….
अधिनियम में कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल में बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल की सुविधा होनी चाहिये। गौरतलब है कि अभी भी सूबे के 4200 स्कूल पेयजल की सुविधा से महरूम हैं। हर स्कूल में बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय होने चाहिये। प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित तकरीबन 10,500 स्कूलों में बच्चों के लिए शौचालय नहीं है।
लो भाई..आप कल याद कर रयेले थे ना? ये लो आगई आपकी उडनतश्तरी….. ये बोल रयेली है कि काश!! आशा पर आकाश के बदले देश टिका होता!!
आशा लगाये बैठे हो चातक की तरह मूँह बाये कि हे बादल!! आ जाओ. बादल तो आते हैं मगर वो नहीं जिन्हें बुलाया. उनके न आने से संकट के बादल छाने लगते हैं. लो आ गये, बुलाये थे न!! काहे नहीं साफ साफ कहे, कि हे पानी वाले बादल, आ जाओ. मारे अनुष्ठान और यज्ञ सब कर डाले मगर डिमांड, एकदम अगड़मबगड़म!! तो लो, बादल मांगे थे, बादल आ गये-संकट के बादल छा गये.
और भाई शाश्त्री जी "कश्ती का खामोश सफर है" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की) कर रहे हैं….
अरे सर्किट आज अकल वो पंकज मिश्रा नही दिख रयेले हैं?
अरे भाई..आप टेंशन मत लो…वो छुट्टि लेके गांव गयेले हैं….
अबे सर्किट…मेरे को झूलपट्टि नही देने का….कबी लिया मेरे से छुट्टी? कबी नही. लिया…अरे बस भाई ने बोला तो बोला…उसको बोलो जल्दी वापस आने का…..
हां ठीक है ना भाई..मैं अबी कि अबी फ़ोन घुमाता है भाई..आप तेंशन नही लेने का…..
और भाई ये अपने नींड में लौटने को व्याकुल एक परिंदा========दीपक 'मशाल बोल रये ले हैं….
यकीं मानिये पिछले सवा साल से लगभग हर रोज़ अपने आप को सपने में हिन्दुस्तान में पाता हूँ... कभी कभी तो लगता है की सिर्फ मेरी देह यहाँ आ गई है,
सिर्फ भौतिक शरीर यहाँ है.. बाकी आत्मा, मन, दिल सब भारत माँ के आँचल में रख के आया हूँ.
और भाई छत्तीसगढ़ का खौफ पूरे देश में छा गयेला है भाई…
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने प्रदेश के खिलाडिय़ों की तारीफ करते हुए कहा कि हमें गर्व है कि दूसरे राज्यों की तुलना में काफी कम सुविधाएं होने के बाद भी हमारे खिलाडिय़ों में इतना दम है कि देश के बाकी राज्यों के खिलाडिय़ों में छत्तीसगढ़ के नाम से खौफ है।
और भाई गोदियाल जी की खोपडी सटक गयेली है..और देखिये और जब मै भी कार्टून बनाने बैठा तो... तो क्या बना डाला?
आजकल हमारे ब्लॉगर मित्रो को कार्टून काफी पसंद आ रहे है, तो अपनी भी यह कबाड़ी खोपड़ी :) कभी कभी सटक ही जाती है इसलिए सोचा कि क्यों न मुझे भी अपनी इस नई प्रतिभा के साथ -दो -दो हाथ कर लेने चाहिये ! तो मैंने भी बना डाला एक कार्टून आपके मनोरंजनार्थ ! इसे देखिये और पसंद आये तो अल्लाह के नाम पर एक चटका दे देना बाबा, हा-हा ! हां, आप लोगो से यह निवेदन भी करूँगा कि कृपया इसे व्यक्तिगत तौर पर अन्यथा न ले ;
वो विक्षिप्त नही है ये बोल रयेले हैं…अंतर सोहिल
मैनें उस तरफ देखा तो एक नवयुवक (सुभाष) चेहरे-मोहरे से आकर्षक, ब्राण्डेड जींस और टीशर्ट में बैठा हुआ था। गले में मोटे-मोटे मोतियों की माला, एक सोने की चैन, शिवजी की तस्वीर वाला लाकेट और रुद्राक्ष की माला पहने हुये था। एक हाथ पर सुन्दर कलाई घडी और दूसरे हाथ पर बहुत बडा सारा लाल धागा बंधा था। मस्तक पर तिलक और पैरों में अच्छे स्पोर्ट्स शूज थे। हाथ में पकडे मोबाईल पर प्यारे-प्यारे भजन सुन रहा था।
(भजन पूरे सफर जो लगभग डेढ घंटे का था, बजते रहे थे)
प्रेम के बारे में एक भी शब्द नहीं नही बोलने का भाई…..
जो न पारदर्शी न ठोस न गाढ़ा न द्रव
न जाने कब
एक तर्जनी की पोर से
चखी थी उसकी श्यानता
गई नहीं अब भी वह
काकु से तालु से
जीभ के बीचों-बीच से
आँखों की शीतलता में भी वह
प्रेम के बारे में
मैं एक शब्द भी नहीं बोलूँगा।
गीत न लिखता तो क्या करता ये बात रविकांत पांडेय जी बोल रयेले हैं भाई….
शुभे! हंसिनी, बन तुम आई
विश्व सकल ये, मानसरोवर
बना सीप से, मोती पहले
चुन लो मुझको, फ़िर तुम आकर
विदित मुझे ये, कठिन बहुत है
कुछ भी कहना, लेकिन फ़िर भी,
सोच रहा मैं, अवश-अकिंचन
उपमाएं क्या वारूं तुम पर
फोडा जी, जरा कोने में आईये.....आप को एक बात पब्लिक में प्राईवेट होकर बतानी है :) ये तोडने फ़ोडने की बात सतीश पंचम जी कर रयेले हैं भाई….
हजारों-करोडों के माल असबाब की बरामदगी के बाद फोडा जी, जब आप ने यह कहा कि आपके खिलाफ साजिश की जा रही है। कोई आपको परेशान कर रहा है। तो आपके इस अप्रतिम सच को देख मैं द्रवित हो गया और मैंने भी अब ठान लिया है कि मैं भी आपकी तरह मन की बात सच सच सब लोगों को बता दूँ। और पहला सच यही है कि वो शख्स मैं ही हूँ जो आपको लगातार परेशान कर रहा है। आपकी जो पंपापुर वाली प्रॉपर्टी छापे में पकडी गई है , उसे मैंने ही बताया था कि वह आपकी ब्लैक की कमाई है। और वो जो रजाईपुर की मसहरी वाली के नाम अकाउंट पकडा गया है , वो मैंने ही आयकर वालों को बताया था। फोडा जी आप सच कह रहे हैं कि कोई आपको परेशान कर रहा है। मैं अपने इस अपराध के लिये क्षमा चाहता हूँ।
जी चुरा ले गया वो टूटे दांत वाला लड़का... अरे सर्किट …देख तो ये कौन है लडका…कोई सामान तो नही चुराके भागा ना…
अरे नही भाई..आप क्यों टेंशन लेते? मैने कहा ना ..आप टेंशनिच मत लो और पढो….
मैंने उसके पास जाकर पूछा " मैं पकड़ लूं तेरी साइकल?"
उसने बिना किसी झिझक के कहा " पकड़ लो ना"
मैंने उसकी साइकल थामी...वो दोनों हाथों से जल्दी जल्दी चेन चढाने लगा! मैंने इस बीच ध्यान से उसे देखा! करीब आठ-नौ बरस का वो बच्चा, नीली पेंट और काली टीशर्ट पहने था! गरीब घर का था ! शायद कबाड़ बीनने निकला है, उसकी साइकल के हैंडल पर लटकी कई खाली पौलिथिन देखकर मैंने अंदाजा लगाया! " हो गया"....कहते हुए वो खड़ा हुआ और मुझे देखकर मुस्कुराया! उसके मुस्कराहट के भीतर सामने का टूटा हुआ दांत बड़ा क्यूट लगा मुझे! एक दम से मन में आया कि इस दांत टूटने की उम्र में कबाड़ बीन रहा है ये नन्हा बच्चा! मैं भी मुस्कुराई, पूछा " कहाँ जा रहे हो?"
और भाई "आस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") बंधेली है यहां पर….
तुमको पाकर मन के उपवन,
बाग-बाग हो जायेंगे,
वीराने गुलशन में फिर से,
कली-सुमन मुस्कायेंगे,
जीवनरूपी बगिया में तुम,
ढंग निराले लाओगे।
स्नेहिल रस बरसाओगे औररंग फुहारें लाओगे।।
शर्ट पर ठहरी हुई सिलवट….अरे ये क्या बोल रयेला है सर्किट? सिलवट ठहर गयेली है तो इस्त्री करवाने का ना?
अरे भाई आप फ़िर टेंशन लेने लगे? ये वो वाली सिलवट नही भाई..ये कविता है मुकेश कुमार जी तिवारी की…
तुम,
उस दिन मुझे फिर दिखायी दिये थे
उसी भीड़ भरे रैले में
फिसलते हुये उंगलियों से छूटती गई
तुम्हारी कलाई
तुम ठहर गये मेरे शर्ट पर
किसी सलवट की तरह
और तुम्हारे पलटे हुये कॉलर ने
पूछा था मेरा हाल
कानों में फुसफुसाते हुये
और भाई ये मस्त गाना सुनने का कश्मीर की कली से…. दीवाना हुआ बादल.... गाया है…
संतोष शैल, स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' ने
ऐसी तो मेरी तक़दीर न थी
तुमसा जो कोई महबूब मिले
(दिल आज खुशी से पागल है) \- २
(ऐ जानेवफ़ा तुम खूब मिले) \- २
दिल क्यूँ ना बने पागल, क्या तुमने अदा पाई
ये देखके दिल झूमा, ली प्यार ने अंगड़ाई
दीवाना हुआ बादल
ग्रह गोचर प्रणाली एवं राहू के धनु राशी में प्रवेश का वैश्विक् प्रभाव बता रयेले हैं प.डी.के.शर्मा “वत्स”
अब यदि कोई व्यक्ति किसी ग्रह के गोचर भ्रमण को लेकर व्यक्तिगत भविष्यकथन करता है तो ये ज्योतिष नहीं बल्कि ज्योतिष विद्या के नाम पर सिर्फ मजाक किया जा रहा है ।
समीर लाल जी ने चिट्ठी भेजी है... अबे सर्किट ये तो बताने का कि किसको भेजेली है? और क्या लिखेला है इसमे?
अरे भाई..आप फ़िर टेंशन लेने लगे? भाई ये चिठी भेजेली है संजू तिवारी जी को…और इसमें लिखेला है कि…….
तेजी से भागता
यह उग्र समय...
थोड़ा सा बचा..
और
बच रहा
काम कितना सारा...
सोचता हूँ
जमाने के साथ मिल जाऊँ
उसके साथ कदमताल मिलाऊँ...
ईमान तोड़ूँ अपना
या फिर
काम छोड़ूँ अपना!
कैसा है
यह द्वन्द!!
न जाने क्यूँ
बिखरा हुआ है
यह छंद!!
तुम कुछ बताओ न!!
-समीर लाल ’समीर’
और भाई आदि की नई किताबे आगयेली हैं…मेरी नई किताबें.. और भाई उसने पढना शुरु कर दियेला है…
अरे सर्किट उसको बोलने का कि पढने का नई…सिर्फ़ बदमाशी करने का…क्या समझा?
हां समझ गया ना भाई…मैं बोल देगा उसको…बिल्कुल अबीच बोलता है ना भाई….और ये भी बोल देता है कि अगर उसको ट्रेनिंग दिलाने का है तो ताऊ और रामप्यारी की क्लास मे भेजने का..पर पढने का नई…आप टेंशन नही लेने का भाई…
अरे सर्किट वो ताऊ पहेली करके कहीं निकल गयेला था? वापस आयेला कि नही?
भाई..वापस तो आयेला है..पर कहीं सांडो वांडों से चोट खाकर आयेला है भाई….सांड तो लड अलग भये : बछडे भये उदास…लगता है भाई चोट गहरी खाकर आयेला है. और शेर मामू के चंगुल मे भी चढ गयेला था..वो अगली बार बतायेंगा ..ऐसा लिखेला है…
ताऊ ठहरा गंवार और अनपढ .. इधर सांड और काटडे ठहरे बिल्कुल मौलिक और अभिजात्य शहरी...सो वो ताऊ को जंगल मे घुसते देख कर समझ गये कि ताऊ अब उनकी सीमा से बाहर चला गया है और जंगल मे घुस गया है तो अब लौट कर क्या आयेगा? वही घने जंगल मे शेरों का शिकार बन जायेगा. यह सोचकर खुश हो लिये और वो वापस आकर अपने लडने लडाने के खेल मे लग गये.
अरे सर्किट ताऊ ने खूंटा गाडेला है कि नही?
अरे गाडा ना भाई..अबकि बार डाँ.झटका ने खूंटा गाडेला है भौत मस्त खूंटा..और ताऊ कॊ तबियत से धो डाला ताई ने…
अरे सर्किट क्या बोल रयेला है तू..ला मेरे कू सुना..
अरे भाई अबी आप टेम्शन नही लेने का और इत्ती सारी दवाई ब्लाग रस की पी ळी है..तो अब सोने का…मैं आपको कल की चर्चा मे डाँ. झटका का गाडेला खूंटा भी सुनाऊंगा..पर अभी दो तीन चम्मच दवाई पीकर सोने का…भाई..तुरंत….
साला! मालूम कैसे चलेगा कि मुसलमान है? ये क्या है रे सर्किट?
भाई ये एक बहुत बढिया पोस्ट लिखेली है महफ़ूज भाई ने….
मेरे पिताजी... मेरी flirt करने कि आदत से बहुत परेशां रहा करते थे.... वो जानते थे... कि मैं खुद को किसी के साथ बाँध कर नहीं रख सकता... वो आये दिन मेरे बारे किसी फिल्म स्टार कि तरह ख़बरें सुनते थे... कि आजकल मैं किस लड़की के साथ flirt कर रहा हूँ... कई बार उन्होंने मुझे समझाया भी... पर मैं नहीं समझा.. मुझे अच्छा लगता था लड़कियों के साथ flirt करना.... मैं उनसे कहता भी था कि क्या ज़रुरत थी इतना handsome लड़का पैदा करने की ... हा हा हा ... वैसे, मेरे पिताजी भी बहुत handsome थे...
पुनरागमन ये शेखावत जी बता रयेले हैं…..
स्वर्ग छोड़ने का मैंने तत्काल ही निर्णय कर लिया और मुट्ठियाँ बंद कर वहां से भागा | अचानक मार्ग में उर्वशी से टकरा गया | उसने आँखे तरेर कर कहा - ' आदमी हो या घनचक्कर ?' मै उसे प्रत्युतर देने ही वाला था -कि मै पथ के बाँई और चल रहा था , मेरी कोई गलती नहीं थी |' पर मै कुछ कहूँ उससे पहले ही नारद जी का भीषण अट्टहास सुनाई दिया - ' घनचक्कर नहीं यह भी एक क्षत्रिय है |'
एक छत पर से मेनका में अपना गला निकाला और मुझे देखकर खिन -खिन का हंसने लगी |
चित्रपट चल रहा था दृश्य बदल रहे थे | ;;
कौन कहता है ये आभासी दुनिया है ,दिल्ली में ब्लौग बैठकी के बहाने , बता रयेले हैं अजयकुमार झा जी
.
अब जब चार यार जमा हो ही चुके थे तो फ़िरतो सब्र कहां औरचैन कहां ..इरफ़ान भाई के चुटीले कार्टूनों और उनकी मार ,खुशदीप भाई के स्लौगओवर , और राजीव भाई की पहेली कीआपसी नोंक झोंग होती रही । हम राजीव भाई से मनवाने मेंलगेथे कि अब उनकी पोस्टों की लंबाई सिर्फ़ पौने दो किलोमीटर हीहोनी चाहिये ..वे डेढ पर अडे थे ..।इस बीच द्विवेदी जी जिनकेवल्ल्भगढ से निकल पडने की सूचना हमें मिल चुकी थी ..उनकाइंतजारलंबा ही होता जा रहा था ..खैर हमारे नाशते ..(अरेस्नैक्स फ़्नैक्स जी ), को निपटाते निपटाते उनकीआवक भी होगई । समय बीत रहा था ..कैसे किसी को पता नहीं चल रहा था॥
रेल यात्रियों के लिए एक आपबीती बनाम कैटिल क्लास के संस्मरण सुना रयेले हैं..अरविंद मिश्र जी….
पहली बार बिना नए टाईम टेबल के साथ में रखे यात्रा की -नामुरादों ने अभी तक भी नया टाइम टेबल जारी नहीं किया है ! हद है रेल विभाग की निष्क्रियता की ! वापसी की ट्रेन मुम्बई बनारस सुपर फास्ट 2165 में पिछले एक माह बुकिंग करने के वक्त से ही वेटिंग १ पर सूई अटक गयी थी ! जाकर यात्रा की पूर्व संध्या को ही कन्फर्म हुआ . किसी के धैर्य की परीक्षा लेना तो कोई रेल विभाग से सीखे ! कमजोर दिल वाले कभी भी रेल के वेटिंग लिस्ट वाले टिकट न लें ! ...
इट इज़ सैड बट ट्रू पर अनिल पूसद कर जी अंग्रेजी बोल रयेले हैं भाई…
The hard reality is that,
When you need advice,every one is ready to help you,
But,When you realy need help,every one is ready to advice you..
its sad but true.
क्या लगता है?क्या ये सच है?मुझे तो लगता है कि ये सच है!आपको क्या लगता है बताईयेगा ज़रूर।
और भाई ये आज की आखरी ब्लाग रस की चम्मच पीलो और मस्त सो जावो अब…
मिल ही गया एक रुपया...खुशदीप को…
बिटिया...फिर परेशानी क्या है...एक रुपये के पीछे क्यों तूफान खड़ा कर रखा है....मैंने अनिल पुसदकर जी वाले स्टाइल में जवाब दिया...
धन्य हो मेरी मां...ये कहानी कल ही समझा देती तो क्यों एक रुपये के पीछे ये सारा फच्चर फंसता..
अरे सर्किट अब मेरे को भौत जोर से नींद आ रयेली है बाप….अबी मैं सोता है..अब कल सुनाना मेरे कू…..
जारी रहेगी......
19 टिप्पणियाँ:
मस्त चर्चा चल रेली हे बाप्प, अपन लोगाँ के ब्लॉग पे तो... सिक्स़र पे इत्तर मारे जा रेले हें...
19 नवंबर 2009 को 5:50 am बजेअपन का चिटठा खोलने के लिए हफ्ता पहुंचा देन्गे भाई को... पूरा एक खोखा.. ना एक कम ना एक ज्यादा...
जय हिंद..
वाह इस झक्कास स्टाईल की चर्चा की तो बात ही क्या ..मजा आ रेल है रे .....टैण टैणेन ...
19 नवंबर 2009 को 6:55 am बजेआज का अंक बहुत अच्छा लगा।
19 नवंबर 2009 को 7:05 am बजेमुन्ना भाई, सर्किट ने बड़ी लम्बी चर्चा की है, सर्किट तो पढ़ने-लिखने वाला आदमी निकला..:)
19 नवंबर 2009 को 7:17 am बजेबेहतरीन चर्चा.....उम्दा..
अरे सर्किट, तेरी बात सुन कर तो पता चला कि कित्ते चिट्ठे छूट गये रे पढ़ने से...सुबह इम्हीं लिंक पर चटका लगा कर जाता हूँ वरना छूट ही जायेंगे भाई!!
19 नवंबर 2009 को 7:23 am बजेबहुत धन्यवाद! जय हो!
आप का स्टाईल और कवरेज देखकर सलाम करता सर्किट भाई आपको. जबरदस्त चर्चा जिसमे आपका स्टाईल पढ पढ कर ही मजा आ जाता है. बहुत शुभकामनाएं.
19 नवंबर 2009 को 8:45 am बजेरामराम.
बहुत सुन्दर.. आपकी मेहनत हर पेरा में झलक रही है.. आभार..
19 नवंबर 2009 को 9:55 am बजेगजब की शैली में अभिनव प्रस्तुति ! मैंने तो देखा ही नहीं था । लगे रहो मुन्ना भाई !
19 नवंबर 2009 को 10:03 am बजेबहुत बडिया लगी ये चर्चा बधाई
19 नवंबर 2009 को 10:22 am बजेबहुत सुन्दर सर्किट जी, आपका हार्दिक शुक्रिया !
19 नवंबर 2009 को 10:25 am बजेबोले तो बाप...मस्त बमचिक चर्चा...सर्किट के दिमाग का कनेक्शन भी गुल्ली के भेजे से जुड़ेला है...
19 नवंबर 2009 को 11:04 am बजेजय हिंद...
आयेला..गयेला..फूटेला...बोलेला...तोडेला...फोडेला....लिखेला...ठोकेला....गाडेला.....हा हा हा
19 नवंबर 2009 को 12:46 pm बजेक्या मस्त भाषा है :)
लाजवाब चर्चा !!
छा गए बाप अब कोई इग्नोर करे भी तो कैसे सर्किट
19 नवंबर 2009 को 6:25 pm बजेभाई.....इग्नोर कोई नहीं करता सब के पेट में दांत होते है
एकदम झक्कास बाउंड्री मारा रे बाप
आज पहली बार यह चर्चा पढ़ी , चर्चा करने का स्टाइल बड़ा मजेदार लगा |
19 नवंबर 2009 को 8:20 pm बजेलगे रहो मुन्ना भाई :)
बहुत सही जा रहेला है बाप......मस्त चर्चा करेली है.....पिचर भी चेप दीस है.....सही है बिडू......!!
20 नवंबर 2009 को 1:50 am बजेमुन्ना जी,
20 नवंबर 2009 को 10:25 am बजेअपुन को भी याद करके बड़ा मान दिया है भाई।
चर्चा में एक नया स्वाद और फ्लेवर मिला, आते रहना यहाँ आखिर भाई से कोई भाग थोड़े ना सकता है और अपुन को कोई केमिकल लोचा भी नही हुआ है अभी तक।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
चर्चा करने का स्टाइल बड़ा मजेदार लगा |
30 नवंबर 2009 को 8:46 am बजेलगे रहो मुन्ना भाई :)
बेहद लाज़वाब प्रस्तुति है जी... इतने सारे चिट्ठाकारों को आपने एक ही चिट्ठे पर पढने का बेहद अच्छा अवसर दिया है!! आपकी ये प्रस्तुति वाकई शानदार है!!
5 अप्रैल 2010 को 12:27 am बजेhttp://dhentenden.blogspot.com
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7 जून 2019 को 8:18 am बजेGoogle Hindi Search
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