ये गुरु चेले "ताऊ टिप्पणी खेंचू ताबीज" बेच रयेले हैं भाई...

अरे सर्किट…तू किदर कू गयेला बाप?  मैं अक्खा दूपहरी से तेरे को याद किये जा रयेला हूं…

भाई मैं दिल्ली जाने के वास्ते तैयारी कर रयेला था…

ए सर्किट..ज्यादा भंकस नही देने का…क्या?  तेरे कू किस बात की तैयारी करने का? कोई रेल या हवाईजहाज वाला टिकट मांग रयेला हो तो बोलने का? अबी की अबी टपका डालेगा मैं..उन को..

अरे भाई आप  टेंशन नईं  लेने का…  टपकाने का काम तो मैंईच कर डालेगा ना भाई..वो तैयारी इस बात की कर रयेला था कि खुशदीप भाई ने  भाभी बनाने का वास्ते मुन्नी मेंटेन का रिश्ता बतायेला था ना भाई….

अरे हां रे सर्किट…क्या हुआ..वो बात पक्की कर दियेला है क्या?

अरे नईं भाई..मैं उसीईच की खातिर तो दिल्ली जा रयेला हूं..अगर मुन्नी भाभी मेरे कू जम गई तो मैं उदरीच रिशता नक्की कर डालेगा ना भाई..आप तो बस टेंशन नईं लेने का..वो खुशदीप भाई ने रिश्ता बतायेला है तो मुन्नी भाभी अच्छा ही होयेंगा ना भाई..

अरे सर्किट वो ठीक है पण बीडू..तेरे पीछे से अपुन को ब्लाग चर्चा कौन सुनायेंगा?

भाई आज तो मैंईच आपको सुनाकर जारयेला हूं…मेरे  पीछू… से मेरा दोस्त लोग है ना…. ठनठन गोपाल "बुंदेलखंडी",  कालू मारवाडी,  कल्लन चौधरी और महावीर बी. सेमलानी ये लोग आपकू बराबर सुनायेगा ना भाई….अब आप सुनने का  भाई…

 

अंतरसोहिल भजन सुना रयेले हैं पत्थर की राधा प्यारी 

अरे सर्किट ये वैसेईच ही है क्या जैसे ताऊ की रामप्यारी?

अरे नईं भाई  ताऊ और रामप्यारी का भजन से क्या वास्ता? ये तो बहुत मस्त भजन सुनायेले हैं सुनने का आंख मींचकर…और शेखावत जी वर्डप्रेस की तरह अपना प्रोफाइल पृष्ठ बनाएं ब्लोगर पर भी बनाना बता रयेले हैं…..और भाई ताऊ पहेली - 49 : विजेता श्री रंजन जीत गयेले हैं…और संगीता जी ज्‍योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 2 ??    ये बता रएली हैं….  हिमांशु भाई पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ –२ के लिये बता रयेले हैं….और गगन शर्माजी बिना इन्टरनेट के हिंदी लिखने में सहायता करें पूछ रयेले हैं….

अरे सर्किट उनको बताने का ना…जा बता के आ..नईं तो आशीष खंडेलवाल जी कू भाई का नाम लेके बोलने का कि शर्माजी वो बताने का है.

हां भाई आप  टेंशन नही  लेने का मैं अबी की अबीईच फ़ोन घुमा रयेला है ना..भाई.

 

हां भाई सुनीता शानु जी बोल रहेली हैं घूरना मना है (नई दुनिया के संपादकीय पृष्ठ पर)

 

My Photo सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात तो यह है कि घूरने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। अब भला यह भी कोई बात हुई? कोई यह बताए कि घूरना भी कोई अपराध हुआ भला। मेरे खयाल से हमारे देश में कम से कम दस प्रतिशत दस साल के बच्चे, तीस प्रतिशत नौजवान और साठ प्रतिशत बुढ़ऊ नौजवान से हैं, जो घूरा-घूरी में लगे रहते हैं। और नित्यप्रति घूरन प्रक्रिया द्वारा आई टॉनिक लेने का उनका नियम बना हुआ है। अब ये आई टॉनिक पर भी रोक लग गई तो सोचिए देश की आँखों का क्या होगा।

 

इत्ती दूर से आये हैं, कुछ तो ख्याल कीजिए ऐसा शेफ़ाली पांडे जी बोल रयेली हैं भाई…

 

संकट का असली समय अब आया था, मात्र दो मिनट की समय सीमा में इतने सारे पहलुओं को समेटना ऐसा लगा कि जैसे लडकी देखने जा रहे हों और एक नज़र में ही उसकी   मेरा फोटो खूबसूरती , चरित्र, व्यवहार, गृहकार्य की दक्षता सबकी जांच परख कर लेनी है, और मैं इस एक बात पर अक्सर आश्चर्यचकित रह जाती हूँ कि  मोहल्ले में जब भी कोई नववधू आती है और  उसे देखकर लौटती हुई महिलाओं से पूछ बैठो कि ''बहू कैसी है''?

 

 

तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या कम है और भाई महेंद्र मिश्र जी रोमांटिक मूड मे आगयेले हैं…बोल रयेले हैं…

 

निरन्तरजब तक बहारे आती रहेंगी, तब तक फूल खिलते रहेंगें
तेरी यादे जेहन में रहेंगी, तब तक दिल जिन्दा रहेगा.
*
न जाने हर आशना न जाने दगा कर बैठा मुझसे क्यों
हर वक्त हम से हर बार रूठा था हमसे ही न जाने क्यों.
*
नफ़रत भरे तेरे अल्फाजो से हम कई कविताएं उकेरते है
तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या है कम.

 

अरविंद मिश्रा जी बता रयेले हैं ......और यह है कलहान्तरिता नायिका ! (नायिका भेद -8 ) के भेद….और झा जी बता रयेले हैं  ब्लौग बैठक में हुई सकारात्मक और नकारात्मक लेखन पर चर्चा

इसी क्रम में चर्चा के दौरान मैंने भाई खुशदीप और मुख्य रूप से द्विवेदी जी से प्रश्न किया कि आखिर ऐसा क्यों लगता है कि अक्सर नकारात्मक लेखन .....सकारत्मक लेखन पर

 

हावी हो जाता है । सबका मानना था कि ऐसा नहीं है ॥क्योंकि विवाद को जितना भी खींचा जाए ,बढाया जाए, मगर सर्वकालिक लेखन ही हमेशा याद रखा जाता है .....और उसीका लेखक भी । और फ़िर नकारात्मकता की ओर सुलभता से आकर्षित हो जाना तो मानव का स्वाभाविक चरित्र है ।

 

//-जो बार-बार मिलता-बिछड़ता है , -मन रूक सा जाता है.. उसका बोलना पानी के बीच घुलता जाता है.-एक नया मौसम इस मौसम के विरुद्ध हो जाता है... ताना बाना पर विधु जी लिखेली हैं…


मेरा फोटो

...अभी-अभी धूप थी ओर बस अभी बूंदा-बांदी शुरू ---पानी की हल्की बूंदों के पार खूबसूरत अंदाज में पिघलती कुछ सपाट आकृतियाँ आकार लेती है शाम की शुरुआत होना ही चाहती है,अध् पढ़ी कहानी का पृष्ट बिन मोड़े ही वो गोद में उलट देती है ..तुरंत ही गलती का अहसास ,अब फिर सिरा ढूँढना होगा दुबारा शुरू करने के पहले,-कहाँ छोड़ा था,क्या ये मुमकिन होगा शुरुआत से पहले छूटे हुए कथा सूत्र को पकड़ पाना,एक ख्याल गाथा नया सिरा पकड़ लेती है , उधेड़बुन के साथ -सच कुछ भ्रम भी जरूरी है अच्छे से जीने के लिए ..पर मन की तरह मौसम भी बेहद खराब है,यहाँ ..ओर वहां ?इस सवाल का जवाब उसे नहीं मिलना था जो नहीं होगा उस इक्छा की तरह ..

 

शोकगीत: नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ? संजीव 'सलिल  पर माताजी की प्रथम पुण्य तिथी पर  श्रद्धांजली दे रयेले हैं…

अरे सर्किट अपुन की तरफ़ से भी माताजी को श्रद्धांजली देने का.

हां भाई मैने देदिया ना आपकी तरफ़ से..आप टेंशन नईं लेने का भाई…माताजी को श्रद्धांजली और विनम्र नमन मैं कर दियेला है….और भाई अब वकील साहब तीसरा खंबा पर बता रयेले हैं  जिरह के बाद आत्महत्या के मामले में जज की जिम्मेदारी क्यों न तय हो?  ……

 

 

कल अदालत में खबर पढ़ी "बलात्कार की शिकार महिला से अदालत में ऐसे सवाल-ज़वाब हुये कि उसने खुदकुशी कर ली"My Photo

खबर पढ़ कर मन खट्टा तो हुआ ही लेकिन हमारी न्याय-प्रणाली पर क्षुब्धता उत्पन्न हुई। आखिर वह कौन जज था जिस ने मुकदमे की आदेशिका में यह नोट लगाया कि 'खुदकुशी करने से ठीक पहले महिला के साथ कोर्ट में इस तरह के सवाल पूछे गए थे कि वो पूरी तरह से टूट गई', लेकिन उस तरह के सवालों को पूछने से सफाई पक्ष के वकील को नहीं रोक सका।

अबी अनिल पूसदकर भाई शिकायत कर रयेले हैं..भगवान ने उनके साथ कुछ लोचा कर दिया होयेंगा ये भगवान भी देखो एड्रेस गलत दे कर हम भक्तों को परख रहा है…..कविता जी बता रयेली हैम प्रेम न हाट बिकाय…..और विवेक रस्तोगी जी हमारी पिछली पोस्ट “हमने अपना फ़्लैट शिफ़्ट किया और मुंबई में लोगों को बहुत करीब से देखा देखिये और बताईये कि आपका नजरिया क्या है…. उत्तर भारतीय और मराठी मानुष” …. पर आई टिप्पणियों पर हमारे विचार…  बता रयेले है.. शेयर  बाजार के खतरों से आगाह कर रयेले हैं शिवम मिश्रा जी हर रोज नई चाल दिखा रहा है बाजार ……वडनेरकर जी बोल रयेले हैं  शुक्रिया दोस्तों,ब्लागिंग चलती रहेगी[बकलमखुद-115  

 

अरे सर्किट इत्ती देर होगयेली आज कोई गीत की पोस्ट नई दिख रयेली क्या?

अरे भाई बस ये सामने ही अल्पना जी की पोस्ट आगयेली है चिठ्ठी ना कोई संदेस़  …यहां ये गाना सुनने का…और शाश्त्री जी प रयेले कि "क्या हिंदी व्याकरण के कुछ नियम अप्रासंगिक हो चुके हैं?" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)….

अरे तो सर्किट…बता ना..शाश्त्रीजी को बता….

अरे भाई अपुन कोई व्याकरण पढेला लिखेला थोडीईच है? अपुन क्या बतायेगा?…..भाई राजतंत्र पर ग्वालानी जी काश एक बार वो फिर मिल जाती....  पता नई किस हंसीना को याद कर रयेले हैं?…..

अरे सर्किट..गवालानी जी कू बोल ..इस तरह पुरानी हंसीनाओ को नई याद करने का…बस सिर्फ़ भाभी को याद रखने का… क्या ?

अरे भाई आप काहे कू टेंशन लते..मैं पहलेईच बोल दिया ना उनको…और वो बोल भी दियेले हैं कि ऐसी कोई बातईच नई है…

 

और भाई उडनतश्तरी को आजकल  मायूस होना अच्छा लगता है क्या? भौत अच्छा लग रयेला है….

 

sll-comments उसी भीड़ में खोये मेरे अपने. उनकी अपनी भीड़ की गठरी है महत्वाकांक्षाओं की, अपने दायित्वों की, अपने और ज्यादा अपनों की परवरिश की. वैसे ही धक्का लगता है, जब मिलते हैं तो पहचान कर भी पहचान नहीं पाते. बस, मुलाकात होती है, बात होती है और उस दौरान हर पल तलाश होती है उस अपने की, जो ऐसा नहीं था जिससे मैं अभी बात कर रहा हूँ, अभी मुलाकात कर रहा हूँ.

 

 

शेखावतजी डाउनलोड करें विंडो 7 की थीम विंडो एक्सपी के लिए  करवा रयेले हैं और रस्तोगी जी बता रयेले कि फ़ोरेनरों को उनके देश से पढ़ा के भेजा जाता है कि “भारतीय चोर होते हैं”, और वे खुद…  अब आपईच समझ लेने का भाई…और अशोक पांडे जी बता रयेले की बकरी के बच्चों को दूध पिलाती है गाय  और भाई अब एक नया चित्रकार आयेला है..आपकू भी तस्वीर बनवाने की होयेंगी तो बताने का…

 

अरे सर्किट ताऊ की तरह पहेलियां नईं बुझाने का मेरे कू साफ़ साफ़ बताने का..ये क्या हो रियेला है बाप…

ये कौन चित्रकार है...

मुझे मिल गई मम्मी की आई लाईनर... चित्रकारी करने के लिये और क्या चाहिये होता है? क्या कहा कैनवास? अरे घर में इतनी सारी जगह है.. और आप कैनवास की बात करते है... देखिये मेरी चित्रकारी का एक नमुना.. ये काम अभी शुरु ही किया है तो क्लेक्शन में ज्यादा आईटम नहीं है.. अभी तो इसे ही निहारिये

वीर बहुटी पर निर्मला जी गजल पढवा रयेली हैं…और अल्बेला खत्री मालामाल हो गयेले हैं..अरे बाप रे ! शरद कोकासजी ! आपने तो निहाल कर दिया - मालाएं इतनी पहनादी की मालामाल कर दिया…… और राज भाटिया जी शिकायत कर रयेले हैम  अन्ताक्षरी ६ गीतो भरी  की…..और भाई झटका को मच्छर काटते रहे पूरी फ़्लाईट में : आपकी कसम…कसम खाकर बोल रयेला है भाई..मतलब सही ई बोल रयेला होयेंगा…..

 

और दिगंबर नासवा जी आस्था आदर्श पर .. बता रयेले हैं..

जगमगाती रौशनी और शहर के आकर्ष पर
बन गए कितने फ़साने जुस्तजू संघर्ष पर
छू लिया क्यों आसमान सड़क पर रहते हुवे
उठ रही हैं उंगलियाँ उस शख्स के उत्कर्ष पर
मर गया बेनाम ही जो उम्र भर जीता रहा
सत्य निष्ठां न्याय नियम आस्था आदर्श पर

 

और विनीता यशस्वी कस्तूरी मृग : उत्तराखंड का राजकीय पशु के बारे में बता रयेली हैं भाई….

 

इसके जीवन पर पैदा हो रहे संकट के चलते इसे `इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस´ ने `रैड डाटा बुक´ में शामिल किया गया है। भारत सरकार ने भी वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इसके शिकार को गैरकानूनी घाषित कर दिया है। इंडियन वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने जिन 13 वन्य प्राणियों के जीवन को खतरे की सूची में डाला है उसमें से कस्तूरी मृग भी एक है।
यदि अभी भी इस जानवर को बचाने के प्रयास गंभीरता से नहीं किये गये तो जल्द ही उत्तराखंड का यह राजकीय पशु शायद सिर्फ तस्वीरों में ही नज़र आयेगा।

 

 

 

 

पारुलजी ने दुआ करना  सिखायेला है …पारूल…चाँद पुखराज का…… – पर और अंतरसोहिल पर्यावरण प्रदूषण (समस्या और कारण)2 के बारे मे बता रयेले हैं…    घुघूतीबासूती पर  श्लील और अश्लील लेख लिखेली हैं …..और संगीता जी ज्‍योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 3 ??  बता रयेली हैं…और संचिका पर लवली जी

मिथकों का मानव के अवचेतन पर प्रभाव – 1 के बारे मे बता रयेली हैं…

 

और भाई आपको टिप्पणी एक जगहईच पढने का आनंद लेना होयेंगा तो टिप्पू चच्चा के ब्लाग पर जाने का….चच्चा एक से एक टीप्पणि ढूंढकर लायेला है उसके ब्लाग पर चच्चा टिप्पू सिंह हाजिर है! सब लोगन को टिप..टिप....!    बडा मस्त लिखेला है चच्चा टिप्पु सिंह…

पण सर्किट ये टिप्पुसिंह चच्चा कौन है क्या है?.

भाई ये तो किसी कू बी नईं मालूम…पर चचा बाते बडी मस्त करता है….

ये लो जी …आगये आपके चच्चा टिप्पू सिंह टिप  टिप करते करते…ऊ का है ना कि आजकल सर्दी बडा हुई गवा त हमको बडा मुश्किल हुई गवा। अब बच्चा लोग आप त जानबे ई करते हो कि बुढौती का सबसे बडा दुश्मन जाडा ही हुआ करत है। वैसे हमारे दुश्मन तो ई सोचके ई खुश हो लिये होंगे कि चच्चा तो सर्दी मे निपट निपुटा गये होईहैं?

तेरी दुनिया के निराले, दस्तूर हैं.. ये मीत बता रयेले हैं…और राज भाटिया जी एक जरुरी सुचना सभी कवि लोगो के लिये दे रयेले हैं….अंतर्मन पर एक ब्लॉग, ब्लोगर द्वारा, ब्लोगर्स के लिए  लिये लिखेली है…डॉ टी एस दराल…उनकी ये ५१ वी पोस्ट है…

अरे सर्किट ..तो डाक्तर साहब को बधाई दे डाल ना रे…

भाई आप काहे कू टेंशन ले रयेले हैं? मैं अबी की अबी देके आया ना बधाई डाक्टर सहब कू..और कल दिल्ली मे जाके  रुबरु बी देदेगा….वो मुन्नी मेंटेन से बी मिलने जाने का है ना तो खुशदीप भाई के साथ डाक्टर साहब को ले जायेंगा ना मैं….

 

और अलग सा पर शर्मा जी ये भी खूब रही :) :) :) बता रयेले हैं….और अंधड पर गोदियाल जी पूछ रयेले और हमारे संचार माध्यम कब सुधरेंगे ?…..अनिलकांत जी संभव है तुम्हें ये निरर्थक लगे  बोल रयेले हैं….

 

आज अदाजी ने आँचल और घूंघट पोस्ट लगायेली है…

 

आज की नारी को रोक पाना असंभव है....अगर वो सही रास्ते पर है तो.....जाहिर सी बात है...अपनी व्यक्तिगत योग्यता भी मायने रखती है....किसी भी तरह के निर्णय के लिए.....
बचपन में जब मैं दादा-दादी के घर जाती और कोई कुछ बेचने आता तो दादा जी उससे चीज़ें लेकर अन्दर भेजा करते थे...दादी के approoval के लिए अगर दादी ने हाँ कहा तो ही वो चीज़ खरीदी जाती थी वर्ना नहीं......सबको लगता था की दादा जी की चलती है लेकिन असल में पूरे घर का हैंडल दादी के ही हाथ में था.....
फिर देखा माँ को ..मेरी माँ तो खैर क्लास वन ऑफिसर थी...३ जिला की विद्यालय निरीक्षिका थी.....अब अवकाश प्राप्त कर घर पर हैं........इसलिए हर निर्णय वो खुद ही करती थी/हैं .....लेकिन जब भी मेरे दादा जी आते थे वो सर पर आँचल ज़रूर रखती थी...इसलिए नहीं कि वो बाध्य थी ...बल्कि इसलिए कि यह एक तरीका है आदर जताने का....अब कोई इसे उनकी कमजोरी समझे तो यह उस व्यक्ति सोच की कमी है...

 

ज्योतिषी कोई भगवान तो नहीं कि आपके भाग्य को बदल डाले ....  ये बता रयेले है प.डी.के.शर्मा “वत्स” जी….

 

किसी भी राशी के अनुसार जो भविष्यफल बताया जाता है वो तात्कालीक ग्रह गोचर भ्रमण के अनुसार होता है । जब कि आपकी जन्मकुंडली जो कि आपके जन्मकालीन ग्रहों पर आधारित होती हैं, वास्तव में वो ही आपके समस्त जीवन का सार है । आप अपने पूर्वार्जित कर्मों के अनुसार जन्म के साथ ही जो कुछ भी हानि-लाभ,सुख-दुख, कर्म-अकर्म, भाग्य-दुर्भाग्य इत्यादि के रूप में अपने साथ संग्रहित कर के लाते हो---उसे जानने का एकमात्र माध्यम सिर्फ आपकी जन्मकुंडली ही है । उसी के आधार पर आपको अपने भावी जीवन में फल की प्राति होती है ।  

 

 

 

दिल्ली ब्लोग बैठक में हुआ फ़ोटो शूट (आखिरी रपट)  ये झा जी ने जारी किये हैं…कल दिल्ली जाके मैं झा जी से बी मिलेंगा ना भाई….आप ये फ़ोटो देखने का भाई…

 


 

और ये पोस्ट भी अजयकुमार झा जी ने अपने ई अंदाज मे लिखेली है भाई..जरुर पढने का….फ़िर खेती बाडी पर चाय तो रोज पीते होंगे... कभी चर्चा भी की है..  पोस्ट लिखेली है…और भाई विवेक रस्तोगी ब्लॉगिंग के कीड़े के कारण अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई…  

 

अरे सर्किट..ब्लागिंग का ये तो साईड इफ़ेक्ट होताईच है ना…अब ब्लागिंग करेंगा तो तुम दूसरों की वाट लगायेंगा और ब्लागिंग तुम्हारी वाट लगायेगीईच…मैं तो तेरे को बी पहले ई बोल रयेला था कि ये वाट लगाने लगवाने का काम दिख रयेला है मेरे कू तो….

हां आप सही बोल रयेले भाई..पण आप टेंशन नईं लेने का..मैं है ना…मैं सब संभाल लेगा…

 

शीरीं-फरहाद .......ये कविता लिखेली है हरकीरत जी ’हीर’ ने

 

फरहाद.........
शीरीं का सब्र टूट पड़ा था
वह बेतहाशा दौड़ पड़ीMy Photo
तेशा रुका , हथौड़ा थमा
आँखें मिलन की आस में
चमक उठीं ....
जी चाहा ...दौड़कर भींच ले
मोहब्बत को सीने में
पर वचन ने मुँह मोड़ लिया
तेशा फ़िर चलने लगा
पहाड़ टूटने लगा
बेताब धड़कने
फ़िर मिलन की आग में
जलने लगीं.......

हमारे सांसद, हमारे बच्चे...खुशदीप  ये बता रयेले हैं…

 

[nainital-8_edited.jpg]

हमारे सांसद-
लोकसभा में करोड़पति सांसदों की संख्या दोगुनी हो गई है...वर्ष 2004 में लोकसभा में सिर्फ 156 सदस्य करोड़पति थे...2009 में ये संख्या बढ़कर 315 हो गई है...लोकसभा में करोड़पति सांसद की औसत आय 2004 में एक करोड़ 86 लाख रुपये सालाना थी जो 2009 में बढ़कर 5.33 करोड़ रुपये हो गई है...सांसदों की औसत संपत्ति 2004 में एक करोड़ 92 लाख रुपये थी जो 2009 में चार करोड़ अस्सी लाख हो गई...20 फीसदी सांसदों के पास पांच करोड़ रुपये की औसतन संपत्ति है...50 फीसदी सांसदों के पास 50 लाख से पांच करोड़ रुपये की औसतन संपत्ति है...

 

हमारे बच्चे...
देश के साढ़े पांच करोड़ बच्चे कुपोषण के शिकार हैं यानि उनका वजन उम्र के हिसाब से कम है..देश में रोज़ पांच साल से कम उम्र के पांच हज़ार बच्चे कुपोषण से दम तोड़ देते हैं...हर साल जन्म के पहले महीने में मरने वाले बच्चों का सालाना आंकड़ा दस लाख बैठता है...पांच साल से नीचे के दस लाख और बच्चे हर साल मौत का शिकार होते हैं...बच्चों की हालत को लेकर भारत का दुनिया में 49 वां नंबर है...

अरविंद मिश्रा जी अबी नायिका भेद बता रयेले हैं…प्रेमातुर नायिका है अभिसारिका!(नायिका भेद –९

 

-वाह ,ऐसी नायिका की हिम्मत के क्या  कहने !निर्भय ,सापो से भी घिरी मगर  कितना समर्पित है वह अपने प्रेम और प्रियतम के प्रति ! राकेश गुप्त ने ऐसी नायिका की तारीफ में कुछ पंक्तियाँ यूं लिखी हैं ...

दो उन्नत उरोज आतुर थे

आलिंगन में कस जाने को ;

फड़क रहे अधरोष्ठ पिया के

प्रियतम के चुम्बन पाने को ;

चंचल थे पद चक्र  कामिनी -

अभिथल तक पहुचाने  को  ;

तन से आगे भाग रहा मन

मनमोहन में रम जाने को

 

राजकुमार ग्वालानी झी भारतीय महिला हॉकी में अभी जान है बाकी ये बता रयेले हैं….हिमांशु भाई पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ –३  आगे बता रयेले हैं…और आदि चित्रकारी के बाद अब योगा कर रयेला है  योगा विद आदि….

 

मतलब  बता रयेले हैं श्यामल सुमन जी  मनोरमा पर…


My Photo

मतलब पर मत लव को खोल।
हो सकता है सब कुछ गोल।
मतलब पूरे तो मिठास संग,
लव खोलो, मत लब लब बोल।।

 

एक भीख मांगता बच्चा  शिल्पकार के मुख से ..पर बता रयेले हैं  ललित शर्मा  जी……

 

lalit-sharma

धुप में

झुलसता हुआ

रेत की आग में

जलता हुआ

एक भीख मांगता बच्चा

 

और भाई अब अदाजी फ़िल्म अभिलाषा का ये 'अदा'.....वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें ... सुनवा रयेली हैं….मस्त सुनने का…

 

वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें


जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन ...
जब हँसेगी कली रंग वाली कोई 2
और झुक जायेगी तुमपे डाली कोई
सर झुकाए हुए तुम मुझे पाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन ...

अनवरत पर वकील साहब बहुत मार्मिक पोस्ट लिखेले हैं  उमंगों की उम्र में कोई क्यों खुदकुशी कर लेता है?   जरुर पढने का भाई….इसके बाद शेखावत जी अब ब्लोगिंग के साथ करें कमाई भी !  पैसा कमाने की स्कीम बता रयेले हैं..जहां पर गुरु चेले मिलकर ताऊ टिप्पणी खेंचू ताबीज बेच रयेले हैं भाई….

ताऊ टिप्पणी ताबीज

 

 

ताबीज बनाते बाबा ताऊ आनंद

हमने तो इस तरह अपना स्टोर खोल लिया है | जिसे आप यहाँ चटका लगाकर देख सकते है |और वहां हमारे गुरुदेव श्री श्री 1008 बाबा ताऊ आनद द्वारा बनाया गया एक टिप्पणी खेंचू ताबीज बेच रहे है अभी नई-नई दुकान खोली है इसलिए दुकान व उत्पाद के प्रचार के लिए यह फ्री में दे रहे है आप भी स्टॉक ख़त्म होने व रामप्यारी द्वारा इस पर कोई शुल्क लगाने से पहले ले आईये |तो फिर देर किस बात की अब इस Add to cart बटन पर चटका लगा ही दीजिए | साथ ही इस तरह दुकानदारी करने का उदाहरण भी देख आईये |

 

 

आच्छादित आकाश  ये पोस्ट लिखेली है…M.A.Sharma "सेहर"..


रोज की दिनचर्या से खीजता ,झुंझलाता , परिस्थितयों से समझौता ना बैठा पाता संजोग ...अक्सर सुमिता पर ही खीजता ।
लम्बे समय से सुमिता चुपचाप सब कुछ समझने का नाटक करती हुयी उस दिन का इंतज़ार कर रही थी की कब संजोग के अन्दर का हहराता हुआ, अवसाद का सागर बाहर निकल कर शांत हो जायेगा, वक्त के साथ थम जायेगा और वो उसके प्रेम को समझ पायेगा ...

 

 

 

 

 

 

 

कपिला जी एवं पंकज जी के जन्म-दिवस पर विशेष व्यवस्थाएं  जबलपुर ब्रिगेड बधाई दियेली है…..

 


 

अरे सर्किट अपनी तरफ़ से बी बधाई दे डाल ना…

अरे भाई आप काहे कू टेंशन लेता है..मई देदियेला है ना बधाई…

पण सर्किट ये फ़ोटो तो तू किदर से बी गलत ऊठा के ले आयेला है…ये तो संजय भाई की फ़ोटो लग रयेली है…पंकज भाई की नईं….

हां भाई मैं अबी फ़ोन करके बोलता ना..आप टेंशन नईं लेने का..

 

भाई अबी गोदियाल जी पूछ रयेले क्या आपका खून नही खौलता ? …और आनंद पाठक बता रयेले हैं संसद में हाथापाई : एक गीतिका….और मुरारी पारीक नेपाली इंग्लिश शो इवनिंग मंत्र !! बोल के बता रयेले हैं….

और भाई फ़र्रुखाबादी हेट्रिक विजेता (123) : उडनतश्तरी बन गयेले हैं…और संजय ग्रोवर जी प्रार्थना कर रयेले हैं मोहे अगला जनम ना दीजो-2…..और पाबलाजी बता रयेले हैं   गजरौला टाईम्स में 'कवितायें' …छपेली हैं…  और वह फिर जी उठा ये बता रयेली हैं..घुघूतीबासूती जी….और भाई खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (124) : रामप्यारी मे कुछ गधे पकड लाई है..जरा देखने का

और पूछ रयेली है ये खेत किस चीज का है…..?

अरे सर्किट..मेरे कू तो ये गधों का खेत लग रयेला है?

अरे नई भाई ये कोई तो भी सेव अमरुद का खेत है…पण अपने को क्या करने का…? जो बतायेगा वो जीतेंगा…पण रामप्यारी ने वो प.डी.के.शर्मा “वत्स” पर जुर्माना ठोके दियेला है भाई…और पंडितजी जुर्माना नईं दे रयेले हैं और दंड ब्याज बढते जा रयेला है भाई..

अरे सर्किट तू जमा करा देना पंडितजी का जुरमाना?

पण भाई मेरे को अबी की अबी दिल्ली निकलना है ना मुन्नी भाभी को मिलने ..वापस लौट के देखता मैं…पंडितजी से आपकी शादी का मुहुर्त भी तो निकलवाने का है ना भाई..जुर्माने की रकम उस फ़ीस मे से काट लेंगे भाई…

 

और भाई ताऊ को और रामप्यारी को मच्छरों ने चटका डाला…दिल्ली ब्लागर सम्मेलन के बाद ताऊ ने रिपोर्टिंग से तौबा की


वो मच्छर बोला - प्रिये, तुम भी कभी कभी बहुत नादानी करती हो? ये गंवार ताऊ है...कोई पढा लिखा थोडी है? अरे इसके खून मे किक ज्यादा है..तुम्हारी तबियत कहीं खराब ना हो जाये इतना शुद्ध देशी हरयाणवी खून पीकर? और अभी तो तुम आराम करलो...भोपाल के बाद यह ताऊ इंदौर तक जायेगा...तब भोपाल इंदौर के बीच पी लेना इसका बाकी खून... उस मच्छर प्रिया सुर्पणखां को जब यह मालूम पडा कि अभी तो बहुत देर है सो वो उस मच्छर के कंधे पर सर टिका कर सोगई..

 

ये सर्किट तू बी तो हवाईजहाज से जारयेला है ना दिल्ली?  तेरे कू बी वो मच्छर काटेंगा तो क्या  होयेंगा…

अरे भाई आप टेंशन काहे कू लेता? मैने ओडोमोस खरीद के रख लियेला है भाई….अच्छा भाई अब मैं चलता…खुशदीप भाई का फ़ोन आये तो बोल देने का कि सर्किट दिल्ली के लिये निकल गयेला है…और वहां पहु्च के फ़ोन मारेगा…

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रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया …सर्किट बोल रयेला

अरे सर्किट…आ गयेला है क्या?  किदर कू गयेला था रे तू?

हां भाई मैं आगयेला है ना….भाई वो उडनतश्तरी के पीछे भाई लोगों ने मच्छर छोड दियेले थे तो मैं वहां गयेला था…

अरे सर्किट मेरे कू लगता है आज तू पियेला है…बाप..कब से शुरु की रे तूने?

अरे भाई आप बी खाली पीली मजाक मारते ..भाई…वो क्या है ना ..वो अपुन के हाथ से की बोर्ड फ़िसल गयेला था…उडनतश्तरी के पिच्छू मछ्छर नही लगायेला था बल्कि उनके कंप्यूटर में मच्छर घुस गयेले थे…मच्छर बोले तो वायरस..मैं वोईच तो निकालने गयेला था भाई…बस अब उडनतश्तरी आतीईच होयेंगी…

 

आप तो ये चर्चा सुनो….

 

कोई भी देश भूगोल में बाद में टूटता है, पर पहले उसे दिमाग में तोड़ा जाता है…..

अरे सर्किट ऐसा बापू ने बोला क्या?

नही भाई…ऐसा गगन शर्माजी बोल रयेले हैं…और राजीव तनेजा जी चेहरा छुपा दिया है हमने नकाब में-9 …अब कहां से ढुंढेगा मैं?  और वकील साहब "फिल वक्त" महेन्द्र 'नेह' की एक कविता 'थिरक उठेगी धरती से' मंजे भाई आजीईच लोकारपण है.  और  गोदियालजी को यादें ! सता रयेली हैं भाई…

 

अरे सर्किट..गोदियाल जी को बोलने का..यादें सता रयेली हैं तो कुछ लेने का ना …खाली पीली यादों का सताना बुरी बात है…उनको बोलने का अगर कुछ लेना होयेंगा तो शाम कू भाई के पास आने का…क्या?

हां मैं बोल दियेला भाई…आप टेंशन नही लेने का…..और भाई शाह्स्त्रीजी बता रयेले "खटीमा में स्वाइन-फ्लू तथा बाघ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" फ़ैल गयेला है.

अरे सर्किट ये क्या ब्लाग फ़्ल्यु जैसाईच कुछ होता होयेंगा?

अरे भाई..आप काहे टेंशन लेता है?  ब्लाग फ़्ल्यु की चपेट मे आने के बाद बचने का कोई तरीका काम नही करेला है…अलबत्ता स्वाईन फ़्ल्यु से बच भी सकता है भाई..पर आप टेंशन नही लेने का….

 

अनिल पूसदकर जी बोल रयेले हे भगवान,अगले जनम मे तू मुझे सींधी या सरदार ही बनाना!अबे मुसलमान भी जोड ना,उसको क्यों छोड़ रहा है! 

अरे सर्किट कुछ समझा कर बता ना…

भाई आपईच समझ लिजिये..कुछ बिगडने बिगाडने की बाते हो रयेली हैं….

 


My Photo

समीर लाल जी की एक पोस्ट ने और मेरी कल की पोस्ट पर शरद कोकास ने टिपण्णी ने मुझे ये पोस्ट लिखने पर मज़बूर कर दिया।समीर लाल जी की पोस्ट मे उनके सामने मदिरा का लबरेज़ समन्दर था और मेरे भतीजे को छुपा कर अंडा खिलाने पर थी वो पोस्ट थी जिस पर शरद जी ने कहा था कि अंडे का फ़ंडा तो बच्चे की समझ मे आ गया ,उसे क्या पता बड़े लोग छुप-छुप कर क्या करते हैं।वो बात सीधे-सीधे मेरे लिये ही थी।साफ़-साफ़ कहा जाये तो मेरे शराब पीने पर थी।

और भाई महेंद्र मिश्रा जी चिठ्ठी चर्चा - तब ऐसे में मैं खुश होकर बस प्यार की झप्पी लेता हूँ...   

अरे सर्किट वोईच जादू खी झप्पी की बात कर रयेले हैं क्या? भौत अच्छी बात कर रयेले हैं मिश्रा जी…उनको बोलने का कि रोज झप्पी लेने का और भाई खी भी लेने का..आगे क्या है रे सर्किट?

 

भाई मै निर्झर हूँ  और रक्त तिलक करले  …. ये क्षत्रिय बोल रयेले हैं और शेखावत जी उनके ई एक दोस्त को फ़ंसा लियेला है आखिर फाँस ही लिया हमने रामबाबू सिंह को हिंदी ब्लोगिंग जाल में

अरे सर्किट ये भौत अच्छी बात लग रयेली है…सबको इस तरह फ़ंसना फ़ंसना मंगता अपुन तो…आगे क्या बोल रयेला है?

 

अन्तर सोहिल = Inner Beautiful पर एक पोस्ट है….जिसमे फ़त्तू चौधरी के किस्से हैं…..

सवेरे उठते ही फत्तू बोला - "बाब्बू ठीक सै अगर तू कहवै तो आज से मैं कदे भी दारू नही पीयूंगा।"
रलदू बोलता उससे पहलां ही संतो बोली - "बेटे फत्तू , तू दारू छोड चाहे पी, तेरी मर्जी,  पर तेरा बाब्बू आज के बाद रोज पिवैगा।"

 

और भाई शिवम मिश्रा जी पूछ रयेले हैं सच्चा प्यार चाहिए या नानवेज जोक..... ड़ाल करें ....   और भाई आज तो खुद संगीता जी भी सवाल पूछ रयेली हैं ताऊ पहेली  के माफ़िक ज्‍योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 1 ??…..और शाश्त्री जी रामप्यारी का सवाल जीत गयेले हैं फ़र्रुखाबादी विजेता (120) : डा. रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक"

और श्रीश पाठक 'प्रखर' बता रयेले हैं….  सुन्दरतम है...!!!   और शर्मा जी अपने में दफन इंसान की भूल की अनोखी सजा भुगतती एक कब्र  की कथा सुना रयेले हैं.

 

और भाई मुंबई टाईगर बता रयेला है रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया   …

अरे सर्किट एक मिनट..एक मिनत रुकने का..पहले मेरे कू बताने का..भाई के मुंबई मे रहते ये दूसरा टाईगर किदर से आयेला है?

अरे भाई आप काहे कू टेंशन लेते…भाई ये तो नाम का टाईगर है..आप असल के टाईगर हैं…बस ये तो ब्लाग का नाम रख लियेला है…तो ये क्या कह रयेला है आप खुदईच देखो….

 

ताऊ पहेली, हिंदी ब्लोगरो के लिए चोपाल बन गई . शनिवार के दिन ज्यादातर ब्लोगर वहां जमा हो जाते है  एवं टिप्पणियों के माध्यम से अपनी खुशी और मौज व्यक्त करते हैं. सभी एक दुसरे को अपने करीब होने जैसा महसूस करने लगे. ब्लोगर  दोस्त बनाने एवं बनने के लिए ताऊ कि इस चोपाल में एकत्रित होने लगे. कई नए ब्लोगर्स ने अपनी पहचान  यही से बनाई . अविवाविदित ताऊ पहेली ने वो तहलका कर दिया जो कई वर्षो तक हिंदी ब्लोग जगत में शायद ही कोई कर सकेगा.

ताऊ कि भी खोपड़ी कोमिक्स के एक पात्र चाचा चोधरी कि तरह चलती है और उन्होंने पाठको को पहेलियों में नायाब नुस्खों से प्रभावित करना शुरू कर दिया . प्रथम  विजेता , द्वितीय विजेता, और साथ ही साथ लगातार तीन बार के विजेताओ को

"महाताऊश्री" कि पदवी से नवाजे जाने कि घोषणा ने   पाठको में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी.

अरे सर्किट मैं बोलता इस ताऊ कॊ ऊठाके इधर लाने का …फ़िर मैं सारी पहेली जीतेंगा….फ़िर अपुन की भी फ़ोटो छपेगी ना सर्किट…देख सबकी कैसे फ़ोटो छपेली है?

हां भाई आप टेंशन नईं लेने का…छपेगी  ना..आपकी फ़ोटो…

 

और रस्तोगी जी सावधा कर रयेले हैं…. अगर आप भारतीय रेल में यात्रा करते हुए चाय पान कर रहे हैं तो सावधान… (IRCTC’s Worst…..)  और भाई रामप्यारी फ़िर खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (121) : रामप्यारी  खेल रयेली है…और भाई जब देखो तनेजा जी चेहरा छुपा दिया है हमने नकाब में-23 येईच खेलते रहते हैं…

अरे सर्किट उनको बोल ना अपुन का भी चेहरा नकाब मे छुपाने का..अपुन बी देखेगा कि कईसा लगता है नकाब मे अपुन का चेहरा?

हां भाई टेंशन लेने का नईं…मैं अबी बात करता ना भाई…अबी की अबी…

 

और भाई बबली जी ने GULDASTE - E – SHAYARI शायरी लिखेली है…

अरे सर्किट सुना तो मेरे कूं …ये कैसी होती है….

हां भाई..सुनाता ना मैं अबी आपको..टेंशन नईं लेने का भाई..अब  सुनने का ……

 

ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,My Photo
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
सिर्फ़ विश्वास पर ही साँस टिकी है मेरी,
तुम मेरे नाम सिर्फ़ एक शाम ही लिख दो !

 

 

और भाई मिसिर जी बोल रयेले …एक शाम गिरिजेश ने की मेरे नाम!  …

अरे सर्किट..ये कौन से मिसिर जी हैं रे?.. खाली पीली…शार्ट कट मे काम नईं चलाने का…इज्जत से पूरा नाम बताने का…अपुन भाई है इसका मतलब कोई और कुछ नही समझने का…समझ गया ना?

अरे भाई समझ गयेला ना…वो क्या है उस वक्त  की बोर्ड पर अंगुलियां फ़िसल गयेली थी…तो पुरा नाम नही लिखेली थी..वो अपने अरविंद मिश्रा जी….

अच्छा वही वाले मिश्रा जी..जो प्रेम प्यार और नायक नायिका के भेद बता रयेले थे? अरे सर्किट उनको बोल ना..भाई को वो भौत अच्छी लगेली थी..और लिखने का..

भाई टेंशन नही लेने का..मैं अबी की अबी फ़ोन करके बोलता ना भाई….अबी बोलता है…

 

बवाल भाई की मुहम्मद रॉबर्ट सिंह दुबे .............(बवाल) …और राज भाटिया जी स्वाईन फ़लू ओर इस का होव्वा बता रयेले हैं….और वकील साहब वर्षगांठ भूल गयेले हैं भाई यात्रा में भूली, अनवरत की दूसरी वर्षगाँठ  …और शिवम मिश्रा जी रिकार्ड में बनाए दरोगा ई सिपाही क्या है भाई....?? …पूछ रयेले हैं….और झाजी रविवारी चर्चा , दो लाइन का खर्चा . कर रयेले हैं…और वाणीगीत बोल रयेली हैं  तुम याद आए ...बहुत याद आए….और गौतम राजरिशी सितारे डूबते सूरज से क्या सामान लेते हैं   इसकी खरीदी बेची की टेकनिक बता रयेले हैं भाई….

 

और भाई अदाजी ने तीन शेर सुनायेले हैं…..

अरे सर्किट..तू भी और अदाजी भी मजाक कर रयेली हैं क्या? अरे शेर यानि लायन..वो भी कुछ सुनाने की चीज होती क्या? अरे शेर बडी खतरनाक चीज होती….अपुन कू तो डर लगाता बाप..शेर से..


 

अरे भाई ये शेर वो वाला नहीं होता ना…ये तो कविता का माफ़िक होता है जैसे   पुकारता चला हूँ मैं.......भरी दुनिया में आख़िर दिल को ..

अरे सर्किट ये तो मेरे सनम का मस्त गाना है बाप..मैने बी देखेली थी ये तो ..हां सुनाने का..तबियत से सुना….

 

और भाई नीरज जाट झी धर्मशाला यात्रा करवा रयेले हैं…और ग्वालानी जी बोल रयेले हैं..अबे कितनी बार कहा है झंडा मत बोले कर …और वीर बहुटी पर निर्मला कपिला जी बोल रयेली हैं…

गज़ल *ज़िन्दगी से मैने कहा कि मैं गज़ल सीखना चाहती हूँ तो उसने कहा कि तुम्हारे पास क्या है जो गज़ल लिखोगी? मैने कहा देखो इस मे काफिया भी है रदीफ भी है तो वो हंसी और बोली अरे! मूर्ख ये बहर मे नहीं है।

और अक्साई चिन यानि सफेद नदी का दर्रा...खुशदीप बता रयेले हैं…अब भाई ये आप कल पूछ रयेले थे कि पंकज मिशिर जी किदर कू गये? तो ये आगयेले हैं पंकज मिशिर जी…जो सामने है बीयर और समीर जी …मे बी ईन फ़ीयर (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )  कर रयेले हैं…

 

नमस्कार, पंकज मिसिर आप लोग के बीच आ गया हु …काफ़ी व्यस्तता है लेकिन आज मन नही माना तो मै सोचा कि चलो दो-चार पोस्ट की चर्चा कर ही देता हु..क्या होगा देखा जायेगा …ये लहजा है एक श्री मान जी का ..और देखते ही देखते दो ठू खुल्ला साड पैदा हो गये है ब्लाग जगत मा …….इ खुल्ला साड लोग छुपा खेल शुरु कर दिये है …तो सुन ले कि जितना खेल खेलना है मुस्किल से १० दिन अउर खेल पायेगे ..इसके बाद ? अरे भाया हम आ जायेगे वापस और बान्ध देगे दोनो बन्धुओ को…..

अब चलिये चर्चा कर लेते है नही तो कही हमे भी कोइ बिमार फ़र्मा ना बोल दे :)

और नीरज गोस्वामी जी किताबों की दुनिया – 19 से रुबरु करवा रयेले हैं भाई…

 

ऐ खुदा रेत के सेहरा को समन्दर कर दे

या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे

तुझको देखा नहीं मेहसूस किया है मैंने

आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर* कर दे

पैकर* = आकृति

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन

मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे

 

 

 

 

 

और भाई राज भाटिया जी अन्ताक्षरी ५ गीतो भरी खिलवा रयेले हैं…..और तस्लीम पर अरविंद मिश्रा जी पहेली पूछ रयेले हैं  आज की पहेली बड़ी कठिन है -बताईये तो यह क्या है ??….

 

और महक जी नज़दीकियाँ मे ये कविता पढवा रयेली हैं….

 

images (9)  जब मैं उदास होती हूँ
मन में ही सिसकती रोती हूँ
बिन कारण ही,ऐसे ही
भावनाओ की नदिया में डूब जाती हूँ
कोई आधार नही होता उन बातों का
जानती हूँ , मगर फिर भी
चली जाती हूँ उन राहों पर
दिल हल्का हो जाता है
उस वक़्त तेरी नज़दीकियाँ
मेरा आधार बनती है

 

और भाई गोदियाल जी बोल रयेले हैं..फिर सनक गया दिमाग कार्टून बनाने को.....

 

और भाई पी.डी. साहब समझ नईं आ रयेला है  क्या शीर्षक दूं, समझ में नहीं आ रहा है…..डाक्टर श्रीमती अजी गुप्ता  बाहर से लौट कर ये कविता  पढवा रयेली हैं  कविता - सिंह-वाली बाहर होगी….. और भारतीय नागरिक बोल रयेले सात मौतें ज्यादा बड़ी हैं या एक व्यक्ति की दूसरी शादी…   से. सही बात है भाई…

और भाई रंजना [रंजू भाटिया] जाने लोग यहाँ क्या-क्या तलाश करते हैं..

जाने लोग यहाँ क्या-क्या तलाश करते हैं  
पतझड़ों में हम सावन की राह तक़ते हैं
अनसुनी चीखों का शोर हैं यहाँ हर तरफ़
गूंगे स्वरों से नगमे सुनने की बात करते हैं

 

भाई आप अब आराम करने का..मैं जरा लक्की सिंह का मकान खाली करवाने जा रयेला है और वो खुशदीप भाई ने आपके लिये एक मैच ढूंढेला है….

.वैसे बाप इधर मुन्ना भाई का एक सालिड मैच ढूढेला ए...मुन्नी मेंटेन....क्या बमचिक आइटम है बाप...इलाके में मुन्नी मेंटेन का क्राइम ग्राफ सबसे टॉप पर है बॉस...मुन्नी मेंटन बस मुन्ना भाई के फोटा का डिमांड किएला है...कोई रपचिक फोटू भेज रे सर्किट..

तो भाई  मैं  खुशदीप भाई के पास जा रयेला है..पहले मुन्नी मेंतैन भाभी को देखेगा…मेरे कूं आपके लायक मैछ लगेगा तो आपका फ़ोटो मैं होने वाली मुन्नी भाभी को देंगा..

हां ठीक है रे सर्किट तू कल जा और अबी के अबी लौट के आने का? समझ गयेला क्या?

हां भाई आप काहे कू टेंशन लेता? मैं सब समझ गयेला है ना…

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रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया …सर्किट बोल रयेला

अरे सर्किट…आ गयेला है क्या?  किदर कू गयेला था रे तू?

हां भाई मैं आगयेला है ना….भाई वो उडनतश्तरी के पीछे भाई लोगों ने मच्छर छोड दियेले थे तो मैं वहां गयेला था…

अरे सर्किट मेरे कू लगता है आज तू पियेला है…बाप..कब से शुरु की रे तूने?

अरे भाई आप बी खाली पीली मजाक मारते ..भाई…वो क्या है ना ..वो अपुन के हाथ से की बोर्ड फ़िसल गयेला था…उडनतश्तरी के पिच्छू मछ्छर नही लगायेला था बल्कि उनके कंप्यूटर में मच्छर घुस गयेले थे…मच्छर बोले तो वायरस..मैं वोईच तो निकालने गयेला था भाई…बस अब उडनतश्तरी आतीईच होयेंगी…

 

आप तो ये चर्चा सुनो….

 

कोई भी देश भूगोल में बाद में टूटता है, पर पहले उसे दिमाग में तोड़ा जाता है…..

अरे सर्किट ऐसा बापू ने बोला क्या?

नही भाई…ऐसा गगन शर्माजी बोल रयेले हैं…और राजीव तनेजा जी चेहरा छुपा दिया है हमने नकाब में-9 …अब कहां से ढुंढेगा मैं?  और वकील साहब "फिल वक्त" महेन्द्र 'नेह' की एक कविता 'थिरक उठेगी धरती से' मंजे भाई आजीईच लोकारपण है.  और  गोदियालजी को यादें ! सता रयेली हैं भाई…

 

अरे सर्किट..गोदियाल जी को बोलने का..यादें सता रयेली हैं तो कुछ लेने का ना …खाली पीली यादों का सताना बुरी बात है…उनको बोलने का अगर कुछ लेना होयेंगा तो शाम कू भाई के पास आने का…क्या?

हां मैं बोल दियेला भाई…आप टेंशन नही लेने का…..और भाई शाह्स्त्रीजी बता रयेले "खटीमा में स्वाइन-फ्लू तथा बाघ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" फ़ैल गयेला है.

अरे सर्किट ये क्या ब्लाग फ़्ल्यु जैसाईच कुछ होता होयेंगा?

अरे भाई..आप काहे टेंशन लेता है?  ब्लाग फ़्ल्यु की चपेट मे आने के बाद बचने का कोई तरीका काम नही करेला है…अलबत्ता स्वाईन फ़्ल्यु से बच भी सकता है भाई..पर आप टेंशन नही लेने का….

 

अनिल पूसदकर जी बोल रयेले हे भगवान,अगले जनम मे तू मुझे सींधी या सरदार ही बनाना!अबे मुसलमान भी जोड ना,उसको क्यों छोड़ रहा है! 

अरे सर्किट कुछ समझा कर बता ना…

भाई आपईच समझ लिजिये..कुछ बिगडने बिगाडने की बाते हो रयेली हैं….

 


My Photo

समीर लाल जी की एक पोस्ट ने और मेरी कल की पोस्ट पर शरद कोकास ने टिपण्णी ने मुझे ये पोस्ट लिखने पर मज़बूर कर दिया।समीर लाल जी की पोस्ट मे उनके सामने मदिरा का लबरेज़ समन्दर था और मेरे भतीजे को छुपा कर अंडा खिलाने पर थी वो पोस्ट थी जिस पर शरद जी ने कहा था कि अंडे का फ़ंडा तो बच्चे की समझ मे आ गया ,उसे क्या पता बड़े लोग छुप-छुप कर क्या करते हैं।वो बात सीधे-सीधे मेरे लिये ही थी।साफ़-साफ़ कहा जाये तो मेरे शराब पीने पर थी।

और भाई महेंद्र मिश्रा जी चिठ्ठी चर्चा - तब ऐसे में मैं खुश होकर बस प्यार की झप्पी लेता हूँ...   

अरे सर्किट वोईच जादू खी झप्पी की बात कर रयेले हैं क्या? भौत अच्छी बात कर रयेले हैं मिश्रा जी…उनको बोलने का कि रोज झप्पी लेने का और भाई खी भी लेने का..आगे क्या है रे सर्किट?

 

भाई मै निर्झर हूँ  और रक्त तिलक करले  …. ये क्षत्रिय बोल रयेले हैं और शेखावत जी उनके ई एक दोस्त को फ़ंसा लियेला है आखिर फाँस ही लिया हमने रामबाबू सिंह को हिंदी ब्लोगिंग जाल में

अरे सर्किट ये भौत अच्छी बात लग रयेली है…सबको इस तरह फ़ंसना फ़ंसना मंगता अपुन तो…आगे क्या बोल रयेला है?

 

अन्तर सोहिल = Inner Beautiful पर एक पोस्ट है….जिसमे फ़त्तू चौधरी के किस्से हैं…..

सवेरे उठते ही फत्तू बोला - "बाब्बू ठीक सै अगर तू कहवै तो आज से मैं कदे भी दारू नही पीयूंगा।"
रलदू बोलता उससे पहलां ही संतो बोली - "बेटे फत्तू , तू दारू छोड चाहे पी, तेरी मर्जी,  पर तेरा बाब्बू आज के बाद रोज पिवैगा।"

 

और भाई शिवम मिश्रा जी पूछ रयेले हैं सच्चा प्यार चाहिए या नानवेज जोक..... ड़ाल करें ....   और भाई आज तो खुद संगीता जी भी सवाल पूछ रयेली हैं ताऊ पहेली  के माफ़िक ज्‍योतिष का सहारा लेकर क्या भवितब्यता टाली भी जा सकती है - 1 ??…..और शाश्त्री जी रामप्यारी का सवाल जीत गयेले हैं फ़र्रुखाबादी विजेता (120) : डा. रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक"

और श्रीश पाठक 'प्रखर' बता रयेले हैं….  सुन्दरतम है...!!!   और शर्मा जी अपने में दफन इंसान की भूल की अनोखी सजा भुगतती एक कब्र  की कथा सुना रयेले हैं.

 

और भाई मुंबई टाईगर बता रयेला है रंग रूप और ये काया ,हे! ताऊ ये तेरी माया   …

अरे सर्किट एक मिनट..एक मिनत रुकने का..पहले मेरे कू बताने का..भाई के मुंबई मे रहते ये दूसरा टाईगर किदर से आयेला है?

अरे भाई आप काहे कू टेंशन लेते…भाई ये तो नाम का टाईगर है..आप असल के टाईगर हैं…बस ये तो ब्लाग का नाम रख लियेला है…तो ये क्या कह रयेला है आप खुदईच देखो….

 

ताऊ पहेली, हिंदी ब्लोगरो के लिए चोपाल बन गई . शनिवार के दिन ज्यादातर ब्लोगर वहां जमा हो जाते है  एवं टिप्पणियों के माध्यम से अपनी खुशी और मौज व्यक्त करते हैं. सभी एक दुसरे को अपने करीब होने जैसा महसूस करने लगे. ब्लोगर  दोस्त बनाने एवं बनने के लिए ताऊ कि इस चोपाल में एकत्रित होने लगे. कई नए ब्लोगर्स ने अपनी पहचान  यही से बनाई . अविवाविदित ताऊ पहेली ने वो तहलका कर दिया जो कई वर्षो तक हिंदी ब्लोग जगत में शायद ही कोई कर सकेगा.

ताऊ कि भी खोपड़ी कोमिक्स के एक पात्र चाचा चोधरी कि तरह चलती है और उन्होंने पाठको को पहेलियों में नायाब नुस्खों से प्रभावित करना शुरू कर दिया . प्रथम  विजेता , द्वितीय विजेता, और साथ ही साथ लगातार तीन बार के विजेताओ को

"महाताऊश्री" कि पदवी से नवाजे जाने कि घोषणा ने   पाठको में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी.

अरे सर्किट मैं बोलता इस ताऊ कॊ ऊठाके इधर लाने का …फ़िर मैं सारी पहेली जीतेंगा….फ़िर अपुन की भी फ़ोटो छपेगी ना सर्किट…देख सबकी कैसे फ़ोटो छपेली है?

हां भाई आप टेंशन नईं लेने का…छपेगी  ना..आपकी फ़ोटो…

 

और रस्तोगी जी सावधा कर रयेले हैं…. अगर आप भारतीय रेल में यात्रा करते हुए चाय पान कर रहे हैं तो सावधान… (IRCTC’s Worst…..)  और भाई रामप्यारी फ़िर खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (121) : रामप्यारी  खेल रयेली है…और भाई जब देखो तनेजा जी चेहरा छुपा दिया है हमने नकाब में-23 येईच खेलते रहते हैं…

अरे सर्किट उनको बोल ना अपुन का भी चेहरा नकाब मे छुपाने का..अपुन बी देखेगा कि कईसा लगता है नकाब मे अपुन का चेहरा?

हां भाई टेंशन लेने का नईं…मैं अबी बात करता ना भाई…अबी की अबी…

 

और भाई बबली जी ने GULDASTE - E – SHAYARI शायरी लिखेली है…

अरे सर्किट सुना तो मेरे कूं …ये कैसी होती है….

हां भाई..सुनाता ना मैं अबी आपको..टेंशन नईं लेने का भाई..अब  सुनने का ……

 

ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,My Photo
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
सिर्फ़ विश्वास पर ही साँस टिकी है मेरी,
तुम मेरे नाम सिर्फ़ एक शाम ही लिख दो !

 

 

और भाई मिसिर जी बोल रयेले …एक शाम गिरिजेश ने की मेरे नाम!  …

अरे सर्किट..ये कौन से मिसिर जी हैं रे?.. खाली पीली…शार्ट कट मे काम नईं चलाने का…इज्जत से पूरा नाम बताने का…अपुन भाई है इसका मतलब कोई और कुछ नही समझने का…समझ गया ना?

अरे भाई समझ गयेला ना…वो क्या है उस वक्त  की बोर्ड पर अंगुलियां फ़िसल गयेली थी…तो पुरा नाम नही लिखेली थी..वो अपने अरविंद मिश्रा जी….

अच्छा वही वाले मिश्रा जी..जो प्रेम प्यार और नायक नायिका के भेद बता रयेले थे? अरे सर्किट उनको बोल ना..भाई को वो भौत अच्छी लगेली थी..और लिखने का..

भाई टेंशन नही लेने का..मैं अबी की अबी फ़ोन करके बोलता ना भाई….अबी बोलता है…

 

बवाल भाई की मुहम्मद रॉबर्ट सिंह दुबे .............(बवाल) …और राज भाटिया जी स्वाईन फ़लू ओर इस का होव्वा बता रयेले हैं….और वकील साहब वर्षगांठ भूल गयेले हैं भाई यात्रा में भूली, अनवरत की दूसरी वर्षगाँठ  …और शिवम मिश्रा जी रिकार्ड में बनाए दरोगा ई सिपाही क्या है भाई....?? …पूछ रयेले हैं….और झाजी रविवारी चर्चा , दो लाइन का खर्चा . कर रयेले हैं…और वाणीगीत बोल रयेली हैं  तुम याद आए ...बहुत याद आए….और गौतम राजरिशी सितारे डूबते सूरज से क्या सामान लेते हैं   इसकी खरीदी बेची की टेकनिक बता रयेले हैं भाई….

 

और भाई अदाजी ने तीन शेर सुनायेले हैं…..

अरे सर्किट..तू भी और अदाजी भी मजाक कर रयेली हैं क्या? अरे शेर यानि लायन..वो भी कुछ सुनाने की चीज होती क्या? अरे शेर बडी खतरनाक चीज होती….अपुन कू तो डर लगाता बाप..शेर से..


 

अरे भाई ये शेर वो वाला नहीं होता ना…ये तो कविता का माफ़िक होता है जैसे   पुकारता चला हूँ मैं.......भरी दुनिया में आख़िर दिल को ..

अरे सर्किट ये तो मेरे सनम का मस्त गाना है बाप..मैने बी देखेली थी ये तो ..हां सुनाने का..तबियत से सुना….

 

और भाई नीरज जाट झी धर्मशाला यात्रा करवा रयेले हैं…और ग्वालानी जी बोल रयेले हैं..अबे कितनी बार कहा है झंडा मत बोले कर …और वीर बहुटी पर निर्मला कपिला जी बोल रयेली हैं…

गज़ल *ज़िन्दगी से मैने कहा कि मैं गज़ल सीखना चाहती हूँ तो उसने कहा कि तुम्हारे पास क्या है जो गज़ल लिखोगी? मैने कहा देखो इस मे काफिया भी है रदीफ भी है तो वो हंसी और बोली अरे! मूर्ख ये बहर मे नहीं है।

और अक्साई चिन यानि सफेद नदी का दर्रा...खुशदीप बता रयेले हैं…अब भाई ये आप कल पूछ रयेले थे कि पंकज मिशिर जी किदर कू गये? तो ये आगयेले हैं पंकज मिशिर जी…जो सामने है बीयर और समीर जी …मे बी ईन फ़ीयर (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )  कर रयेले हैं…

 

नमस्कार, पंकज मिसिर आप लोग के बीच आ गया हु …काफ़ी व्यस्तता है लेकिन आज मन नही माना तो मै सोचा कि चलो दो-चार पोस्ट की चर्चा कर ही देता हु..क्या होगा देखा जायेगा …ये लहजा है एक श्री मान जी का ..और देखते ही देखते दो ठू खुल्ला साड पैदा हो गये है ब्लाग जगत मा …….इ खुल्ला साड लोग छुपा खेल शुरु कर दिये है …तो सुन ले कि जितना खेल खेलना है मुस्किल से १० दिन अउर खेल पायेगे ..इसके बाद ? अरे भाया हम आ जायेगे वापस और बान्ध देगे दोनो बन्धुओ को…..

अब चलिये चर्चा कर लेते है नही तो कही हमे भी कोइ बिमार फ़र्मा ना बोल दे :)

और नीरज गोस्वामी जी किताबों की दुनिया – 19 से रुबरु करवा रयेले हैं भाई…

 

ऐ खुदा रेत के सेहरा को समन्दर कर दे

या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे

तुझको देखा नहीं मेहसूस किया है मैंने

आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर* कर दे

पैकर* = आकृति

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन

मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे

 

 

 

 

 

और भाई राज भाटिया जी अन्ताक्षरी ५ गीतो भरी खिलवा रयेले हैं…..और तस्लीम पर अरविंद मिश्रा जी पहेली पूछ रयेले हैं  आज की पहेली बड़ी कठिन है -बताईये तो यह क्या है ??….

 

और महक जी नज़दीकियाँ मे ये कविता पढवा रयेली हैं….

 

images (9)  जब मैं उदास होती हूँ
मन में ही सिसकती रोती हूँ
बिन कारण ही,ऐसे ही
भावनाओ की नदिया में डूब जाती हूँ
कोई आधार नही होता उन बातों का
जानती हूँ , मगर फिर भी
चली जाती हूँ उन राहों पर
दिल हल्का हो जाता है
उस वक़्त तेरी नज़दीकियाँ
मेरा आधार बनती है

 

और भाई गोदियाल जी बोल रयेले हैं..फिर सनक गया दिमाग कार्टून बनाने को.....

 

और भाई पी.डी. साहब समझ नईं आ रयेला है  क्या शीर्षक दूं, समझ में नहीं आ रहा है…..डाक्टर श्रीमती अजी गुप्ता  बाहर से लौट कर ये कविता  पढवा रयेली हैं  कविता - सिंह-वाली बाहर होगी….. और भारतीय नागरिक बोल रयेले सात मौतें ज्यादा बड़ी हैं या एक व्यक्ति की दूसरी शादी…   से. सही बात है भाई…

और भाई रंजना [रंजू भाटिया] जाने लोग यहाँ क्या-क्या तलाश करते हैं..

जाने लोग यहाँ क्या-क्या तलाश करते हैं  
पतझड़ों में हम सावन की राह तक़ते हैं
अनसुनी चीखों का शोर हैं यहाँ हर तरफ़
गूंगे स्वरों से नगमे सुनने की बात करते हैं

 

भाई आप अब आराम करने का..मैं जरा लक्की सिंह का मकान खाली करवाने जा रयेला है और वो खुशदीप भाई ने आपके लिये एक मैच ढूंढेला है….

.वैसे बाप इधर मुन्ना भाई का एक सालिड मैच ढूढेला ए...मुन्नी मेंटेन....क्या बमचिक आइटम है बाप...इलाके में मुन्नी मेंटेन का क्राइम ग्राफ सबसे टॉप पर है बॉस...मुन्नी मेंटन बस मुन्ना भाई के फोटा का डिमांड किएला है...कोई रपचिक फोटू भेज रे सर्किट..

तो भाई  मैं  खुशदीप भाई के पास जा रयेला है..पहले मुन्नी मेंतैन भाभी को देखेगा…मेरे कूं आपके लायक मैछ लगेगा तो आपका फ़ोटो मैं होने वाली मुन्नी भाभी को देंगा..

हां ठीक है रे सर्किट तू कल जा और अबी के अबी लौट के आने का? समझ गयेला क्या?

हां भाई आप काहे कू टेंशन लेता? मैं सब समझ गयेला है ना…

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मुन्ना भाई को ब्लाग बुखार चढ गयेला है : डाँ.झटका

अरे सर्किट …अपुन को भौत ठंड लगरेली है बाप….कुछ दवाई देने का …

अरे भाई…आपको तो बुखार चढ गयेला है….रात को एक बजेईच तो आपको मिक्चर पिलायेला था..अबी की अबी कैसे बुखार आगयेला..कुछ समझईच नईं आयेला है..आप जरा रजाई ओढकर सोने का..मैं जरा डाक्टर झटका को उठाकर लाता है…..

ए सर्किट तू पगला गयेला है क्या? भाई को एइसी हालत मे छोडकर जायेगा क्या? तू फ़ोन लगा झटके को..मैं बात करेगा उससे..

अरे भाई..डाक्टर झटका जरा उंचा डाकटर है भाई..वो फ़ोन पर मरीज से बात नईं करता ना भाई…

अरे सर्किट..उसकी तो एइसी तईसी डाक्टर झटके की तो..अबी की अबी फ़ोन लगा और मेरे कू दे…

अरे भाई..आप काहे कू टेंशन लेता है भाई? आप जरा आराम से लेटो भाई..मैं बात करता ना उससे….

ठीक है अबी बात करने का और बोलने का भाई का बुखार अबी का अबी उतारने का..

भाई मैं अबी बात कर लिया है डाक्टर बोल रयेला है एक डोज भाई और देदो..ब्लाग रस का..अबी सब तरफ़ वायरल बुखार फ़ैल रयेला है…तो भाई आप आराम से लेटो..मैं आपके लिये ब्लाग रस निकाल के ला रयेला है….

महेन्द्र 'नेह' के काव्य संग्रह 'थिरक उठेगी धरती' का लोकार्पण विश्वंभर नाथ चतुर्वेदी 'शास्त्री' समारोह में 22 नवम्बर को हो रयेला है भाई.

अरे सर्किट उनको भाई की तरफ़ से बधाई देने का और बताने के लिये वकील साहब का आभार मानने का…

भाई ये काम तो मैं आपके बोले बिनाईच कर देता है ना भाई…..अब आगे

महारष्ट्र में मीडिया कर्मिओं पर हमले पर मैनपुरी की मीडिया ने फूंका ठाकरे का पुतला ये बता रहेले हैं बुरा भला पर….और झा जी आ गयेले हैं दिल्ली ब्लॉग बैठक में हिन्दी ब्लॉग्गिंग और मीडिया पर चर्चा लेकर….वो बोल रयेले हैं….

पिछली दोनों पोस्टों में दिल्ली ब्लोगबैठकी और पाबला जी , तथा द्विवेदीजी केदिल्ली प्रवास के दौरान हुईचर्चाओं पर मैं काफ़ी कुछ लिख चुका हूं..। आजउसी को आगे बढाते हुए फ़िरकुछ उन मुद्दों पर लिखने जा रहा हूं जो हमारी बातचीत के दौरान निकल करसामने आई ॥इनमें से पहला मुद्दा था..हिंदी ब्लोग्गिंग और मीडिया ...इससे जुडी दो बातें मुख्य रूप से हमारे बीच चर्चा केलिये आईं । पहली ये कि क्या सचमुच ही हिंदी मीडिया ..यहां मीडिया से मेरा तातपर्य प्रिंट मीडिया का है...हिंदीब्लोग्गिंग और ब्लोगर्स को महत्व देने लगा है ....और क्या देर सवेर येमहत्व बढने वाला है ॥

"नीड़ में ज़र तलाश करते हो!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") ये शाश्त्रीजी पूछ रयेले हैं…और भाई मैं हूं "ब्रदर इंडिया"...खुशदीप अच्छे भले लोगों की वाट लगा रयेले हैं…आपको लगवानी होये तो बोलने का भाई..अपना खुशदीप जी से डायरेक्ट कनेक्शन है आपकी भी वाट लगवा देंगे….


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अभी तक सारी ब्लॉगर बिरादरी महफूज़ के सिर पर ही सेहरा देखने की फ़िक्र कर रही थी...जैसा कि टिप्पणियों में बार-बार दिखता ही रहता है...अब इस लिस्ट में दीपक मशाल का नाम और जोड़ लीजिए...और जिस दिन ये घड़ी आएगी...उस दिन की बारात के बारे में सोचिए...ब्लॉगर ही ब्लॉगर...ठीक वैसे ही जैसे शिवजी बियाहने निकले थे...अब भोले की बारात में कौन-कौन बाराती थे...ये भी मुझे बताने की ज़रूरत पड़ेगी क्या...
(आज का स्लॉग ओवर भी इन्हीं दो मोस्ट एलिजेबल बैचलर्स को समर्पित है)
स्लॉग ओवर
महफूज़ और दीपक...शादी के लिए लड़की चुनने से पहले खुशदीप का ज्ञान सुन लो...फिर न कहना...बड़े भाई ने बताया नहीं था...
आप एक हाउस-फ्लाई को बटर-फ्लाई बना सकते हैं...
लेकिन एक बटर-फ्लाई को कभी हाउस-फ्लाई नहीं बना सकते..

अरे सर्किट..खुशदीप भाई को बोलने का अपुन की बी एइसीईच वाट लगाने का…क्या? अबी की अबी बोल अने का फ़ोन लगाकर…

हां मैं बोलता ना भाई..आप काहे कू टेंशन लेने का भाई…आगे सुनने का अब….प्रवीण जाखड बता रयेले लॉटरी 40 करोड़ की, मिले 7 रुपए 20 पैसे ! ….और भाई झा जी जस्ट टू लाइन, चर्चा हुई फाइन (चिट्ठी चर्चा ) अंग्रेजी मे लेके आयेले हैं…

अरे सर्किट..ये अंगरेजी मे टू लाईन चर्चा का मतलब भाई समझेले नईं…..इसका मतलब समझाने का…

भाई बस झाजी ने लिख दियेला तो लिख दियेला…आप काहे कू टेंशन लेता…झाजी आज रविवार मना रयेले हैं…कल पूछ के बतायेंगा ना मैं आपको…और भाई बुरा भला फ़िर बता रयेले टी आर पी की दौड़ में हारे क्विज शो: सिद्धार्थ बासु…..और भाई जबलपुर ब्रिगेड पर बिल्लोरे भाई बोल रयेले सलीम खान और मियाँ केरानवी ये देश तुम जैसों की वज़ह से बँट नहीं सकता..

अरे सर्किट ठीकईच तो बोल रयेले…रे….आगे बोलने का…..

भाई आगे पाबलाजी बता रयेले आज लावण्या शाह का जनमदिन है

अरे सर्किट दीदी को पांव छूकर बधाई देने का और आशिर्वाद मांगने का…क्या?

हां भाई..मैं बधाई भी देदिया और पांव भी छू लिया और लगे हाथ बताने के लिये पाबला जी कू आभार भी दे दियेला है….

और भाई योगिंद्र मोदगिल बोल रयेले जब भी देखूं आईना तो........

अरे सर्किट ..मैं जानता ना..जैसेईच मोदगिल जी ने आईना देखां होयेंगा…आईनाईच टुट गयेला होयेंगा….आगे चल…मोदगिल जी को तो मैं फ़ोन करके निपटेगा….और भाई पांडे जी एक साहबी आत्मा (?) के प्रलाप बता रयेले हैं मानसिक हलचल पर….

और भाई शाश्त्री जी आज फ़िर चिठ्ठा चर्चा करेले हैं "फूल खिलेंगे धीरज धरिये" (चर्चा हिन्दी चिट्ठों की)….

अरे सर्किट आजकल वो पंकज मिश्रा जी नईं दिख रयेले…किदर कू गये?…

भाई अपुन को पूछ के नई गयेले कि किदर कूं गये? कब गये? और कब आने का है? कुछ बी मालूम नई..वो तो राजस्थान पत्रिका में प्यारे चूहे साथियो ...जागो की चर्चा लगाके के बाद दिखेईच नईं….…अबी मैं पता करके बताता ना भाई आपकू..टेंशन नई लेने का…..

और भाई मास्साब पूछ रयेले क्या सरकार उठा पायेगी इतना भार ?…अब अपुन को क्या पता भाई..सरकार की कोई बात पक्की थोडेईच होती..अबी बोलेगी..मैं ऊठायेगी..फ़िर दूसरी सरकार आयेगी वो बोलेगी मैं पटकेगी…

और भाई अब सपने भोर हो गई है….अब आपका बुखार उतर गयेला होयेंगा तो ब्लाग रस बनाना बंद करेगा मैं?

अरे सर्किट अबी मेरे कू थोडा अच्छा लग रयेला है..थोडा और ब्लाग रस निकालने का एक दो बाल्टी…

ठीक है ना भाई..आप काहे कू टेंशन लेता है? मैं निकाल रयेला ना भाई….

और भाई तुम न थे.....^^^^^^^^^^^^^^^^^^दीपक 'मशाल' बोल रयेले हैं…

और भाई..ग्वालानी झी बता रयेले वंदेमातरम् से मुसलमानों को परहेज नहीं ….और वडनेरकर जी बता रयेले की डाकिया बीमार है…कबूतर जा… और हां कबूतर डाक लेके फ़टाफ़ट आने का.

और भाई वो आदि आज शानदार शनिवार. मना रयेला है..इतने दिन से गायब होगयेला था….आज कार खुदईच चला कर खेत मे पहुंच गयेला और वहां मस्ती कर रयेला है…

और भाई वो आपकी धमकी से उडनतश्तरी गायब हो गयेली थी ना..भाई मैं उसको सब जगह ढूंढा पर कहीं बी नही मिली..पर आदि के पास दिखेली थी मेरे कू….

अरे सर्किट..जल्दी किडनैप करके लाने का..पहेली का जवाब पूछने का है मेरे कू…

बस भाई दिख गयेली है उडनतश्तरी..आतीईच होगी इदर आपके पास मिलने कू…टेंशन नईं लेने का भाई

और भाई अदा जी मस्त गाना लगायेली है…'अदा'.....तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है.…

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठें सुबह चले, ये झुकें शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा ...

ये हों कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता

ये कहीं इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये उठें सुबह चले ..

अरे सर्किट..जरा सुनाने का…ये वोईच है ना…फ़िल्म चिराग वाला गीत..

हां भाई वोईच है…

और भाई हिमांशु भाई पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ (पानू खोलिया)-१ के बारे मे बता रयेले हैं… और अल्बेला खत्रीजी पूछ रयेले हैं भाई ये सूर्योदय और सूर्यास्त कैसे होता है कोई बताएगा ?

ए सर्किट जब भाई से पूछ रयेले हैं तो किसी दूसरे की क्या हिम्मत जो भाई के रहते बतायेंगा? अबी फ़ोन मिला के दे मेरे कूं..मैं अबी की अबी बताता है..

हां भाई..ठीकईच तो बोल रयेले आप…टेंशन नईं लेने का भाई…मैं अबी फ़ोन लगाके देता है ना आपकू…और भाई इसका पिच्छू ….

काजल भाई बोल रयेले है कार्टून:- हे भगवान गंजे को भी नाखून दे रहा है तू ?

ए सर्किट…ये काजल भाई को क्या हो गयेला है?…. भगवान गंजे को नाखून देंगा तबी तो खेल का मजा आयेंगा ना?

हां ये तो सही बात बोल रयेले भाई आप..

ए सर्किट मेरे कूं नींद आ रयेली है रे…

भाई अब आप रजाई ओढ कर सो जाने का…आपको ब्लाग रस के डोज का असर हो गयेला है..थोडी देर मे बुखार उतर जायेंगा…एइसा डाक्टर झटका ने बोलेला है…..




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