भाई इदरिच मरेला है ना तुम्हारे पिच्छू...(ब्लाग-चर्चा)
अरे सर्किट..कहां मर गया रे तू?भाई इदरिच मरेला है ना तुम्हारे पिच्छू...
अरे सर्किट...मेरे पेट मे दरद हो रयेला है...कुछ दवाई ला दे रे..
भाई अपुन के रहते दवाई का क्या काम? ये ब्लाग रस की थोडी सी बूंदे टपका देता हूं ना तुम्हारे गले में..
अरे सर्किट जल्दी कर...पेट मे भौत गडबड हो रयेली है बाप..
अरे भाई...ये लो ये ब्लाग रस का एक ढक्कन पी लो......जल्दी ही दर्द ठीक होजायेगा और नही हो रहा होगा तो होने भी लग जायेगा...
क्या पता-कल हो न हो!!-एक लघु कथा में उडनतश्तरी ने एक आईडिया टपकाया है भाई…
प्रकृति के नियम और स्वभाव तो सब ही के लिए एक से हैं. फिर हम क्यूँ किसी और के व्यवहार के चलते अपने खुशी के समय को भी खराब कर लेते हैं.जब मिले, जैसे मिले, खुशियाँ मनाओ! क्या पता-कल हो न हो!!
भाई इसके बाद तो गडबडिच दिख रयेली मेरे कू….
अरे बोल ना ..सर्किट..दिमाग का दही मत बना रे..
भाई इदर कूं ये ताऊ ने कुछ गडबड करेली है….
कहीं खबर छपेली है कि ताऊ ने कैटी भाभी से चुपके चुपके शादी करली? दगाबाज कहीं के!….
यार इसमे क्या दिक्कत है? अब हम भी कौन से रोहतकी रह गये भिया? हम भी तुम्हारे शहर के ही हैं अब तो? वो अब भी रहेगी तो तुम्हारे शहर की बहु ही? हां फ़र्क सिर्फ़ इतना पडेगा कि अब तुम उसको भाभी की जगह ताई कह लेना.
अरे सर्किट..ऐसी की तैसी इस ताऊ की तो….कैटी तो तेरी भाभी बनेगी रे…चल ये ताऊ की शादी टपका डाल अबी के अबी..क्या समझा?
समझ गया ना भाई….लो अब एक और ढक्कन पी लो……
लव जिहाद: क्या बला है यह? मे शाश्त्री जी कहते हैं..
जैसा मैँ ने अपने आलेखोँ (केरल में धार्मिक संघर्ष !!,केरल में मुस्लिम-ईसाई संघर्ष??) में कहा था, धार्मिक मामलों में केरल हिन्दुस्तान का सबसे सहिष्णू प्रदेश है. इस सहिष्णुता का फायदा उठा कर ईसाई और हिन्दू लडकियों को मुस्लिम बनाने के एक नये तरीके को सामान्यतया “लव-जिहाद” कहा जाता है. तरीका यह है कि मुस्लिम लडके हिन्दू और ईसाई लडकियों को जान बूझ कर प्रेम-पाश में फंसाते हैं और विवाह के पहले उन लडकियों का धर्म बदल दिया जाता है.
छि.. छि..सर्किट ये गंदी और बुरी बात…
हां भाई…बिल्कुल सहिच बोलते आप…अब ये मिश्राजी की प्रेम मुहब्बत वाला ढक्कन पियो….तबियत झकास हो जायेगी भाई..
यह नायिका है वासकसज्जा !(षोडश नायिका -५) मे कहते हैं.. "सेज को सुन्दर सुगन्धित फूलों से सजा कर सोलह श्रृंगार से संजी सवरी सुन्दरी प्रिय की आतुर प्रतीक्षा में मीठे सपनो में जा खोयी है....प्रियतम बस आते ही होगें यह विश्वास अटल है मन में ....साँसों की लय में भी उसके अंतस का दृढ विश्वास मुखर हो उठा है"
अरे सर्किट..जरुर से ये तो तेरी भाभी ही होयेंगी ना…ये सर्किट चल ना..अब और ऐसे ही ढक्कन पिला…थोडा दर्द कम हो रयेला है…
हां भाई एक कविता का ढक्कन खींचो…
मौन करवट बदलता नहीं पर सीमा जी ने कविता लिखेली है..
रीती हुई मन की गगरिया,
भाव शून्य हो गये,
खामोशी के आवरण मे ,
मौन करवट बदलता नहीं....
और भाई..ये
तेरा मेरा प्यार अमर… गीत सुनिये अल्पनाजी की आवाज में..…ये सुनो..आपतो…
है शबाब पर उमंग, हर खुशी जवान है
मेरी दोनों बाहों में, जैसे आस्मान है
चलती हूँ मैं तारों पर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
और भाई ये कृपया राय दीजिए, मुझे क्या करना चाहिए? में आशीष खंडेलवाल जी तो कुछ गडबड झाला करेले हैं...कुछ पिटने पिटाने का धंधा बता रयेले हैं मेरे कूं तो गडबड दिख रयेली है भाई....
इस सेवा का लाभ उठाने के लिए उनके पास ग्राहक भी आने लगे हैं। लिन के अनुसार उनकी पहली ग्राहक 25 साल की लड़की है। उसने आधा घंटे की कीमत अदा की। लेकिन वह जल्द ही थक गई। उसने बाकी समय उनके साथ बातचीत करके निकाला। दूसरी ग्राहक भी ऐसी ही थी। वह भी जल्द ही थक गई। लेकिन लिन को पीटने के बाद दोनों ही बहुत संतुष्ट दिखाई दीं। उनका कहना है कि ऐसा करके वह तनावग्रस्त महिलाओं की मदद कर रहे हैं।
अरे वाह..सर्किट..वाह..ये वाला धंधा तू करले और वो दूसरी वाली नौकरी मुझे दिलवा दे...चल अब ला और ला ये ब्लाग रस का ढक्कन….
वो क्या है ना भाई…डाँ. झटका ने एक बार मे इतना ही डोज लेने का बोला था…अब दूसरा डोज शाम को दूंगा ना भाई..
अरे ऐसी की तैसी इस डाँ. झटका की तो..इत्ती मीठी दवाई और जरासी देता है? फ़ोड डालूंगा इस डाँ.झटके को तो..
हां ठीक है ना भाई..आप क्युं टेंशन लेते हो भाई..मैं है ना, आप सो जावो भाई…मैं फ़ोड डालेगा डाँ. झटका को तो…
और मुन्ना भाई अब सो गये….जब दूसरा डोज दिया जायेगा..तब का हाल बाद में……
21 टिप्पणियाँ:
awesome really..."टिप्पणी" शब्द के टंकण में गलती है, सुधारलो मेरे भाई...यह गलती comment box message में है..
13 नवंबर 2009 को 6:26 pm बजेमुन्ना सर्किट चिट्ठाचर्चा-ये भी खूब रही. बधाई एवं शुभकामनाएँ.
13 नवंबर 2009 को 6:29 pm बजेकृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें.
बोले तो झकास...
13 नवंबर 2009 को 6:32 pm बजेनीरज
सर्किट बो्ले तो-झकास चर्चा कियेला हे,
13 नवंबर 2009 को 7:07 pm बजेझक्कास चर्चा है भिड़ू, एकदम रापचिक
13 नवंबर 2009 को 7:26 pm बजेसर्किट बो्ले तो-झकास चर्चा कियेला हे.........
13 नवंबर 2009 को 7:45 pm बजेझकास चर्चा
13 नवंबर 2009 को 8:21 pm बजेlage raho bidoo .maza aa rayela hai .
13 नवंबर 2009 को 9:50 pm बजेक्या मस्त लिखेला है बाप .... बोले तो पढ़कर दिल Garden Garden हो गया
13 नवंबर 2009 को 9:59 pm बजेइस डाग्टर झटके को तो टपका ही दो....बहुत तंग कर रखा है इस बन्दे :)
13 नवंबर 2009 को 11:20 pm बजेलाजवाब चर्चा है
14 नवंबर 2009 को 12:42 am बजेबोले तो ....सोलिड है बाप..!!
14 नवंबर 2009 को 6:28 am बजेबहुत अच्छी रही चर्चा....
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.......
14 नवंबर 2009 को 2:07 pm बजेइधर से गुज़रा था] सोचा सलाम करता चलूं
http://www.samwaadghar.blogspot.com/
Web-Stat का दावा-
आपके पाठकों की टोटल डिटेल्स : एक माह तक मुफ्त : नीचे दिए
LINK पर क्लिक करके जानिए -
http://www.web-stat.com/?id=3185
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
14 नवंबर 2009 को 9:13 pm बजेकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य
टिप्पणियां भी करें
वाकई सेमलानी जी आपने तो कमाल का लिखा है. भई इस स्टाईल की चर्चा अपने को तो बहुत पसंद आई. करते रहिये, जब भी आपको समय मिलता रहे. बहुत शुभकामनाएं.
14 नवंबर 2009 को 11:27 pm बजेरामराम.
सेमलानी जी यहां से वर्ड वैरीफ़िकेशन तो हटाइये?:)
14 नवंबर 2009 को 11:28 pm बजेरामराम.
अबे सर्किट ये ताऊजी किसको रास्ते से ह्टाने का बोल रीईया है ?
15 नवंबर 2009 को 7:25 pm बजेभाई! अपनी खोपडी मे ताऊ की बात घुस नही रहेली है-ताऊजी! वर्ड वैरीफ़िकेशन को हटाने का बात कररिया है. भाई! तुम बोलो तो इस वर्ड वैरीफ़िकेशन की तो ऎसी कम तैसी ..........?
भाई! ये अजय भाई का खत आया है. अपुन का अभिनन्दन करने को मागता है, और आगे लिख रिया है कि ब्लोग पढने का और बहुमूल्य टिप्पणियां करने का..
15 नवंबर 2009 को 7:50 pm बजेअरे! सर्किट! तेरे भेजे मे ये बात घूस क्यो नही रही है अपुन के लिए काला अक्षर भैस के माफ़िक है. कहा से बहुमूल्य टिप्पणियां करेगे.
भाई! मेरे खोपडी मे एक आईडीया आऎरेलिया है . आप कहे तो उडन तस्तरी के समीर लालजी को उठा लाता हू टीप्प्णी टपकाने मे उनका जवाब नही. अपुन के लिऎ टिपियाने मे बहु मुल्य भी बहुत तगडा हाथ लेगेग्गा........
अरे वाह सर्किट भाई...मेरा मतलब मुन्ना भाई. आपने तो बडी मस्त चर्चा करेली है.:)
15 नवंबर 2009 को 8:01 pm बजेहैप्पी ब्लागिंग।
Information in Hindi
7 जून 2019 को 8:20 am बजेXerox in Hindi
Computer Data in Hindi
Broadband in Hindi
Monitor in Hindi
Mobile Ram in Hindi
Google Play Store in Hindi
Projector in Hindi
Laptop in Hindi
7 जून 2019 को 8:21 am बजेFloppy Disk in Hindi
Bluetooth in Hindi
Google Maps in Hindi
Supercomputers in Hindi
Data Science in Hindi
Malware in Hindi
एक टिप्पणी भेजें
आप द्वारा दी गई टिप्पणीयां हमारे उत्साह को बढाने का कार्य, एवम हमे चिन्तन का अवसर प्रदान करती है. आप जब भी चाहे, हमे आपके अपने बहुमुल्य विचारो को यहा टिप्पणीयों के माध्यम से अवगत कराए......."ब्लाग-चर्चा" मुन्ना भाई की चिठ्ठे पर आप एवम आपकी टिप्प्णीयों का हमेशा स्वागत है.
आप यहा टिप्पणी लिख दीजिए और हमे भेज दिजिये..... शुक्रिया!